नमस्कार , लीजिए आ गया फिर मंगलवार …वर्ड कप की जीत का जश्न और जादू अभी तक छाया हुआ है ..जहाँ एक ओर ये जश्न है तो कहीं मन में यह प्रश्न भी कुलबुलाता है कि जब देश की रक्षा करते हुए सैनिक जीतते हैं तो क्या ऐसा जश्न होता है ? क्या उनको इतने पुरस्कारों से नवाज़ा जाता है ? तो क्या सैनिकों से ज्यादा अहमियत क्रिकेट खिलाड़ी रखते हैं ….काश हमारी सरकार देश पर शहीद होने वाले सैनिकों और देश की रक्षा करने वाले सैनिकों का भी ऐसे ही हौसला बढाते …खैर इस जश्न के माहौल में बेसुरा गीत छोड़ हम चलते हैं आज की चर्चा पर … और करते हैं नए वर्ष का स्वागत शुभकामनाओं से …. |
"मंगलमय हो वर्ष"नवसम्वतसर सभी का, करे अमंगल दूर। देश-वेश परिवेश में, खुशियाँ हों भरपूर।। |
![]() टूटी ऐनक से झांकती धब्बेदार, धुँधलाई और घबराई हुई दो बुढ़ी आँखें... उम्र की मार खाये लड़खड़ाते दरख्त को छड़ी के सहारे टिकाये |
किरण लिखे नव गीत घंटियाँ बजाती लौटती कलोरों पर पर्वत के छोरों पर उतरी है शाम | ![]() मुझे पता था तुम वापस आओगे मगर मेरे रंगों को किसी अंधे कुएं मे |
![]() हो गयी तक्सीम अब्बा की हवेली माँ तभी से हो गयी कितनी अकेली |
गिन गिन दिन गिन इन्तजार कर प्रहार कर | | ![]() कैसा यह मुक्तिगान !!ओ ! री शकुंतलाकैसा यह मुक्तिगान दुष्यंत को समर्पण कण्व की अनुमति बिना |
![]() "बाहों में आया आकाश"![]() अट्ठाईस बरसों का इतिहास, बदलने आया पल ये ख़ास। जीया है इन पलों को हमने, थाम के दिल और रोक के श्वास। |
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इदन्नममचाहता हूं जब कि, कह दूं खिलखिलाकर तुम हंसो एक बरछी वेदना की घातिनी बन बींध जाती है. |
![]() मेरा कमराकितना अच्छा लगता है जब अपने चहरे पर टँगी औपचारिक मुस्कुराहटों को सायास उतार मैं खूँटी पर टाँग आती हूँ |
![]() घर - दो कविताएं | एक प्रश्न |
यह बात उन दिनों की है , जब हमारे आँगन में खुशियाँ महकतीं थीं नीम और सरसों के फूलों में ही और ठण्डक देती थी |
![]() | ![]() सदा मन की भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए पूछ रही हैं कि -- कैसा है यह प्यारमुझे तुम्हारे प्यार की परिभाषा समझ में नहीं आती |
..अफज़ल का विकेट जब गिरे फांसी के तख़्त परइस विश्व-कप का जश्न तब मनेगा मेरे घर. अफज़ल का विकेट जब गिरे फांसी के तख़्त पर. अफ़ज़ल,कसाब हैं असल जांबाज़ बल्लेबाज़. जो, कर सको, करो ज़रा इनको भी कुछ नासाज़ . |
खिली जो /मेरे होठों पे , /वो मुस्कान तुम से है... /नमी पलकों पे /आ ठहरी , बनी अनजान /तुम से है .. | ![]() स्वप्निल कुमार “ आतिश “ की एक खूबसूरत गज़ल - फूँकते वक्त था ध्यान मेंफूँकते वक्त था ध्यान में इसलिए आ गया तान में |
हर सिहरते रिश्ते / को , /जमीन देते हैं चंद प्यार की फुहारे |
हर इन्सान में जज्बा है सच बोलने का फिर भी वो झूठ से बचा नहीं है | | ![]() जिसको भी मैंने छू लिया वो हो गया भगवान, इसलिए मुझसे नहीं अब मिलता कोई इंसान। |
साहित्य प्रेमी संघ पर पढ़िए आशा जी की नज़्म -- खुली किताब का एक पन्ना ![]() नहीं किसी को बहकाते , न कोई बात छिपी उससे , |
तारो के पार एक जहान बसता है, बचपन जिसमे अपने सपने बुनता है, | ![]() आते आते यार समंदर आते आते यार समंदर. लौट गया हर बार समंदर. मैं सहरा हूँ मुझ में भी है रेत का पानीदार समंदर. |
