मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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पागल मन....
लक्ष्मीनारायण गुप्त
मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal
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देता है ऋतुराज निमन्त्रण,
तन-मन का शृंगार करो।
पतझड़ की मारी बगिया में,
फिर से नवल निखार भरो।।
नये पंख पक्षी पाते हैं,
नवपल्लव वृक्षों में आते,
आँगन-उपवन, तन-मन सबके,
वासन्ती होकर मुस्काते,
स्नेह और श्रद्धा-आशा के
दीपों का आधार धरो...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन ! मेरी रचना को आज के मंच पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
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