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मंगलवार, फ़रवरी 20, 2018

"सेमल ने ऋतुराज सजाया" (चर्चा अंक-2886)

मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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चिड़िया 

मेरी भावनायें... पर रश्मि प्रभा. 
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किताबों की दुनिया -165 

नीरज पर नीरज गोस्वामी 
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अलाव 

आओ, अलाव जलाएँ,  
सब बैठ जाएँ साथ-साथ,  
बतियाएँ थोड़ी देर,  
बांटें सुख-दुख,  
साझा करें सपने,  
जिनके पूरे होने की 
उम्मीद अभी बाक़ी है.  
कविताएँ पर Onkar  
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दोहे  

''आलू है पर्याप्त '' 

(राधा तिवारी) 

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सबजी में आलू रहा , पहले से सरताज ।
आलू के बिन है नहीं, बनता कोई काज।।

लौकी-कद्दू बन रहे,  या बनता हो साग।
चलता सबके साथ में, आलू का ही राग... 
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5 टिप्‍पणियां:

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