Followers



Search This Blog

Wednesday, December 20, 2017

"शीत की बयार है" (चर्चा अंक-2823)

मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
--
--
--

बचपन की यादें 

बचपन की यादे कितनी अच्छी होती है 
आज उन यादो को ताजा करना अच्छा लगता है 
कहा खो गया वो बचपन वो हसीन दिन 
जब न होती थी कोई फ़िक्र 
खेल में जिंदगी के दिन बीतते थे... 
aashaye पर garima  
--
--

गया कैसे...??..... 

'तरुणा' 

मुझको वो छोड़कर गया कैसे...  
वो तो था हमसफ़र गया कैसे... 
मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal  
--
--
--
--

7 comments:

  1. शुभ प्रभात
    आभार
    सादर

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  3. शीत की बयार चर्चा अंक बहुत खूबसूरत बंद पड़ा है। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं। मेरी रचना "अश्क का रुपहला धुआं" को चर्चामंच में स्थान मिलने पर हार्दिक प्रसन्नता हुई। आभार सादर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. कृपया बंद को बन पढ़ें। धन्यवाद।

      Delete
  4. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  5. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  6. क्रांतिस्वर की पोस्ट को इस अंक में शामिल करने के लिए धन्यवाद।

    ReplyDelete

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।