ये अपने बारे में लिखतीं हैं-
मैं एक गृहिणी हूँ। मुझे पढ़ने-लिखने का शौक है तथा झूठ से मुझे सख्त नफरत है। मैं जो भी महसूस करती हूँ, निर्भयता से उसे लिखती हूँ। अपनी प्रशंसा करना मुझे आता नही इसलिए मुझे अपने बारे में सभी मित्रों की टिप्पणियों पर कोई एतराज भी नही होता है। मेरा ब्लॉग पढ़कर आप नि:संकोच मेरी त्रुटियों को अवश्य बताएँ। मैं विश्वास दिलाती हूँ कि हरेक ब्लॉगर मित्र के अच्छे स्रजन की अवश्य सराहना करूँगी। ज़ाल-जगतरूपी महासागर की मैं तो मात्र एक अकिंचन बून्द हूँ। आपके आशीर्वाद की आकांक्षिणी- "श्रीमती वन्दना गुप्ता"
वह इसलिए नहीं कि ये तीन ब्लॉग चलाती है,
अपितु इसलिए भी कि यह एक जिम्मेदार
और नियमित ब्लॉगर है।
जो भी कार्य इनको दिया जाता है
उसको यह बहुत लगन से और नियम से करती हैं।
हाल ही में इन्हे ऑल इण्डिया ब्लॉगर्स एशोसियेसन का
व्यस्तताएँ तो सबके जीवन में होती ही हैं
लेकिन इन सबके बावजूद भी ये
भाई मनोज कुमार, श्रीमती संगीता स्वरूप,
डॉ. नूतन गैरोला, सत्यम् शिवम् के साथ
चर्चा मंच पर नियमित चर्चा करने में
बहुत ही मनोयोग के साथ आज भी संलग्न हैं।
|
रविवार, २४ अप्रैल २०११धूप भी मजबूर होती है
अब नहीं उतरती धूप
मेरे चौबारे पर शायद कहीं और आशियाँ बना लिया उसने कौन उतरता है सीले हुए मकान में घुटन , बदबूदार अँधेरी कोठरियां डराती हैं बंद तहखाने हजारों कीड़ों की शरणस्थली बन जाते हैं ये रेंगते हुए कीड़े मकौड़े किसी और के अस्तित्व को स्वीकार नहीं पाते डँस लेते हैं अपने दंश से धराशायी कर देते हैं लहूलुहान हो जाता है बिखरा हुआ अस्तित्व ऐसी चौखटों पर कौन आशियाना बनाना चाहेगा जिस पर सुबह का पैगाम ना पहुँचता हो जिस पर सांझ की बाती ना जलती हो जहाँ सिर्फ और सिर्फ अंधेरों का वास हो बताओ कैसे उन चौबारों पर धूप उतरेगी किसे गर्माहट देगी किसे अपने रेशमी स्पर्श से सहलाएगी कैसे अँधेरी खोह में छुपी नमी को सुखाएगी आखिर उसकी भी एक सीमा होती है सीमाओं का अतिक्रमण चाह कर भी नही कर पाती एक मर्यादा होती है शायद इसलिए अपना आशियाना बदल देती है धूप भी मजबूर होती है दस्ताने पहनने को……… |
शनिवार, २३ अप्रैल २०११एक नया इतिहास रचने
मौन की भाषा
अश्रुओं की वेदना और मिलन ? कैसे विपरीत ध्रुव कौन से क्षितिज पर मिलेंगे ध्रुव हमेशा अलग ही रहे हैं अपने अपने व्योम और पाताल में सिमटे सकुचाये मगर मिलन की आस ये तो मिलन का ध्रुवीकरण हो जायेगा ना बस तुम भी खामोश रहो मैं भी खामोश चलूँ संग संग नि:संग होकर एक नया इतिहास रचने चलो हम चलें शायद तब कोई नयी कविता जन्मे और हमें नए आयाम दे |
कान्हा तुम्हारी याद में कलियाँ पुकारती -२-
काँटों की शैया पर कैसे रातें गुजारतीं कान्हा तुम्हारी याद में.........................
कान्हा तुम्हारी याद में राधा पुकारती -२
-रो - रो के प्रेम दीवानी जीवन गुजारती कान्हा तुम्हारी याद में....................