इस बार विश्व कप का जादू कुछ ऐसा छाया कि ब्लॉग जगत में कविताओं का अकाल सा हो गया .. पहले सेमी फाईनल और उसकी जीत का जोश और फिर फाईनल जीतने की उम्मीद … और अब जीत का जश्न …..तो मुझे भी मौका मिला कि सप्ताह की बंदिश तोड़ कर इस बार आपके समक्ष उन रचनाओं के लिंक ले कर आऊँ जिनको कम ही पाठकों ने पढ़ा है …तो हाज़िर हैं ब्लॉग जगत के कुछ स्तंभों की रचनाएँ …. |
वो कौन है जो सूरज को ढक लेता है? वो कौन है जो अन्धकार बोता है? | ![]() रौशनी का लाल गोला खो गया है सहर से बच गए थे चंद लम्हे ज़िंदग़ी के कहर से साँस अब लेने लगे हैं वो तुम्हारे हुनर से |
![]() सन्नाटा अन्दर हावी है , घड़ी की टिक - टिक....... दिमाग के अन्दर चल रही है । आँखें देख रही हैं , ...साँसें चल रही हैं |
आलेख प्रेम का लिखा जब बारूद की कलम से किस्मत के हाथों उसे बंचवाती कैसे ! तुम ही कहो ...आभार प्रेम का मनाती कैसे !! | ![]() अनामिका जी बता रही हैं कि ज़िंदगी की धूप छाँव में कब और कैसे पसर जाता है –शून्य धूप छाव सी ये जिंदगी जहा छाव भी पळ भर को आती है .. और फिसल जाती है, |
विश्व विटप की डाली पर है, मेरा वह प्यारा फूल कहां! है सुख की शीतल छांव कहां, चुभते पग-पग पर शूल यहां! |
हो वेदकलीन तू मनस्वी या राज्य स्वामिनी तू स्त्री रही सदा ही पूजनीय तू बन करुणा त्याग की देवी | ![]() हरकीरत “ हीर “ जी की एक नज़्म पेश है ..प्रत्युत्तर हाँ; मैं चाहती हूँ सारे आसमां को आलिंगन में भर लूँ... |
हर मौसम को आते देखा, हर मौसम को जाते देखा हर उत्सव एक नये तरीके, उसको गीत सुनाते देखा. |
चलते चलते --- सत्यम शिवम जी अपने पापा का जन्म दिन मना रहें हैं कुछ इस तरह … पापा मेरे -- ![]() अपने पापा के लिए दुनिया की सारी खुशियाँ माँगता हूँ और दुआ करता हूँ उस परमशक्ति से कि मेरे पापा निरंतर अध्यात्म की गूढ़ उँचाईयों को छूते रहे....हम पर आपका स्नेह और आशीर्वाद यूँ ही बना रहे... पापा मेरे सबसे अच्छे है, दिल के वो कितने सच्चे है। पापा के लिए है क्या कहना, वो तो है परिवार का गहना। हमारी ओर से बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें |
आज की मिली –जुली चर्चा आपको कैसी लगी ? आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार है …आपके दो शब्द चर्चाकार का हौसला बढाते हैं …आपके सुझावों के लिए हमेशा आभारी रहेंगे … चलिए फिर मिलते हैं अगले मंगलवार को , एक नयी चर्चा के साथ ----- नमस्कार … संगीता स्वरुप |
बहुत शानदार चर्चा...पुरानी पोस्ट का जिक्र अनुपम है. आभार.
जवाब देंहटाएंधाकड़ ब्लॉगर्स भी कभी नये थे ... नये ब्लॉगर्स को इससे काफी सीखने को मिलेगा ...
जवाब देंहटाएंमेरी पुरानी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए बहुत आभार ...
सभी अच्छे लिंक्स!
नव संवत्सर की बहुत शुभकामनायें !
नव वर्ष शुभ और मंगलमय हो |बहुत सटीक चर्चा
जवाब देंहटाएंबधाई|मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बहुत आकर्षक चर्चा प्रतीत हो रही है आज की ! प्रत्येक लिंक पर जाना चाहती हूँ ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने मेरी रचना को इसमें स्थान दिया ! इतनी सुन्दर चर्चा के लिये आपका हार्दिक अभिनन्दन ! साभार !
जवाब देंहटाएंसवेरे सवेरे इतनी प्रभाव शाली prastuti से man खुश हो गया.मानो जीवन ही खुशियों से भर गया.aabhar....
