मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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अचानक से सूरज
रात को निकल लेता है
फिर चाँद का
सुबह सवेरे से आना जाना
शुरु हो जाता है
उलूक टाइम्स पर
सुशील कुमार जोशी
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दिल्ली/एनसीआर,
क्या चिकित्सा मर्ज का मूल
मेदांता सरीखे अस्पताल नहीं ?
...जहां तक दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों की चिकित्सासंहिता की बात है, मुख्य बात पर आने से पहले आपको याद दिलाना चाहूंगा कि नब्बे के दशक मे दिल्ली की, खासकर बाहरी दिल्ली, फरीदाबाद, गुडगांव, नोएडा और गाजियाबाद में हर कस्बे में एक नर्सिंगहोम होता था। जहां तब चिकित्सा व्यापार एक असंगठित क्षेत्र था, वहीँ छोटे स्तर पर ही सही, किन्तु बाई-पास सर्जरी और अन्य बड़े ऑपरेशनों तक की सुविधा इन नर्सिंगहोमों में उपलब्ध होती थी...
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यादों की मरूभूमि
स्मरण अनुभूतियों का वृहद् संसार
रचता है जीवन स्वयं
यादों की ही तो मरूभूमि है उड़ते रजकण
आँखों में समा धुंधला कर देते हैं दृश्य
वर्तमान ओझल सा हो जाता है
इस बीच स्मृतियों का पूरा बियाबान
भीतर रच जाता है इंसान...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
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Good Morning Sarnath
यह मेरा नया ब्लॉग है. इसमें सारनाथ के चित्र, उससे सम्बन्धित जानकारी और प्रातः भ्रमण के दौरान मन में आये विचार सुबह की बातें शीर्षक से प्रकाशित करने का मूड बनाया है. कोशिश है कि आज नहीं तो कल सारनाथ के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए यह एक बढ़िया लिंक बने. इस ब्लॉग से जुड़कर आप अपनी शुभकामनाएँ देंगे तो मुझे खुशी मिलेगी. लिंक इस ब्लॉग में ऊपर है और अलग से है यह रहा....Good Morning Sarnath
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
शुभ प्रभात भाई मयंक जी
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
शास्त्री जी, आप भी डटे हुए हैं। आपका यह प्रयास तारिफेकाबिल है। आभार और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंचर्चा का बहुत ही बेहतरीन अंक ! मेरी प्रस्तुति को आज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुन्दर सोमवारीय अंक। आभार आदरणीय 'उलूक' के सूत्र को आज की चर्चा में जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंआभार!
जवाब देंहटाएंसादर!
उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।
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