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शुक्रवार, दिसंबर 22, 2017

"सत्य को कुबूल करो" (चर्चा अंक-2825)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो 

काथम  पर  प्रेम गुप्ता `मानी'  
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इंग्लिश मौसी.... 

नीतू ठाकुर 

हे परमपूज्य इंग्लिश मौसी 
तुम विश्वमान्य, जगकल्याणी 
तेरे चरणों का दास बना 
इस युग का हर मानव प्राणी... 
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उसे वहाँ होना ही था 

धुँध की व्यापकता में
वहाँ बिखरी अन्यान्य कथाओं में
कविता की भी अपरिहार्य उपस्थिति थी 
उसे
वहाँ होना ही था 
कि
दुखांत अध्यायों के बाद भी
न जीवन रुकता है
न कहानी रूकती है ... 
अनुशील पर अनुपमा पाठक 
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9 टिप्‍पणियां:

  1. हमेशा की तरह उम्दा लिंक्स ।
    मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय शास्त्री जी आपका बहुत बहुत आभार |नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ |

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया प्रस्तुति। आभार 'उलूक'का उसके पन्ने को जगह देने के लिये आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं

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