मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
भोर का संजीवन लाता सूरज....
श्वेता सिन्हा
भोर की अलगनी पर लटके
घटाओं से निकल बूँदें झटके
स्वर्ण रथ पर होकर सवार
भोर का संजीवन लाता सूरज...
--
--
हलाहल मत चखो
जो प्रतिष्ठा शेष है
उसको रखो।
सुधा के धोखे
हलाहल मत चखो...
अभिनव रचना पर Mamta Tripathi
--
--
जिंदगी में हर किसी को
है किसी का इन्तिज़ार
इन्तिज़ार सर्वशक्तिमान को है बंदगी का इन्तिज़ार
जिंदगी में हर किसी को है किसी का इन्तिज़ार...
--
मौजूद रहेंगी ध्वनियाँ
एक दिन कुछ ऐसा होगा
मिट जाएगी पृथ्वी ये महल
ये अट्टालिकाएं ये सभ्यताएं
सब मिटटी बन जाएँगी
फिर भी मौजूद रहेंगी ध्वनियाँ...
--
--
--
वह गुस्ताख मिज़ाज
लिखो यहां वहां पर विजय गौड़
--
GST को हौव्वा बनाने वाले !!
पिछले दिनों कराधान करते समय सरकार की तरफ से बार-बार कहा गया कि आप अपनी हर खरीदी का बिल जरूर लें ! पर क्या व्यापारियों को भी ऐसा कुछ कडा निर्देश दिया गया कि आपको भी हर बिक्री का बिल काटना ही है ! क्योंकि भले ही यह कानून हो पर इस वर्ग के अधिकाँश भाग में बिल ना देना, आदत में शुमार है ! टैक्स पहले भी थे, शायद कुछ ज्यादा होंगे ! पर इधर बहुत हो-हल्ला मचा, GST को लेकर, तरह-तरह की अफवाहें उड़ीं, दोनों तरफ से उलटे-सीधे आंकड़े प्रस्तुत होते रहे ! विरोध के लिए विरोध हुआ पर "कुछेक" की आदत सुधारने का किसी ने भी कोई सुझाव नहीं दिया...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
--
--
--
रानी पद्मिनी (पद्मावती )का
चरित्र निभाने वाली अभिनेत्री को
पहले छः माह तक
तप करना चाहिए था
Virendra Kumar Sharma
--
--
--
--
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंक्रांतिस्वर की इस पोस्ट को स्थान देने हेतु आभार व धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंलंकिन कुछ लालित्य का चीर रहे हैं खींच...वाह मौजूदा समय पर ग़जब की अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएं