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रविवार, अप्रैल 24, 2011

रविवासरीय (24.04.2011) चर्चा

 

नमस्कार मित्रों!


मैं मनोज कुमार एक बार फिर हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा के साथ। दिन व्यस्त गया, इसलिए चर्चा छोटी और संक्षेप में।
My Photo१.

उम्र का ये पड़ाव कैसा है !

"अर्श"

उम्र का ये पड़ाव कैसा है !

ख्वाहिशों का अलाव कैसा है !!

हसरतें टूट कर बिखर जाये ,

काइदों का दबाव कैसा है !!
My Photo2.

शरद की डायरी

Anu Singh Choudhary

हम आज मॉल गए थे। सेल लगी है ना, तो ढ़ेर-सारी शॉपिंग के लिए। मम्मी ने वो सारे कपड़े खरीदे जो मैं चाहता था। एक शर्ट को छोड़कर। कितनी कूल शर्ट थी। शर्ट के साथ टाई भी अटैच्ड थी, और पीछे बेनटेन कीफोटो भी छपी थी। आज हमने मेरी पसंद का खाना भी खाया। एक कविता लिखी है मैंने, सुनोगे?
EDITOR3.

बुल्ले शाह 

  chandan singh bhati

मुरली बाज उठी अघातां,

मैंनु भुल गईयां सभ बातां।

लग गए अन्हद बाण नियारे,

चुक गए दुनीयादे कूड पसारे,

असी मुख देखण दे वणजारे,

दूयां भुल गईयां सभ बातां।

4.

इश्वर देता है|

Patali-The-Village
भीख लेने के बाद बूढ़ा भिखरी कहता था इश्वर देता है| जवान भिखारी कहता था हमारे महाराज की देन है| एक दिन राजा ने उन्हे आम दिनों से जादा धन दिया| छोटे खिखरी ने कहा हमारे महाराज की देन है| बूढ़े भिखरी ने कहा इश्वर की  देन  है|
रँजन ऋतुराज5.

मेरा गाँव - मेरा देस - दादी की कहानी :)) 

  by रंजन
लाठी से ना सुन ...अब चिड़िया 'आग' के पास गयी ! आग से विनती किया - आग आग ...लाठी जलाव ..लाठी ना  सांप मारे ....सांप ना राजा डंस ...राजा ना बढ़ई डंडा मारे ..बढ़ई ना खूंटा चीरे ...खूंटा में हमार दाल बा ..का खाई ..का पी ..का ले के परदेस जाईं ! आग को बहुत गुस्सा आया ....और वो चिड़िया को भगा दिया और बोला ..मुर्ख चिड़िया ..मै तुम्हारे एक दाना के लिए ...लाठी को जला दूँ ...ऐसा कभी नहीं हो सकता ..भागो यहाँ से ...!
My Photo6.

कभी मुसव्विर * तो कभी शायर बनाया हमको

vandana

जिंदगी कि राह  में अकेला  कर दिया हमको 

फिजूल  कि बस उन दो चार  मुलाकातो  ने ..


धंस गयी दीवारे बिखर गए सब  छप्पर 

क्या किया  देखो , बिन मौसम बरसातो ने ..
My Photo7.

लक्जरियॉटिक गरीबी

सतीश पंचम

गरीबी को अब तक मैं दुख और तमाम अभावों से आच्छादित एक परिस्थिती के रूप में ही जानता आया था लेकिन आज देख रहा हूं कि गरीबी लक्जरीयॉटिक भी होती है, इतनी कि गरीब एअर कंडीशन की हवा लेते आराम से अंगरेजी में हंसता बतियाता है, अपने अमेरिकन टूरिस्टर जैसे महंगे लगेज बैगेजेस के बीच से हारमोनिया की तरह का लैपटॉप निकालता है और बज पर बजबजाता है।
मेरा फोटो8.

राजभाषा विकास परिषद: दूरदर्शन व आकाशवाणी के राष्ट्रीय प्रसारणों की हिंदी भाषा- कठिनता और समझ में आने के आरोप और परख की कसौटी

डॉ. दलसिंगार यादव

My Photo9.

