मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हिमालय में अब सफेद बर्फ
दूर से भी नजर नहीं आती है
काले पड़ चुके पहाडों को
शायद रात भर
अब नींद नहीं आती है
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पत्थर की पूजा करते है ....
नीतू ठाकुर
सूखे पत्ते बंजर धरती
क्या नजर नहीं आती तुमको
ये बेजुबान भूखे प्यासे
क्या खुश कर पायेंगे तुमको
हे इंद्रदेव, हे वरुणदेव किस भोग विलास में खोये हो
या किसी अप्सरा की गोदी में सर रखकर तुम सोये हो...
विविधा.....पर yashoda Agrawal
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुप्रभात शास्त्री जी ! सार्थक सूत्र संकलन आज की चर्चा में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति। आभारी है 'उलूक' उसके सूत्र को चर्चा में स्थान मिलने पर।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स ... हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंआभार!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं!
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका आभार !