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रविवार, मार्च 21, 2010

“जीते-जीते डरते क्यों हो?” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-९५
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं-
आइए आज आपको आज सबसे पहले

प्रेम फ़र्रुखाबादी जी की शानदार गजल पढ़वाते हैं। जिसमें विविध परिभाषाएँ निहित हैं- 
"मेरी पुस्तक - प्रकाशित रचनाएँ : प्रेम फ़र्रुखाबादी"
जीते-जीते डरते क्यों हो - जीते- जीते डरते क्यों हो। डरते -डरते मरते क्यों हो। ख़ुशी नहीं गर दिल में तो यूँ ऊपर से हँसते क्यों हो। उठा नहीं सकते नाजों को बोलो प्यार करते क्यों हो। ...



Taau.in
बैशाखनंदन सम्मान पुरस्कारों की स्थापना : ताऊ रामपुरिया
ताऊ रामपुरियाः-    
माननीय ब्लागर बंधुओं, आप सभी को गुडी पडवा (नव वर्ष) की हार्दिक शुभकामनाएं.
नववर्ष के शुभारंभ के पावन अवसर पर हास्य व्यंग के लिये आज ताऊ डाट इन की तरफ़ से बैशाखनंदन सम्मान पुरस्कारों की स्थापना की घोषणा करते हुये हमें बहुत ही सुखद अनुभूति हो रही हैं.
इस सम्मान का उद्देश्य ब्लाग जगत में हास्य व्यंग के लेखन को प्रोत्साहन देना और हास्य व्यंग्यकारों को सम्मानित करना है. हम जानते हैं कि एक स्वस्थ समाज की सुदृढ़ता के लिए ऐसे लेखन का बहुत महत्व है. इसके लिये समस्त सूचनाएं इस प्रकार हैं.
सम्मान के बारे में:-
1. बैशाखनंदन स्वर्ण सम्मान - 2010 (एक पुरस्कार)
पुरस्कार स्वरुप सम्मान राशि रु. 5,100/= (पांच हजार एक सौ रुपिये)
एवम प्रमाण पत्र
यह पुरस्कार चुनी गई सर्वश्रेष्ठ रचना को दिया जायेगा.
2. बैशाखनंदन रजत सम्मान - 2010 ( पांच पुरस्कार)
पुरस्कार स्वरुप सम्मान राशि रु. 500/= (पांच सौ रुपये) प्रत्येक
एवम प्रमाण पत्र
3. बैशाखनंदन कांस्य सम्मान - 2010 (ग्यारह पुरस्कार)
सभी को सुश्री सीमा गुप्ता की नई प्रकाशित पुस्तक "विरह के रंग" की एक प्रति -
एवम प्रमाणपत्र
अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

- काफी दिनों के बाद जब मै आज अपने इस ब्लॉग पर सुबह सुबह लौटा तो देखा की हमारा सबसे प्यारा बोदूराम तो दिखाई ही नहीं दे रहा है काफी लोगो से पूछताछ करने पर पता ..
अमीर धरती गरीब लोग
 क्या आत्महत्या ही सारी समस्याओं का हल है? - क्या आत्महत्या ही सारी समस्याओं का हल है?ये सवाल मेरे अकेले का नही है और ये अचानक़ ही मेरे दिल-दिमाग में उथल-पुथल नही मचा रहा है।पिछले कुछ दिनों से इस सवाल ..
"हिन्दी भारत"
रोमन कथा वाया बाईपास अर्थात् हिन्दी पर एक और आक्रमण - *रोमन का रोमांस * श्री असगर वजाहत के इस आह्वान को स्वीकार करते हुए मुझे प्रसन्नता है कि '*आज समय का तकाजा है कि हम हिन्दी भाषा की लिपि पर विचार करें और इस..
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से.....
सास का ओढना बनता है पतोहू का नकपोछना... - इस कहावत का अर्थ है -“ एक पीढ़ी के धरोहर अगली पीढ़ी के लिए बेकार होते हैं या कहें कि अगली पीढ़ी के लिए वे बहुत ज्यादा मायने नहीं रखते हैं.” सास के लिए जो ..
नन्हें सुमन