नदी के आईने में

सुशीला पुरी

प्रेम करती हूँ तुम्हे
प्रेम करती हूँ तुम्हे ...!
सघन पेड़ों के बीच जैसे
हवा सुलझाती है अपने को,
चमकता है चाँद

फास्फोरस की तरह
नदी के घुमक्कड़ पानियों पर,
10.

दस फीसदी महिलाएं पॉलिसिस्टिक ओवरी की शिकार

कुमार राधारमण
लगभग दस प्रतिशत महिलाएं स्टेन लेवेंथल सिंड्रोम या पॉलिसिस्टिक ओवरी डिसीज की चपेट आ रही हैं। इसका समय पर इलाज न होने से बांझपन होने के अलावा एंडोमेट्रियल कैंसर या कार्डिक की बीमारी भी हो सकती है। यह कहना है मुम्बई की विशेषज्ञ डा. अनी बीआर गांधी का।
My Photo11.

हथेली खाली हो चुकी...

डॉ. जेन्नी शबनम

मेरी मुट्ठी से आज फिर
कुछ गिर पड़ा
और लगता कि
शायद अंतिम बार है ये
अब कुछ नहीं बचा है गिरने को
मेरी हथेली अब खाली पड़ चुकी है|
My Photo12.

छात्रों को डॉक्टर और इंजीनियर बनने में मदद करेगी 'पहल' 

  शिक्षामित्र
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले जिन छात्रों ने डॉक्टर और इंजीनियरिंग बनने का सपना दिलों में संजो रखा है और इसकी तैयारी के लिए महंगी कोचिंग ले पाने स्थिति की में नहीं हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। उनके डाक्टर और इंजीनियर बनने का सपना साकार करेगी-पहल
13.

23 अप्रैल -विश्व पुस्तक दिवस पर

हिंदी-विश्व
महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय का महापंडित राहुल सांकृत्‍यायन केंद्रीय पुस्‍तकालय पुस्‍तकालय विज्ञान से संबंधित अत्‍याधुनिक सेवाएं प्रदान करने के लिए तत्‍पर हो गया है। विश्‍व‍ पुस्‍तक दिवस के अवसर पर विश्‍वविद्यालय में अध्‍यययनरत छात्रों के लिए इस पुस्‍तकालय में दी जाने वाली सेवाओं के संदर्भ में जानकारी मिली कि पुस्‍तकालय में लगभग एक लाख से भी अधिक पुस्‍तकें तथा विभिन्‍न भाषाओं के लगभग 83 जर्नल और मैगजीन विद्यमान हैं।
मेरा फोटो14.

दलित की परिभाषा !

रेखा श्रीवास्तव
कुछ लोग अपनी सोच से ये परिचय दे देते हैं कि वे किस काबिल हैं और उनकी सोच क्या है?उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री वैसे तो दलित प्रेमी हैं और वे सिर्फ और सिर्फ दलितों का ही भला करनेवाली अपने को कहती हैं लेकिन जहाँ वाकई दलित हैं वहाँ के बारे में उनको कितना ज्ञान है? वे वहाँके लोगों के जीवन के बारे में कितना जानती हैं।खुद को दलितों का मसीहा कहलाने में उनको फख्रहोता होगा । लेकिन हर जगह और हर मुद्दे पर जाति को लेकर हितैषी होने का तमगा उनको नहींमिल जाताहै।
मेरा परिचय15.

"गर्मी को तुम दूर भगाओ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

from उच्चारण

चलतीं कितनी गर्म हवाएँ।

कैसे लू से बदन बचाएँ?

नीबू-पानी को अपनाओ।

लौकी, परबल-खीरा खाओ।।
16.

लिंग अनुपात की बात जब भी हो , बात काम की हो , बात क्षमताओं की हो ।

रचना
जनगणना के प्रारम्भिक आंकड़ों के मुताबिक लडको के अनुपात में लड़कियों कि संख्या कम हैंपर इस से नुक्सान क्या हो रहाहैं ?
My Photo17.

