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मंगलवार, फ़रवरी 06, 2018

अतिथि देवो भव -चर्चामंच 2871


रविकर की कुण्डलियाँ

अतिथि देवो भव -


अभ्यागत गतिमान यदि, दुर्गति से बच जाय।
दुख झेले वह अन्यथा, पिये अश्रु गम खाय।
पिये अश्रु गम खाय, अतिथि देवो भव माना।
लेकिन दो दिन बाद, मारती दुनिया ताना।
कह रविकर कविराय, करा लो बढ़िया स्वागत।
शीघ्र ठिकाना छोड़, बढ़ो आगे अभ्यागत।।

हरी मुस्कुराहटों वाला कोलाज

गौतम राजऋषि 

अकेली विदाई

smt. Ajit Gupta 

किताबों की दुनिया -163

नीरज गोस्वामी 

मगर मंज़िल नही मिलती, बिना मेहनत किए डटकर-

रविकर 

बिन डगमग करते दिखे, दो डग मग में कर्म

रविकर 

इंसुलिन प्लांट

गगन शर्मा, कुछ अलग सा 

उघारि लीय मुँह

रेवती रमण झा "रमण" 

सुबह के मन का आलस या जिद बहुत खतरनाक होते हैं।

Vivek 
जन्मदिवस की बधाई गुरु जी
चित्र में ये शामिल हो सकता है: 4 लोग, मुस्कुराते लोग, अंदर और भोजन
चित्र में ये शामिल हो सकता है: 3 लोग, मुस्कुराते लोग, लोग खड़े हैं और अंदर

पुस्तक विमोचन की बधाई गुरु जी
चित्र में ये शामिल हो सकता है: 15 लोग, मुस्कुराते लोग, लोग खड़े हैं और पाठ
चित्र में ये शामिल हो सकता है: 2 लोग, लोग खड़े हैं

3 टिप्‍पणियां:

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