"मेरा विद्यालय" - *विद्या का भण्डार भरा है जिसमें सारा।* *मुझको अपना विद्यालय लगता है प्यारा।।* * * *नित्य नियम से विद्यालय में, मैं पढ़ने को जाता हूँ।* *इण्टरवल जब हो जाता ..
मसि-कागद  
अनुभूतियाँ------->>>दीपक 'मशाल'

- प्रकाश के व्युत्क्रम से जब.. मन घबरा जाता है, सोना-जागना/ खाना-पीना.. जीवन का क्रम बन जाता है.. सर-दर्द तो मुझको याद है रहता अपनी स्वयं की देह का, आसपास की...
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अंधड़ !
साठ साल मे अक्ल न आई.....! - संशोधित: साठ साल मे अक्ल न आई,अपने इन भिखमंगों को । चुन-चुनकर संसद भेज रहे, लुच्चे और लफ़ंगो को ॥ चमन उजाडने वाला ही, बन बैठा बाग का माली है । बस,दुराचार के..
ज़िन्दगी
गर प्यार से छू ले - आज भी सिहर जाए रोम रोम गर तू प्यार से छू ले मुझे आज भी डूब जाऊँ नैनों की मदिरा में गर तू नज़र भर देख ले मुझे आज भी बंध जाऊँ बाहुपाश में तेरे गर तू स..
naturica
दौर - ए - बाज़ार, न देखा जाए - हुस्न के हाथ में इश्तिहार, न देखा जाए। और ये दौर - ए - बाज़ार , न देखा जाए ॥ पढ़-लिख के धन वालों का, जवां हाथों को सिर्फ बनते हुए औजार,न देखा जाए॥ मेरे महब..
bhartimayank
 IMG_0970 "रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-25" (अमर भारती) -
*रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-25 में * ** *आप सबका स्वागत है।* आपको पहचान कर निम्न चित्र का नाम और स्थान बताना है। [image: IMG_paheli25] *उत्तर देने का समय..
भारतीय नागरिक - Indian Citizen
आज की चित्र पहेली - इन तस्वीरों को देखकर बताईये कि

यहां क्या हो रहा है? ये चित्र मेरे एक मित्र ने उपलब्ध कराये हैं.
हिंदी ब्लॉगरों के जनमदिन
आज ललित शर्मा का जनमदिन है - आज, 21 मार्च को ललित वाणी, ललितडॉटकॉम, चर्चा पान की दुकान पर, शिल्पकार के मुख से, चिट्ठाकार-चर्चा आदि वाले ललित शर्मा का जनमदिन है। इनका ईमेल पता shilpkar..
काव्य मंजूषा
मेरा धर्म बड़ा है , तुम्हारा धर्म छोटा, अल्लाह बड़ा है, भगवान् छोटा...... -

आये दिन सुनती रहती हूँ , मेरा धर्म बड़ा है , तुम्हारा छोटा, अल्लाह बड़ा है, भगवान् छोटा...और सोचती हूँ क्या ईश्वर को परिभाषित करना इतना आसन है ? क्या ईश्व...
अविनाश वाचस्पति   
अदरक के स्‍वाद पर एक नया मुहावरा बतलायें (अविनाश वाचस्‍पति) - एक कुत्‍ता अदरक खाने की कोशिश कर रहा था। उसे बार बार देख रहा था। जीभ से चाट रहा था। उलट पलट रहा था पर सुलट नहीं पा रहा था। उसकी खुशबू उसे सतर्क कर रही थी। ..
शब्दों का सफर    
नाम में क्या रखा है… [नामकरण-1] - आश्रय का निर्माण होने के बाद उसका नामकरण करने की परिपाटी भी प्राचीनकाल से ही चली आ [image: h1]रही है। यह आश्रय चाहे राष्ट्र हो प्रांत हो, नगर हो अथवा ग्रा..
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर

