जिन्हें थी जिंदगी प्यारी, बदल पुरखे जिए रविकर-
रविकर
(1)
विदेशी आक्रमणकारी बड़े निष्ठुर बड़े बर्बर |
पराजित शत्रु की जोरू-जमीं-जर छीन लें अकसर |
कराओ सिर कलम अपना, पढ़ो तुम अन्यथा कलमा
जिन्हें थी जिंदगी प्यारी, बदल पुरखे जिए रविकर ||
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बंद कंप्यूटर से मोबाइल चार्ज करने का तरीका
Faiyaz Ahmad
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सीपी
Mamta Tripathi
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दोगला :शब्द चिंतन ( ललित निबंध)
ब्लॉ.ललित शर्मा
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कार्टून :- रूकाे गुजरात, अा रहा हूं मैं
Kajal Kumar
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अत्याधुनिक, तकनीकी मेहमान-नवाज़ी
Ravishankar Shrivastava
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जिंदगी एक दिन ...(लघुकथा )
Upasna Siag
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भगवान
Madan kumar
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प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना की राशिअब डाकघर के खाते में,आधार नंबर से करवाना होगा अपडेट -डाक निदेशक केके यादव
Krishna Kumar Yadav
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लोग जलाते हैं दीपक बुझा लेते हैं आप
udaya veer singh
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दस क्षणिकाएँ .....सुशील कुमार
yashoda Agrawal
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“Am I Depressed?”Treating depression symptoms, including bipolarand clinical depression, and seasonal affective disorder
Virendra Kumar Sharma
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सुप्रभातम्! जय भास्करः! ७० ::सत्यनारायण पाण्डेय
अनुपमा पाठक
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"मैंने सब-कुछ हार दिया है"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') |
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंक्या बात है....
आभार
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति रविकर जी।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा रविकर जी।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
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