कान्हा तुम्हारी याद में मीरा पुकारती-२-
पग घुँघरू बाँध दीवानी तुमको रिझाती कान्हा तुम्हारी याद में........................
कान्हा तुम्हारी याद में शबरी पुकारती-२
-राम आयेंगे इस आस में रस्ता बुहारती कान्हा तुम्हारी याद में ........................
कान्हा तुम्हारी याद में गोपियाँ पुकारती -
२-परसों आऊँगा की बाट में रस्ता निहारतीं कान्हा तुम्हारी याद में .........................
कान्हा तुम्हारी याद में भक्त मण्डली पुकारती -
२-गा - गा के गीत तुम्हारे जीवन गुजारती कान्हा तुम्हारी याद में ........................
कान्हा तुम्हारी याद में दासी पुकारती -
२- नयनों की प्यास को अब कैसे संभालती कान्हा तुम्हारी याद में ..........................
|
अब मैं प्रस्तुत कर रहा हूँ
भारतीय नागरिक - Indian Citizen
के नाम से ब्लॉग लिखने वाले को!
इनकी सबसे बड़ी विशेषता है कि
यह अपने देश में व्याप्त मुद्दों को
अपने ब्लॉग पर लगाना कभी नहीं भूलते!
|
माफ करना दोस्तों!
आदरणीय शास्त्री साहब... मैं श्री अनुराग शर्मा जी नहीं हूं.... माननीय शर्मा जी के निम्न ब्लाग हैं..
Pitt Audio - पिट ऑडियो Review - अवलोकन *An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय* जापानी सीखिये That's IT The Best Hindi Blogs - सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉग सूची... भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि वह अनुराग शर्मा जी नहीं है, मगर अपना फोटो नहीं भेजा। उनकी प्रोफाइल में मुझे केवल इतना ही मिला- भारतीय नागरिक - Indian Citizen स्थान: उत्तर प्रदेश : भारत इनके ब्लॉग मुझे बहुत पसन्द है!
इनके ब्लॉग पर मेरी पसन्द की पोस्ट देखिए!
Tuesday, April 12, 2011क्या देश में एक प्रापर्टी डाटा बैंक नहीं होना चाहिये...
कालेधन को अधिकतर खपाया जाता है, जमीन-मकान-सोने की खरीद में और या फिर शेयर मार्केट में धन लगाकर. हमारे देश में जमीन-जायदाद खरीदना और गहने खरीदना बहुत प्रिय शगल है लोगों का. और कालेधन को लगाने का इससे मुफीद तरीका कोई नहीं. क्या देश के अन्दर कोई आनलाइन प्रापर्टी डाटा बैंक नहीं होना चाहिये जिस पर प्रापर्टी का पूरा ब्यौरा दर्ज हो, मसलन किसने उसे बेचा, खरीदा किसने, कीमत क्या थी और जिसने खरीदा उसके पास आय का स्रोत क्या है. आजकल लोग प्रापर्टी खरीदते भले काली कमाई से हों लेकिन उसे सफेद बनाने के लिये तमाम तरीके अपनाते हैं. ऐसे में प्रापर्टी लोन पर खरीदना एक अच्छा विकल्प होता है. इस डाटा बैंक में यह भी हो कि यदि लोन लिया है तो कितना, कितने साल का और लोन का भुगतान करने वाले के पास आय के क्या स्रोत हैं. यही बात निजी मेडिकल और इन्जीनियरिंग कालेज में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले व्यक्तियों का है. निजी मेडिकल कालेज में एक विद्यार्थी पर पच्चीस लाख रुपये खर्च होना मामूली बात है. जो लोग इतनी अधिक फीस देते हैं, उनके आय स्रोत क्या हैं? क्या हम सब, जो अपनी गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा देश के नेताओं-कर्मचारियों के वेतन-भत्तों के लिये देते हैं, को इतना जानने का भी अधिकार नहीं, कि वे व्यक्ति कौन हैं जो हमारी गाढ़ी कमाई पर मौज कर रहे हैं...........................।
Wednesday, April 6, 2011अन्ना हजारे को अक्ल सिखाते हमारे बुद्धिजीवी