विगत दिनों अल्प प्रवास पर जबलपुर आये अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध संगीत व्याख्याता श्री राज ठाकुर से ली गई भेंट वार्ता - *"हिंदी साहित्य संगम जबलपुर" की पिछली पोस्ट में हमने अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध तबला वादक एवं महर्षि महेश योगी संस्थान से जुड़े संगीत व्याख्याता श्री राज ठाकु..
प्रतिभा की दुनिया ...!!!

बाबुल जिया मोरा घबराये - बाबुल जिया मोरा घबराये बिन बोले रहा न जाये बाबुल जिया मोरा घबराये... बाबुल मेरी इतनी अरज सुन लीजो मोहे सुनार के घर न दीजो मोहे $जेवर कभी न भाये बाबुल जिया म...
देशनामा  
मेरी डबल सेंचुरी और भगवान लापता...खुशदीप - ब्लॉगिंग में जितने प्यार की मैं उम्मीद के साथ आया था, उससे दुगना क्या, कहीं ज़्यादा गुना मुझे मिला...देखते ही देखते ये मेरी 200वीं पोस्ट आपके सामने हैं.....
शब्द-शिखर

कंक्रीटों के शहर में गौरैया (विश्व गौरैया दिवस पर) - गौरैया भला किसे नहीं भाती. कहते हैं कि लोग जहाँ भी घर बनाते हैं देर सबेर गौरैया के जोड़े वहाँ रहने पहुँच ही जाते हैं। पर यही गौरैया अब खतरे में है. पिछले क.
Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
     

कार्टून:- पाकिस्तान ने भी मनाया गौरैया दिवस !
शेरशाह सूरी के घोड़े 
Mar 21, 2010 | Author: डाकिया बाबू | Source: डाकिया डाक लाया
मेरी स्मृति में अब भी दौड़ते हैं शेरशाह सूरी के घोड़े
बोल री कठपुतली
Mar 21, 2010 | Author: Prof. Prakash K. | Source: राजभाषा हिंदी
यह कार्टून मोदी के 'पीआरओस 'के लिए नहीं है!
Mar 21, 2010 | Author: IRFAN | Source: नुक्कड़

