मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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बचपन की यादें
बचपन की यादे कितनी अच्छी होती है
आज उन यादो को ताजा करना अच्छा लगता है
कहा खो गया वो बचपन वो हसीन दिन
जब न होती थी कोई फ़िक्र
खेल में जिंदगी के दिन बीतते थे...
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स हो वाच हिरण्यगर्भ : |
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ,
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
( कलिसंतरणोपनिषद मंत्र ५ )
Virendra Kumar Sharma
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशीत की बयार चर्चा अंक बहुत खूबसूरत बंद पड़ा है। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं। मेरी रचना "अश्क का रुपहला धुआं" को चर्चामंच में स्थान मिलने पर हार्दिक प्रसन्नता हुई। आभार सादर।
जवाब देंहटाएंकृपया बंद को बन पढ़ें। धन्यवाद।
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जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंक्रांतिस्वर की पोस्ट को इस अंक में शामिल करने के लिए धन्यवाद।
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