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Sunday, December 24, 2017

"ओ मेरे मनमीत" (चर्चा अंक-2827)

मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं..... 

राष्ट्रकवि रामधारीसिंह दिनकर 

कविता मंच पर yashoda Agrawal  
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Roshi:  

वाघ ,चीता ,सियार सभी हैं 

जंगली हिंसक प्राणीबाल्याव... 

 वाघ ,चीता ,सियार सभी हैं 
जंगली हिंसक प्राणी बाल्यावस्था से 
सुनते ,समझते और गुनतेआये हैं सभी 
क्या कभी अपने नौनिहाल , प्रियेजन को... 
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गूंगे होते ! 

SADA 
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ठोकरें थी, गिरना था, संभलना था 

खाली पाँव 
पैदल चलना था
ठोकरें थी, गिरना था, संभलना था 
खो गए पलों को
समय की चट्टानों से
टकराते देखा... 

अनुशील पर अनुपमा पाठक  
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कार्टून :-  

यशोदा मइया दि‍वस 

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परिधि 

१ 
पृथ्वी के पैर में लगे हैं पहिये 
किन्तु उसे लौट आना होता है धुरी पर
 यही नियति है 
जैसे स्त्रियों के लिए निर्धारित है परिधि... 
सरोकार पर Arun Roy - 
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ग्रुप रिपोर्ट -  

गाओ गुनगुनाओ शौक से 

पूजा जी द्वारा लिया गया शोभना जी का इंटरव्यू ग्रुप गाओ गुनगुनाओ शौक से में-शोभना जी का इंटरव्यू कल 5 मिनिट सुनकर बंद कर दिया था ,पांच मिनिट में ही लगा हड़बड़ी में सुनने का नहीं है,आज सुबह उठकर सीधे उसे प्रार्थना की तरह शुरू कर लिया ,  
अभी 25 मिनिट सुनकर ही लगा लिखती चलूँ...शुरुआत पूजा की मीठी आवाज से मिश्री सी घुली लगी... 
फिर शोभना जी की दिनचर्या,खुद को समयानुसार ढाल लेने की कला,समाज को दिया समर्पण और विरोध के बावजूद अकेले चल पड़ने की कहानी प्रेरणास्पद लगी... 
मेरे मन की पर अर्चना चावजी 
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7 comments:

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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