फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, फ़रवरी 23, 2018

"त्योहारों की रीत" (चर्चा अंक-2890)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

--
--
--
--
--

बेटी तो सदा दिल का 

अरमान होती है !!! 

बेटी बाबुल के दिल का टुकड़ा भैया की मुस्कान होती है,  
आँगन की चिड़िया माँ की परछाईं घर की शान होती है ! ..  
खुशियों के पँख लगे होते हैं उसको  
घर के हर कोने में रखती है अपनी निशानियां 
जो उसकी पहचान होती हैं ... 
SADA 
--

जो हो न सका मेरा,  

मुझे वो मुक़ाम याद आया 

चाहतों के सफ़र में हुआ अंजाम याद आया 
जो हो न सका मेरा, मुझे वो मुक़ाम याद आया।

भुलाने से भी भूलते नहीं तेरे सितम मुझको 
जब भी मिला ज़ख़्म कोई, तेरा नाम याद आया... 
Sahitya Surbhi पर 
Dilbag Virk 
--
--

गीत  

"तुमसे जीवन चलता है"  

(राधा तिवारी) 

जब तुमसे बातें होती है, दिल को अपनापन मिलता है। 
देख तुम्हारी अनुपम छवि को, मेरा उपवन खिलता है... 
--
--

महफ़िल 

दिल कह रहा हैं आज 
फिर एक बार महफ़िल 
तेरी यादों के रंगों से सजा दूँ  
टूटे दिल को  
फ़िर से प्यार के रंगों से सजा दूँ ... 
RAAGDEVRAN पर 
MANOJ KAYAL 
--
--
--
--
--

प्रश्न अनेक 

Akanksha पर Asha Saxena - 
--

स्वप्न ज्ञान 

power पर Anjana kumar  
--
--

8 टिप्‍पणियां:

  1. आज के चर्चामंच में सुन्दर सार्थक सूत्रों का संयोजन ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  2. धन्यवाद मेरी रचना शामिल करने के लिए













    धन्यवाद मेरी रचना शामिल करने के लिए |



    \

    जवाब देंहटाएं
  3. sundar charcha , hardik dhnyavad hamari post ko aapne shamil kiya , suprabhat

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।