हरिगीतिका छंद
रविकर
कैलाश पति त्रिपुरारि भोलेनाथ भीमेश्वर नमः।
नटराज गोरापति जटाधारी किरातेश्वर नमः। जागेश बैजूनाथ पशुपति सोम-नागेश्वर नमः। भूतेश त्रिपुनाशक नमः भद्रेश रामेश्वर नमः।। |
बेलेन्टाइन -
रविकर
बेला वेलंटाइनी, नौ सौ पापड़ बेल ।
वेळी ढूँढी इक बला, बल्ले ठेलम-ठेल ।
बल्ले ठेलम-ठेल, बगीचे दो तन बैठे ।
बजरंगी के नाम, पहरुवे तन-तन ऐंठे।
ढर्रा छींटा-मार, हुवे न कभी दुकेला ।
भंडे खाए खार, भाड़ते प्यारी बेला ।।
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दलालों को दूसरे विचार व्यक्त करने वाले भक्त ही लगते हैं, क्योंकि सारी उम्र दलाली में जो गुजरी है
haresh Kumar
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हाईकू
Asha Saxena
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कार्टूनों में देखें कैसा रहा पिछला सप्ताह
Kirtish bhatt
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दोहे "चुम्बन दिवस की शुभकामनाएँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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शिव रात्रि : दयानंद बोद्धोत्सव ------ विजय राजबली माथुर
विजय राज बली माथुर
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दिल्ली..!!
Anurag Anant
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कतय सँ ई मुरलीक मधुर गीत उठल
रेवती रमण झा "रमण"
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मुक्त उजाला रहे सदा
Dr Varsha Singh
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दधीच हमारे देश -
udaya veer singh
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दोहे "रखना हरदम मेल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति रविकर जी।
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