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रविवार, दिसंबर 31, 2017

"ले के आयेगा नव-वर्ष चैनो-अमन" (चर्चा अंक-2834)

मित्रों!
2017 की अन्तिम चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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नए साल से 

नए साल,
मैंने पलकें बिछा दी हैं 
तुम्हारे स्वागत में,
तैयारी कर ली है जश्न की;
इंतज़ाम कर लिया है 
थोड़ी-सी आतिशबाजी,
थोड़े से संगीत का;
फैसला कर लिया है 
कि दिसंबर की सर्दी में
आधी रात तक जागकर
तुम्हारे आने का इंतज़ार करूंगा... 
कविताएँ पर Onkar 
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उम्मीदें 

कुछ टूटी थी वो पहले से,
आज और थोड़ा वो टूट गई
वो माटी की गुड़िया सी
काल उनसे आज तुमसे छूट गयी... 
Swaying Hearts पर 
Rajshree Sharma  
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सुख का सूर्य 

सुख का सूर्य है कहाँ, कोई बताए ठौर!
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण देख लिया चहुँ ओर!!
देख लिया चहुँ ओर कि बरसों बीत गए हैं!
चूते चूते घट भी अब तो रीत गए हैं!!
राम कसम अब थककर मैं तो चूर हो गया!
रोज हलाहल पीने को मजबूर हो गया !!... 
Sudha's insights  
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नया वर्ष बालक 

भारत मैं नया वर्ष आता भी एक शिशु के सामान है नन्हे शिशु की मुस्कराहट ह्र्दय मैं पुष्प पल्लवित करती है बसंत ऋतू मैं चारो ओरे हरियाली  छा  जाती है फूल ही फूल खिल जाते हैं धीरे धीरे किशोर होते वह योवन की तरफ बढ़ता है योवन का उल्लास ताप फिर प्रोढ़ अवस्था वर्षा की तरह ताप का शमन होने लगता है बस शीतल वर्ष सा नेह बरसने लगता है  . स्नेह की सरसता कापने लगाती है जेसे जेसे  अंतिम पड़ाव  की ओर बढ़ता है स्वेट चादर पृथ्वी ओढ़ लेती है उसके केशों मैं सफेदी आ जाती है हाथ पैर कपने लगते हैं और अंतिम साँस ले लेता है और फिर शिशु के रूप मैं जन्म लेता है नया साल छोटे बच्चे के रूप मैं... 
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तू ------बस सोचकर बोलना 

...सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक हालिया जजमेंट में कहा है -
         अनुसूचित जाति व् जनजाति समुदाय के व्यक्ति के खिलाफ सार्वजानिक जगह पर फोन पर की गयी जातिगत टिप्पणी अपराध है ,इसमें पांच साल की सजा हो सकती है... 
कानूनी ज्ञान पर Shalini Kaushik 
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कुछ यात्राएँ 

अपने ख़त्म होने के बाद शुरू होती हैं 

यात्रा में

कितने पड़ाव आते हैं
कभी-कभी
बीत जाने के बहुत बाद
कोई एक याद
कोई एक तस्वीर
मुस्कान टाँक जाती है
कुछ यात्राएँ अपने ख़त्म होने के बाद शुरू होती हैं. 
नुशील पर अनुपमा पाठक 
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नए गगन में अब लो पंछी, अपने पंख पसार|| 

सरसी छंद -- बढ़े देश का मान.....
नया साल लेकर आया है, पीत सुमन के हार|नए गगन में अब लो पंछी, अपने पंख पसार||हम बसंत के मस्त पवन में, गाएँ अपना गान|झंडा ऊँचा रहे हमारा, बढ़े देश का मान|... 
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर 'मधु'  
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कोई तो कारण होगा,  

पूजा-स्थलों में प्रवेश के प्रतिबंध का ! 

हमारे देश में कुछ धर्म-स्थल ऐसे हैं, जहां प्रवेश के उनके अपने नियम हैं, जिन पर काफी सख्ती से अमल किया जाता है। इसको ले कर काफी बहस-बाजी भी होती रही है, विरोध दर्ज करवाया जाता रहा है, आंदोलन होते रहे हैं, हो-हल्ला मचा है ! और यह सब उन लोगों द्वारा ज्यादा किया जाता है जिन पर कोई पाबंदी लागू नहीं होती। कुछ लोग जरूर ऐसे हैं जो इंसान की बराबरी के हिमायती होते हैं जो अच्छी बात है; पर विडंबना यह भी है कि ज्यादातर प्रतिवाद करने वालों को प्रतिबंधित वर्ग से उतनी हमदर्दी नहीं होती जितना वे दिखावा करते हैं ... 
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा 
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प्रांत -  