बूझो तो जाने ?
Mar 21, 2010 | Author: राज भाटिय़ा | Source: मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay.
भाई कभी कभी पहेली पुछने का हमारा दिल भी करता है, तो पुछ ही लेते है.... जबाब तो आप ने ही देना है, देखे किस का जबाब सही आता है माडरेशन चालू है जी, ओर २३, या २४ तारीख को विजेता घोषित किया जायेगा.... बस ध्यान से इस चित्र को देखे ओर फ़िर बताये कि यह किस देश मै है, ओर क्या ऎसा हो सकता है???
भगत सिंह के वैचारिक शत्रु
Mar 21, 2010 | Author: Suman | Source: लोक वेब मीडिया
शहीद भगत सिंह ब्रिटिश साम्राज्यवाद को इस देश से नेस्तनाबूत कर देना चाहते थे। ब्रिटिश साम्राज्यवादियो ने अपने मुख्य शत्रु को 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी थी । ब्रिटिश साम्राज्यवाद के दुनिया में पतन के बाद उसकी जगह अमेरिकन साम्राज्यवाद ने ले ली। आज देश में अमेरिकन साम्राज्यवाद के पिट्ठू जाति, भाषा, धर्म के विवाद को खड़ा कर देश की एकता और अखंडता को कमजोर करना चाहते हैं। वास्तव में यही भगत सिंह की विचारधारा के असली शत्रु हैं । इन शत्रुओं का और अमेरिकन साम्राज्यवाद के पिट्ठुओं का हर जगह विरोध करना ..
ईमानदार आदमी से बेहतर कुछ नहीं होता
Mar 21, 2010 | Author: Ashok Pande | Source: कबाड़खाना
रोम्यां रोलां का उपन्यास ज्यां क्रिस्तोफ़ चार खण्डों में बांटा गया है - भोर, सुबह, यौवन और विद्रोह. आज आपले सम्मुख प्रस्तुत है उपन्यास का शुरुआती हिस्सा. इस हिस्से का अगला अंश एक या सम्भवतः दो किस्तों में आप को पढ़वाऊंगा. किताब दर असल इतनी लम्बी है कि उस के कुछ हिस्सों को पूरा का पूरा लगाने के लिए हो सकता है एक ब्लॉग अलग से बनाना पड़े.भोरघरों के पीछे से नदी का गुनगुनाना सुनाई देता है. सारे दिन बारिश….
मेहनतकश जंग लड़कियों को सिखाती है इंतज़ार करना
Mar 21, 2010 | Author: शरद कोकास | Source: शरद कोकास
                                                             नवरात्रि छठवाँ दिन आपने अब तक इन्हे पढ़ा - प्रथम दिन से लेकर आपने अब तक फातिमा नावूत , विस्वावा शिम्बोर्स्का, अन्ना अख़्मातोवा .गाब्रीएला मिस्त्राल और अज़रा अब्बास की कवितायें पढ़ीं । आप सभी अच्छी कविता के प्रशंसक हैं  - कल प्रकाशित अज़रा अब्बास की कविता पर खुशदीप सहगल , संजय भास्कर ,जे. के. अवधिया , अरविन्द मिश्रा , गिरीश पंकज . प्रज्ञा पाण्डेय , सुशीला पुरी , शोभना चौरे , रश्मि रविजा , रश्मि प्रभा  , बबली , वाणी गीत , वन्दना , रचना ...
गृहदाह - शरत का चर्चित उपन्यास और इसकी नायिकाये
Mar 21, 2010 | Author: HARI SHARMA | Source: शरत चन्द्र की कहानियों के अद्भुत नारी पात्र
शरत चन्द के इस चर्चित उपन्यास मे २०वे सदी के शुरूआत के बंगाल  के सामाजिक परिवेश और  सांस्कृतिक परिदृश्य का परिचय मिलता है. उपन्यास के माध्यम से शरत परम्परागत हिन्दू समाज और ब्रह्म समाज के बीच संघर्ष से परिचय कराते  है. , ग्रामीण रूढीवादी  समाज और सभ्य कहे जाने वाले शहरी जीवन के विश्वास और  मूल्यो के बीच के फ़र्क पर भी उन्लेहोने प्रकाश डाला है. इस उपन्यास मे शरत मानवीय प्रेम, विश्वास और विवाह संस्था की तथाकथित मजबूती पर प्रश्न खडे करते है.
छोटी छोटी बात में भी मौलिक सोंच के सहारे कोई व्‍यक्ति आगे बढ सकता है !!
Mar 21, 2010 | Author: संगीता पुरी | Source: गत्‍यात्‍मक चिंतन
पिछले दिनों सहारा इंडिया की विभिन्‍न प्रकार के बचत स्‍कीमों के लिए काम कर रहे एक एजेंट के बारे में जानकारी मिली। रोजी रोटी की समस्‍या से निजात पाने के लिए वह इसका एजेंट तो बन गया , पर यहां भी राह आसान न थी। पांच दस रूपए व्‍यर्थ में बर्वाद करनेवाले और कभी दस पंद्रह हजार रूपए की जरूरत पर महाजनों के यहों बडी ब्‍याज दर पर पैसे लेने वाले छोटे छोटे लोगों को वह गांव गांव , मुहल्‍ले मुहल्‍ले जाकर बचत के बारे में समझाता फिर रहा था। शहर से लेकर गांव तक की यात्रा में सब , खासकर महिलाएं उनकी बातों से प् ...
मेरी नन्हीं गौरैया
Mar 20, 2010 | Author: पाखी | Source: पाखी की दुनिया
मुझे गौरैया बहुत अच्छी लगती है। उसकी चूं-चूं मुझे खूब भाती है. कानपुर में थी तो हमारे लान में गौरैया आती थीं. उन्हें मैं ढेर सारे दाने खिलाती थी. दाने खाकर वे खुश हो जातीं और फुर्र से उड़ जातीं. हमारे लान में एक पुराना सा बरगद का पेड़ था, उस पर गौरैया व तोते खूब उधम मचाते. वहीँ एक बिल्ली भी थी, वह हमेशा उन्हें खाने की फ़िराक में रहती. उस बिल्ली को देखते ही मैं डंडे से मारने दौड़ती.
टूटा हूँ पर टूटा नहीं हूँ
Mar 21, 2010 | Author: M VERMA | Source: यूरेका
मैं जिस विद्यालय में कार्यरत हूँ वहाँ का एक पेड़ हवा के एक झोके से टूट गया पर हार नहीं माना. जमीन पर पड़े पड़े अपने वजूद से खुद को जोड़े रखा और फिर से अपनी हरीतिमा को वापस पा लिया और हवा को शुद्ध करने का कार्य अनवरत जारी रखे हुए है. इस जीजीविषा को नमन. आप भी देखें
ऑडिएंस को मैच्योर करनेवाली फिल्मः लव,सेक्स,धोखा-विनीत कुमार
chavanni chap (चवन्नी चैप)
विनीत कुमार की यह पोस्‍ट उनकी अनुमति से चवन्‍नी छाप रहा है। आप भी अगर कुछ सिनेमा पर लिख रहे हैं तो यहां साझा कर सकते हैं। पता है chavannichap@gmail.com

