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मंगलवार, फ़रवरी 13, 2018

दही जमाना छोड़ के, रही जमाती धाक; चर्चामंच 2877


पत्नी-पीड़ित संघ का प्रतिवेदन

रविकर 

बच्चों को नहला धुला, करता हूँ तैयार। 
फिर भी नहला पर रही, बीबी दहला मार।।
रहे पड़ोसी तभी कुँवारा।

‘कुछ’ न होने में ही सुख है

Anita 

या चले तो तीर सीनःपार होना चाहिए

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 

औरत

Rewa tibrewal 

किताबों कीदुनिया -164

नीरज गोस्वामी 

From My Book " Dil banjara...."

Dr Varsha Singh 

स्याही से नहीं रुहानी लिखना.....कुसुम कोठारी

yashoda Agrawal 

फोटो-यात्रा-3: एवरेस्ट बेस कैंप - पशुपति दर्शन और आगे प्रस्थान

नीरज मुसाफ़िर 

दोहे "शिव-शंकर का ध्यान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 

चुनाव का प्रस्थान-बिन्दु है मोदी का भाषण

pramod joshi 

कार्टून :- छि‍

Kajal Kumar 

5 टिप्‍पणियां:

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