मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ना होती स्त्री मैं तो
सीमित हूँ
बहुत.....मैं
शब्दों में....
अपने ही
लेकिन, हूँ
विस्तृत बहुत
अर्थों में...
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वेलेंटाइन डे के रोज---
कल सुबह पत्नी बोली पढ़कर अख़बार ,
अज़ी बोलो कितना करते हो हमसे प्यार !
आज वेलेंटाइन डे के रोज ,
बताइये कितने देंगे हमको रोज...
अज़ी बोलो कितना करते हो हमसे प्यार !
आज वेलेंटाइन डे के रोज ,
बताइये कितने देंगे हमको रोज...
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
आदरणीय शास्त्री जी, मेरी पोस्ट को 'चर्चा मंच' में स्थान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
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