प्रांत के गुपचुप के चटकारे नाम 

नन्ही कोपल पर कोपल कोकास  
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जिन्दगी वादा है तुमसे नये वर्ष का 

palash "पलाश" पर डॉ. अपर्णा त्रिपाठी  
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पोल-खोलक यंत्र -  

अशोक चक्रधर 

कविता मंचपरDigvijay Agrawal 
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कागज़ की नाव 

बचपन बीत गया माना 
अब यहाँ सब अनमना है 
मगर सोचो तो 
कागज़ की नाव बनाना कब मना है... 
अनुशील पर अनुपमा पाठक   

शनिवार, दिसंबर 30, 2017

"काँच से रिश्ते" (चर्चा अंक-2833)

मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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निरुत्तर 

Abhilasha पर Neelima Sharma 
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ये रिश्ते 

हल्की सी ठेस तोड़ जाती 
पल में काँच से रिश्ते... 
Sudhinama पर sadhana vaid 
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जीवन 

अनुशील पर अनुपमा पाठक  
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पत्थर की पूजा करते है .... 

नीतू ठाकुर 

सूखे पत्ते बंजर धरती 
क्या नजर नहीं आती तुमको 
ये बेजुबान भूखे प्यासे 
क्या खुश कर पायेंगे तुमको 
हे इंद्रदेव, हे वरुणदेव किस भोग विलास में खोये हो 
या किसी अप्सरा की गोदी में सर रखकर तुम सोये हो... 
विविधा.....पर yashoda Agrawal 
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शुक्रवार, दिसंबर 29, 2017

"गालिब के नाम" (चर्चा अंक-2832)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

रास्ते शाश्वत हैं 

अनुशील पर अनुपमा पाठक 
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A New Year,  

new food resolution:  

Water 

(HINDI ) 

दिनभर में कमसे कम आठ ग्लास पानी हरेक व्यक्ति को पीना चाहिए ,परम्परा से चली आई है यह सीख। और कुछ माहिर तो इससे ज्यादा पानी रोज़ाना पीने के हक़ में रहे हैं। अच्छी खबर यह है आपको अगर मुश्किल लगता है यह काम ,खासकर कुछ ख़ास दिनों में -ज़रूरी नहीं है आप इतना पानी पीयें ही। जलीय अंश से भरपूर फल एवं भाजियों ,सब्ज़ियों तरकारियों से इसकी बीस फीसद तक आपूर्ति हो सकती है... 
Virendra Kumar Sharma 
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हाइकु काव्य  

(हाइकु पर 10 हाइकु) 

1.  
मन के भाव  
छटा जो बिखेरते  
हाइकु होते।  
2.  
चंद अक्षर  
सम्पूर्ण गाथा गहे  
हाइकु प्यारे। ... 
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम  
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बेचैन निगाहें 

जनवरी का सर्द महीना था ,सुबह के दस बज रहे थे और रेलगाड़ी तीव्र गति से चल रही थी वातानुकूल कम्पार्टमेंट होने के कारण ठण्ड का भी कुछ ख़ास असर नही हो रहा था ,दूसरे केबिन से एक करीब दो साल का छोटा सा बच्चा बार बार ऋतु के पास आ रहा था ,कल रात मुम्बई सेन्ट्रल से ऋतु ने हज़रात निजामुदीन के लिए गोलडन टेम्पल मेल गाडी पकड़ी थी ”मै तुम्हे सुबह से फोन लगा रही हूँ... 
Ocean of Bliss पर 
Rekha Joshi  
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Gataura Men Kavita. 

अब आधी सदी से भी अधिक हो गया। लाल रंग वाले लोहे के रेल पुल की परछाईं तब से अब तक वैसी की वैसी नदी के पानी में उतरा रही है। 
और पुल के तुरन्त बाद वह जो दिख रहा है, गतौरा का रेलवे स्टेशन होगा।पिण्डली भर नदी के पानी में खड़ा होकर मैं,  पुल पर से होकर गुजरने वाली किसी ट्रेन का रास्ता देख रहा था। नदी के पानी में खड़े होकर पुल पर से होकर गुजरने वाली किसी ट्रेन को देखना कैसा लगेगा... 
satish jayaswal  
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पिता.....  

नादिर खान 

विविधा.....पर दिव्या अग्रवाल 
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अबकी बरस 

Purushottam kumar Sinha  
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(राधा तिवारी)  
धर्म हमेशा यही सिखाता 
जीने की है कला बताता 
रामराज्य साकार करो तुम 
खाली झोली सदा भरो तुम 
रावण राज न आने पाये 
दुख के गीत न कोई गाये 
धर्म हमेशा यही सिखाता 
जीने की है कला बताता