अली बाबा और 40 चोर

सम्वेदना के स्वर
अन्धेर नगरी में इन दिनों एक अनजान सा बूढ़ा साधू न जाने कहाँ से आ गया है. उसके हाथों में एक अजीब सी चीज़ है. जनता से वह कहता फिर रहा है कि यह दीया है. चौपट राजा ने अग्नि को बंदी बना रखा है. एक बार यह दीया उस अग्नि से छू भर जाये तो वह जल उठेगा. फिर उस एक दीये के प्रताप से अन्धेर नगरी में हजारों लाखों दीये जल जायेंगे. हर ओर प्रकाश ही प्रकाश होगा।
18.

एक विचार : जैसे करनी और कथनी और बाद में है वैसी भरनी .... 

महेन्द्र मिश्र
जो सिद्धांतवादी नहीं होते हैं जिनका कोई व्यक्तित्व नहीं होता है ऐसे लोग कहते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं . इस तरह के लोग सभी वर्गों में पाए जाते हैं चाहे वह नेता हो व्यापारी हो या नौकरशाह हो . ऐसे लोगों को आप दुंहमुँहे सांप कह सकते हैं .
19.

बैटिंग की बातें चलें फट कवित्त दे ठेल....

Shiv

एक रंग का पहनकर पगड़ी, 'टाई-नेक',
बात-बात पर मारते हमें कहावत फेंक
सुन सवाल वे क्रिकेट का दर्शन दे चिपकाय
उक्ति-सूक्ति बस ठेलकर पग-पग पर पगलाय
मेरा फोटो20.

कौन गीतों में उतरेगा , नज्मों में ढलेगा 

  शारदा अरोरा

सावन के अन्धे को दिखता है
हरा ही हरा
जेठ के जले को दुपहरी भी लगे बहाने की तरह

मिले

हैं कुछ ऐसे रिश्ते भी
साथ चलने को मेहरबानी की तरह
21.

हिन्दी ब्लोगिंग का इतिहास या इतिहास में ब्लोगिंग? राजीव तनेजा 

राजीव तनेजा

इन स्वयंभू जनाब को पहले तो एतराज इस बात का था कि…हमने इन्हें “बांगलादेश में हुए प्रथम अंतराष्ट्रीय हिन्दी ब्लोगर सम्मलेन” में आने के लिए विशेष तौर पर आमंत्रित क्यों नहीं किया?…

अब ये होली के अवसर पर हमारी हँसी-ठिठोली को सच मान अपना बोरिया…बिस्तरे समेत बाँध कर बैठ गए तो भय्यी…इसमें हम का करे?… ;-)
22.

सेवा में, श्री कपिल सिबल : प्रेषक - करण समस्तीपुरी

करण समस्तीपुरी
अब देखिये न आप कितनी बारीकी और समरसता के साथ पूरे भारत में शिक्षा-ढांचे के विस्तार एवं आधुनिकीकरण का प्रयास कर रहे हैं और मीडिया का एक तबका कुछ से कुछ बक रहा है। आप कितनी संजिदगी से विदेशी विश्वविद्यालयों की शाखाएं भारत में खुलवाने के लिये तत्पर हैं, भले देशी संस्थाएं जायें भांड़ में। वैसे भी घर की दाल बराबर मुर्गी को कौन पूछता है?
My Photo23.

मैं भ्रष्टाचरियों का इष्टदेव भ्रष्टराष्ट्र हुं,समझा!

Anil Pusadkar
क्यों बे क्या सोच रहा है?करिया बाबा के यमराज नही निकलने पर, मै पहले मिले झटके से धीरे-धीरे उबर रहा था और सोच रहा था कि ये भ्रष्टराष्ट्र क्या बला हो सकती है?देवता टाईप गेट-अप तो है लेकिन सूरत से ही शक्तिकपूर नज़र आ रहा है?कौन हो सकता है?
[IMG_0568[4].jpg]24.

प्रेमचंद साहित्यिक योगदान - 3

मनोज कुमार
उनका सबसे प्रधान गुण है उनकी व्यापक सहानुभूति। उनके व्यक्तित्व का मानव पक्ष अत्यंत विकसित था। इनके उपन्यास और कहानियों में समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व है, चाहे अभिजात वर्ग हो या उच्च वर्ग हो, चाहे मध्यम वर्ग और दलित वर्ग हो। सत्‌ और असत्‌, भला और बुरा दो सर्वथा भिन्न वर्ग करके पात्र निर्माण करने की अस्वाभिक प्रथा को उन्होंने तोड़ा।
मेरा फोटो25.