आज का चर्चा मंच का 
बुलेटिन समाप्त करने की 
आज्ञा चाहता हूँ!

19 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय मयंक जी
    सादर अभिवंदन
    निश्चित रूप से आपके द्वारा संयोजित चिटठा चर्चा विस्तृत और सारगर्भित है, आपकी चर्चा को पढ़ कर ब्लॉगर भाई/ बहनों की पोस्टों को पढने की इच्छा जागृत हुई,
    जहाँ तक मैं मानता हूँ यही सफलता की निशानी भी है.
    - विजय तिवारी " किसलय "

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  2. बढिया तरीके से की गई बहुत ही रोचक चर्चा......
    धन्यवाद्!!

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  3. बढ़िया चर्चा.

    हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

    लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

    अनेक शुभकामनाएँ.

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  4. शास्त्री जी,
    आपका चर्चा के लिए निस्वार्थ समर्पण...

    ये ऊर्जा देखकर हमें भी अथक लेखन की प्रेरणा मिलती रहती है...

    जय हिंद...

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  7. आदरणीय शास्त्री जी,(बड़े भाई )
    मेरी कविता को अपने ब्लॉग पर स्थान देकर मुझे आपने सचमुच बहुत ख़ुशी दी है.अपनी रचना को तो सब महत्त्व देते हैं लेकिन आप दूसरे ब्लोगरों की रचना को महत्त्व देकर मायने में एक साहित्यकार का धर्म निभा रहे हैं जो बहुत ही सराहनीय है. ऐसा मनोज मिश्र जी जबलपुर वाले भी कर रहे हैं.दूसरों का हित साधने वाले बहुत विरले ही होते है.ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि आपके इस पुनीत कार्य में सब ब्लोगर भाई सहयोग करेंगे।
    आपकी विचारधारा सचमुच सराहनीय है.दिल से आपको बधाई !

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  8. vijay tiwari ji ne sab kuch kah diya uske baad to shayad kahne ko kuch bacha hi nhi aur yahi aapki sabse badi uplabdhi hai.shandar charcha ke liye aabhar.

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