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शुक्रवार, अप्रैल 29, 2016

"मेरा रेडियो कार्यक्रम" (चर्चा अंक-2327)

मित्रों
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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आलेख  

"हिन्दुस्तानियों की हिन्दी खराब क्यों है?"  

बातें हिन्दी व्याकरण की  

कभी आपने विचार किया है कि
हम हिन्दुस्तानियों की हिन्दी खराब क्यों है?

इसका मुख्य कारण है कि हमें अपनी हिन्दी के

व्याकरण का सम्यक ज्ञान नहीं है... 
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लोहे के घर से 

बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय 
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इश्क में क्यूँ जुबाँ बेअदब हो गयी 

यह कहानी भी तेरी गजब हो गयी ।  
इश्क में क्यूँ जुबां बे अदब हो गयी ।।  
एक माशूक जलता रहा रात दिन ।  
गैर दर पे मुहब्बत तलब हो गयी... 
Naveen Mani Tripathi  
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चंद विचार बिखरे बिखरे 

...विरासत अपनी भूले आज भी परतंत्र हैं
कोई परिवर्तन नहीं भीड़ में फंसे हैं
शासन भीअसफल रहा उसे सहेजाने में
कर्तव्य बोध सुप्त ही रहा अधिकार मांग रहे हैं | 
Akanksha पर Asha Saxena 
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अनावृष्टि ! 

जलाशय सूखे, नहर, कुएं सब सुख गए 
खेतों में पानी नहीं, जमीन में दरारे पड गए ||1|| 
दैवी प्रकोप है या, है यह प्रकृति का रोष 
स्वार्थी बने मानव, दिल में दरार पड़ गए ||२... 
कालीपद "प्रसाद" 
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ग़ज़ल -  

उसकी आँखों ने फिर ठगा है मुझे 

उसकी आँखों ने फिर ठगा है मुझे  
हिज्र इस बार भी मिला है मुझे  
नींद बैठी है कब से पलकों पर  
और इक ख़्वाब देखता है मुझे.. 
Ankit Joshi  
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जन्म दिन मुबारक 

Surendra Kumar Shukla Bhramar's photo.
प्रिय मित्रों आज मेरे सुपुत्र गिरीश कुमार शुक्ल (सत्यम ) का जन्म दिन है अपनी दुवाएं देने से पहले मन में प्रवल इच्छा है कि मेरे प्रभु घनिष्ठ इष्ट दिल के नजदीक रहने वाले मेरे प्यारे दुलारे मित्र गण अपने स्नेहिल दिल से अपना स्नेहाशीष बरसाएं... 
Surendra shukla" Bhramar"5  
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अंगूठी...में जड़ा वो जादू का पत्थर ..... 

...एक दम से वो बोला .....जो सच्चे मन से याद करेगा ...और जो अपनी माँ 
को दिल से प्यार करता होगा बस उसे ही दिखाई देगा ..दुसरे को कभी नही .....
 बस.......मुझे एक दम से माँ के दर्शन हो गये...मैं बोल उठा हाँ हाँ माँ दिख गयी...
आप होते तो आप को भी दिख जाता??? .....वो बचपन का जादू !
यादें...पर Ashok Saluja 
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गर उद्गार जीवित हो जाएँ 

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खुशियों की ऊँचाई से
व्यथा की गहराई तक
अमराई की खुशबू से
यादों की तन्हाई तक
जाने कितनी नज्म कहानी
सिमट जाती हैं पुस्तक में... 
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु  
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पानी की बूँदें 

पानी की बूँदे भी, मशहूर हो गई । 
कल तक जो यूँही, बहती थी बेमतलब, 
महत्वहीन सी यहाँ वहाँ, फेंकी थी जाती, 
समझते थे सब जिसके, मामूली सी ही बूँदें, 
आज वो पहुँच से, दूर हो गई । 
पानी की बूँदें भी, मशहूर हो गई... 
ई. प्रदीप कुमार साहनी 

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मेरे लिए तुम.... 

अंधड़ ! पर  पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
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रिवाज पाल रखी.. 

लोगो ने ये कौन सी ऱिवाज पाल रखी 
जहाँ खुद की पाकीजगी साबित करने की चाह में 
दूसरो को गिराना पडा... 
कविता मंच पर Pammi Singh 
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कार्टून :-  

IIT के अखाड़ा प्रमुख. 

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U O U “हैलो हल्द्वानी” में 

दोहों पर आधारित 

मेरा रेडियो कार्यक्रम प्रसारित 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

मित्रों!
उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी (नैनीताल) के 
रेडियो कार्यक्रम हैलो हल्द्वानी द्वारा 91.2 MHz. FM चैनल पर 
दिनांक 27-04-2016 को दिन में 11-30 पर
रूबरू” के अन्तर्गत मेरा रेडियो प्रोग्राम प्रसारित हुआ।
जिसकी ऑडियो क्लिप मुझे प्राप्त हो गयी है। 
आप भी इसका आनन्द लीजिए।

Audio recording and upload >>

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