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शुक्रवार, फ़रवरी 02, 2018

"सरस रहा मधुमास" (चर्चा अंक-2867)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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कुनकुनी धूप 


सर्दी का मौसम लगता बड़ा प्याराइसी प्रलोभन ने मुझे माराकुनकुनी धूप और हलकी सी सर्दीमन न हो घर का आँगन छोड़ने कावहाँ बैठना और बुनाई करनाजो कभी शौक रहा करता था... 
Akanksha पर Asha Saxena  
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चुप्पियों की उम्र क्या है 

अपराधियों की दादागिरी साजिशों का दरबार वक्त का जालिम करिश्मा अंधी है सरकार बेगुनाही का नमूना ढूंढ कर हम क्या करेंगे झूठ की भगदड़ मची है और हांथ में तलवार किरदारों के बीच खड़ी सच बोलती हैं... 
Jyoti Khare  
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वो बेटी है 

जीवन में भरती नव-नव मोद खेलती-कूदती करती विनोद 
जो मनुहार में जीती है , वो बेटी है 
जो रुद्ध कंठ से रोती है झकझोर ह्रदय को करती है 
जो पलकों पर सावन रखती है , वो बेटी है... 
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चिड़ियाँ 

मेरे आंगन के कोने में एक बहुत प्यारी छोटी कोमल सी चिड़ियाँ ने घोंसला बनाया था मैं जब भी आंगन में बैठती वो फ़ुर्र उड़ कर आ जाती फुदकती रहती और अपनी ची ची से मन मोह लेती ... 
प्यार पर Rewa tibrewal  
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Poem for cutest love 

नन्ही कोपल पर कोपल कोकास 
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8 टिप्‍पणियां:

  1. शास्त्री जी को धन्यवाद ' क्रांतिस्वर ' की पोस्ट को इस चर्चा में स्थान देने हेतु।

    जवाब देंहटाएं
  2. अग्रज सादर प्रणाम
    बहुत सुंदर लिंक संयोजन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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