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मंगलवार, फ़रवरी 13, 2018

कैलाश पति त्रिपुरारि भोलेनाथ भीमेश्वर नमः; चर्चामंच 2879


हरिगीतिका छंद

रविकर 
कैलाश पति त्रिपुरारि भोलेनाथ भीमेश्वर नमः।
नटराज गोरापति जटाधारी किरातेश्वर नमः।
जागेश बैजूनाथ पशुपति सोम-नागेश्वर नमः।
भूतेश त्रिपुनाशक नमः भद्रेश रामेश्वर नमः।।

बेलेन्टाइन -

रविकर 
बेला वेलंटाइनी, नौ सौ पापड़ बेल ।
वेळी ढूँढी इक बला, बल्ले ठेलम-ठेल । 
बल्ले ठेलम-ठेल, बगीचे दो तन बैठे ।
बजरंगी के नाम, पहरुवे तन-तन ऐंठे।
ढर्रा छींटा-मार, हुवे न कभी दुकेला ।
भंडे खाए खार, भाड़ते प्यारी बेला ।।

दलालों को दूसरे विचार व्यक्त करने वाले भक्त ही लगते हैं, क्योंकि सारी उम्र दलाली में जो गुजरी है

haresh Kumar 

हाईकू

Asha Saxena 

कार्टूनों में देखें कैसा रहा पिछला सप्ताह

Kirtish bhatt 

दोहे "चुम्बन दिवस की शुभकामनाएँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 

शिव रात्रि : दयानंद बोद्धोत्सव ------ विजय राजबली माथुर

विजय राज बली माथुर 

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Anurag Anant 

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2 टिप्‍पणियां:

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