बेखबर बचपन

Minakshi Pant

कितना खुबसुरत  है ये बचपन 

खुद से ही बेखबर |

न कोई सोच , न ही विचार |

न कोई शिकवा ,

न ही कोई शिकायत |

अपनी ही दुनिया में मग्न ,

न कोई  चाहत , न ही बगावत |

आज लड़ना , कल वही अपना |
मेरा फोटो26.

तुम्हें कोई याद करता है ....

मुदिता

जुदा तन हों भले जानां
न होंगी पर जुदा रूहें
धडकता दिल ,
हर आती सांस
तुमसे कहती जायेगी -
तुम्हें कोई याद करता है ...!!!
My Photo27.

बात ...दिल की

ana

घुप्प रात का अँधेरा 

परछाई का नहीं नामोनिशाँ

फिर ये साया कौन? 

जो मेरा हमराही है बन रहा 

तुझसे बिछड़कर मरने का 

कोई इरादा तो नही

इश्क किया है
तुझसे

पर इतना बेपनाह तो नही


मेरा फोटो28.

एक नया इतिहास रचने

वन्दना


मौन की भाषा
अश्रुओं की वेदना
और मिलन ?
कैसे विपरीत ध्रुव
कौन से क्षितिज
पर मिलेंगे
ध्रुव हमेशा
अलग ही रहे हैं
मेरा फोटो29.

सड़क पर चलते हुए !

संतोष त्रिवेदी

सड़क पर चलते हुए अकसर,
सहम जाते हैं हम
बिलकुल बाएँ चलते हुए,
'ट्रैफिक' के सारे नियमों को ध्यान में रखते हुए,
संभल-संभल कर कदम बढ़ाते हैं,
पर,

साभार:गूगल बाबा

कभी पीछे से,कभी आगे से
इतने पास से गुज़रता है वाहन कोई,
कि लगता है कि बस,अभी 'गया' था...
30.

नव विराग

प्रवीण पाण्डेय
बुद्ध ऐश्वर्य में पले बढ़े पर एक रोगी, वृद्ध और मृत को देखने के पश्चात विरागी हो गये। उनके माता पिता ने बहुत प्रयास किया उन्हें पुनः अनुरागी बना दें पर बौद्ध धर्म को आना था इस धरती पर। अर्जुन रणक्षेत्र में अपने बन्धु बान्धवों को देख विराग राग गाने लगे थे पर कृष्ण ने उन्हें गीता सुनायी, अन्ततः अर्जुन युद्ध करने को तत्पर हो गये, महाभारत भी होना था इस धरती पर।

आज बस इतना ही। अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।

20 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दरता से पेश की गयी चर्चा ..आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छी चर्चा अच्छे लिंक्स के लिए आभार
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  3. परिश्रम से तैयार की गई उपयोगी चर्चा!
    सुन्दर लिंकों से रूबरू करवाने के लिए भाई मनोज कुमार जी का आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. हफ़्ते भर नैट से दूर रहने की कमी पूरी हो गई चर्चा से.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्‍छी चर्चा .. अच्‍छे अच्‍छे लिंक्स !!

    जवाब देंहटाएं
  6. 30 लिंक्स के साथ संक्षिप्त कहाँ रह गयी चर्चा…………पूरी और सार्थक चर्चा है ये……………सारे लिंक्स शानदार्।

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी चर्चा अच्छे लिंक्स सुन्दरता से पेश की गयी चर्चा ..आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. मनोज जी ! अच्छी चर्चा है... आपको आभार ... अच्छे लिंक्स के लिए...

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहद विविधताओं से भरी हुई है पूरी पोस्ट..... स्वास्थ्य से लेकर काव्य रस तो कहीं भूली बिसरी कहानियों से भरपूर.... अच्छा लगा यहाँ आकर.

    जवाब देंहटाएं
  10. हर बार यहाँ आना सार्थक हो जाता है।

    जवाब देंहटाएं
  11. चर्चा मंच में भाग लेने वाले सभी ब्लॉगर मित्रों का आभार।

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर सार्थक और विस्तृत चर्चा.बहुत उपयोगी रहेगी.आभार.

    जवाब देंहटाएं

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