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शुक्रवार, फ़रवरी 16, 2018

"दिवस बढ़े हैं शीत घटा है" (चर्चा अंक-2882)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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ना होती स्त्री मैं तो 


सीमित हूँ 
बहुत.....मैं
शब्दों में....
अपने ही
लेकिन, हूँ
विस्तृत बहुत
अर्थों में... 
धरोहर पर yashoda Agrawal  
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वेलेंटाइन डे के रोज--- 

कल सुबह पत्नी बोली पढ़कर अख़बार ,
अज़ी बोलो कितना करते हो हमसे प्यार !

आज वेलेंटाइन डे के रोज ,
बताइये कितने देंगे हमको रोज... 
अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल  
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3 टिप्‍पणियां:

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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