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंकों का चयन। नए और पुराने लिंक साथ में चर्चा मंच की गरिमा में श्रीवृद्धि कर रहे हैं।
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा , आभार
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा
जवाब देंहटाएंचर्चामंच पर दूसरी बार प्रस्तुति | बहुत धन्यवाद | सचमुच चर्चामंच पर आकर रचना अधिक चर्चा पाती है | ज्यादा लोग पढ़ते है , और क्या चाहिए ?
जवाब देंहटाएंसब सुधीजनों का ह्रदय से आभार | चर्चामंच का कृतज्ञ हूँ |
दीदी ,
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह भिन्न भिन्न पुष्पों से सजा यह गुलशन मन-मस्तिष्क को महका गया ..मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने का आभार ..
सादर
मुदिता
bahut badhiya links mile aaj
जवाब देंहटाएंsangeetaa ji
khoobsoorat links ke liye aabhaar aur meri kavita ko sthan dene ke liye dhanyavaad !
लगभग सारी चर्चा पढ ली है और काफ़ी नये लिंक्स भी मिले…………उन्हे भी फ़ोलो किया है……………आज की सार्थक चर्चा के लिये बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ...।
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा !!
जवाब देंहटाएंवाह संगीता दी मजा आ गया और वो भूमिका "खिलाडी और सैनिकों" के बारे में दिल को छू गयी. मेरी कविता को आज की चर्चा में स्थान दने के लिए आभार नव संवत्सर की बहुत शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसंगीता जी...नमस्कार,क्या कहूँ?आपकी चर्चा तो हमेशा की तरह लाजवाब है...आज तो दो तीन और सितारे जुड़ कर चार चाँद को छः चाँद बना दिया है........सभी लिंक्स एक से एक...सब को पढ़ रहा हूँ एक एक कर........................मेरे पापा के जन्मदिन वाली कविता लेने के लिए आभार और धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी आपने मेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान दिया हृदयसे आभारी हूँ समय समय पर आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती हैं उसके लिए भी बहुत बहुत धन्यवाद ...चर्चा मंच अपने आप में अनूठा है बेतरीन रचनाएं आपके द्वारा छाँटकर प्रस्तुत किये जाने से सार्थकता सिद्ध होती है
जवाब देंहटाएंनव संवत्सर सदैव शुभ हो
शानदार चर्चा ... मेरी NAI पुरानी पोस्ट को स्थान देने के लिए बहुत आभार ...
जवाब देंहटाएंनव संवत की शुभ कामनाएँ |
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सजी अद्भुत चर्चा . बहुत सारे अच्छे लिंक्स मिले पढने को .
जवाब देंहटाएंहर बार नए कलेवर में रोचकता से चर्चा सजाना आपकी खासियत है.
जवाब देंहटाएंधाकड ब्लोगर भी कभी नए थे ...अच्छा प्रयास है.शायद उन नए ब्लोगरों को कुछ सुकून आये जिन्हें शिकायत होती है कि उन्हें कोई नहीं पढता. :)
सार्थक सुन्दर प्रेरक चर्चा.आभार.
संगीता स्वरूप जी!
जवाब देंहटाएंआपका यह प्रयोग सफल रहा!
विविधरूपों में चर्चा करके आप चर्चा मंच को जीवन्तता प्रदान करती हैं!
आपका आभार!
चर्चा बहुत सुंदर रची है, सुंदर लिनक्स देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. खोजना आसान नहीं होता. मेरी कविता को शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat charcha
जवाब देंहटाएंmujhe iska banake ko bahut bahut aabhar
sarthak charcha....
जवाब देंहटाएंachchhe links...
बहुत सुन्दर चर्चा...सुन्दर लिंक्स..आभार
जवाब देंहटाएंnaye naye ideas charcha manch ke liye sanjeevani booti ka kaam karte hain. aur aapke to sheershak ne hi dhakad kaam kar diya. bahut acchhe links se susajjit charcha par apki mehnat dikhayi deti hai. meri purani post ko sanjeevni booti dene ke liye aabhar.
जवाब देंहटाएंबहुत सारी अच्छी रचनाएं एक साथ देख कर अच्छा लगा । मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिये आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स से सजी चर्चा के लिए आभार दी.... पता नहीं क्या बात है टिप्पणी करने में दिक्कत आ रही है.... शायद कुछ तकनीकी समस्या हो जो समझ नहीं आ रही है....
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल करने हेतु सादर धन्यवाद....
सादर...