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रविवार, फ़रवरी 04, 2018

"अपने सढ़सठ साल" (चर्चा अंक-2869)

मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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आज। 

Nitish Tiwary 
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दिल में कोई लहर उठी सी है 

दिल में कोई लहर उठी सी है । 
आंख उनकी झुकी झुकी सी है ।। 
देखता जा रहा हूँ मुद्दत से । 
सुर्ख होठों पे तिश्नगी सी है... 
Naveen Mani Tripathi  
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मौका 

मशग़ूल रहा मैं जिंदगी की दौड़ भाग में
गुफ्तगूँ कभी कर ना पाया अपने आप से
वक़्त मेरे लिए ठहर पाया नहीं
गुजर गयी जिंदगी जैसे घुँघरू की ताल पर
सोचा कभी साक्षातार करलूँ जीवन आत्मसात से
थिरकने फिर इसकी धुन पर
चल पड़ा मैं
कभी मधुशाला की चाल पर... 

RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL 
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ग़ज़ल 

प्यार तुमसे है किया हमने निभाने के लिए 
छोड़ हमको क्यों गए तुम दिल दुखाने के लिए... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi  
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जो मन को भाता है 

Purushottam kumar Sinha  
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पूरे लाख टके की बात है ! 

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 

6 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    आभार
    ....चलते हुए
    "आ तेरी उम्र मै लिख दूँ चाँद सितारों से
    तेरा जनम दिन मै मनाऊं फूलों से बहारो से

    हर एक खूबसूरती दुनिया से मै ले आऊं
    सजाऊं यह महफ़िल मै हर हँसी नजारों से

    उम्र मिले तुम्हे हजारों हजारों साल ...
    हरेक साल के दिन हो पचास हजार !!"
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी . सादर

    जवाब देंहटाएं

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