मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दिल में कोई लहर उठी सी है
दिल में कोई लहर उठी सी है ।
आंख उनकी झुकी झुकी सी है ।।
देखता जा रहा हूँ मुद्दत से ।
सुर्ख होठों पे तिश्नगी सी है...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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मौका
मशग़ूल रहा मैं जिंदगी की दौड़ भाग मेंगुफ्तगूँ कभी कर ना पाया अपने आप से
वक़्त मेरे लिए ठहर पाया नहीं
गुजर गयी जिंदगी जैसे घुँघरू की ताल पर
सोचा कभी साक्षातार करलूँ जीवन आत्मसात से
थिरकने फिर इसकी धुन पर
चल पड़ा मैं
कभी मधुशाला की चाल पर...
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शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंआभार
....चलते हुए
"आ तेरी उम्र मै लिख दूँ चाँद सितारों से
तेरा जनम दिन मै मनाऊं फूलों से बहारो से
हर एक खूबसूरती दुनिया से मै ले आऊं
सजाऊं यह महफ़िल मै हर हँसी नजारों से
उम्र मिले तुम्हे हजारों हजारों साल ...
हरेक साल के दिन हो पचास हजार !!"
सादर
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी . सादर
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई आपको।
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