अन्ना हजारे जन-लोकपाल को लेकर अनशन पर बैठ चुके हैं. अब हमारे यहां के बुद्धिजीवी उन्हें अकल सिखा रहे हैं. एक प्रवक्ता कह रहे हैं कि अन्ना को यह नहीं करना चाहिये, लोकतन्त्र के अन्दर ऐसी जिद ठीक नहीं. अन्ना को बताना चाहिये वे क्या चाहते हैं, बात करना चाहिये. एक अखबार वाले कह रहे हैं कि लोकतन्त्र है, ठीक है, लेकिन अन्ना को ऐसा नहीं करना चाहिये. ठीक है आप सबकी राय मान ली जायेगी, आप लोग खुद ही बताओ कि आप की पार्टी और आप के अखबार ने क्या किया है भ्रष्टाचार के विरुद्ध. कौन सा ठोस कदम इतने सालों में उठाया है भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये. क्या प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट काफी है. इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध क्या किया जिसमें चालीस रुपये की दाल सौ रुपये में बिकवा दी, पच्चीस रुपये की चीनी सत्तर रुपये में बिकवा दी. निजी स्कूल, निजी अस्पताल अपनी मनमर्जी से फीस में दो सौ प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी कर देते हैं. विशेष स्कूल की विशेष किताबें विशेष दुकान पर विशेष मूल्य में. विशेष चिकित्सक की लिखी विशेष दवाई विशेष दुकान पर विशेष मूल्य में. एक सड़क जो बनना चाहिये थी, नहीं बनी. जो सात साल चलना चाहिये थी, सात महीने में उखड़ गयी. प्रधान जी-विधायक जी-सांसद जी जो कभी साइकिल पर चलते थे, पद पाते ही स्कूलों-कालेजों के संचालक बन गये और करोड़ों में खेलने लगे. हर चौराहे पर मची लूट किसी को नहीं दिखाई देती. प्रवक्ता जी और सम्पादक जी आपने इस सबके विरुद्ध क्या किया है, जरा हिसाब दें...
------
चलो इस बहाने ही सही अनुराग शर्मा जी का भी
जिक्र हो जाए तो कोई बुराई नही है!
के नाम से ब्लॉग लिखने वाले
श्री अनुराग शर्मा जी को!
ये बरेली के निवासी हैं लेकिन विदेश में रहते हैं।
ये अपने बारे में लिखते हैं-
आपको अनुराग शर्मा का नमस्कार! पिट्सबर्ग में बैठकर हिन्दी में रोज़मर्रा की बातें लिखता हूँ. शायद आपके कुछ काम आयें और दिन सार्थक करें.
Hi, this is Anurag Sharma. I am an application architect currently living in Pittsburgh. I enjoy writing about Information Technology and other subjects in Hindi and English.
इनके ब्लॉग हैं!
इनकी प्रथम पोस्ट यह थी-
*An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीयइस्पात नगरी से - श्रृंखला
पिट्सबर्ग पर यह नई कड़ी मेरे वर्तमान निवास स्थल से आपका परिचय कराने का एक प्रयास है। संवेदनशील लोगों के लिए यहाँ रहने का अनुभव भारत के विभिन्न अंचलों में बिताये हुए क्षणों से एकदम अलग हो सकता है। कोशिश करूंगा कि समानताओं और विभिन्नताओं को उनके सही परिप्रेक्ष्य में ईमानदारी से प्रस्तुत कर सकूं। आपके प्रश्नों के उत्तर देते रहने का हर-सम्भव प्रयत्न करूंगा, यदि कहीं कुछ छूट जाए तो कृपया बेधड़क याद दिला दें, धन्यवाद!
* वाट्सन आया * आभार दिवस * क्वांज़ा का पर्व * पतझड़ का सौंदर्य * मुद्रण का भविष्य * बुरे काम का बुरा नतीज़ा * अमेरिका में शिक्षा * पीड़ित अपराधी * रजतमय धरती * कार के प्रकार * हनूका 2010 * हनूका 2009 * प्रेत उत्सव * तमसो मा * जी-२० * डैलस यात्रा * स्वतंत्रता दिवस * ज्योतिर्गमय * ड्रैगन नौका उत्सव * आह पुलिस * ग्राहक मेरा देवता * वाह पुलिस * २३ घंटे * दिमागी जर्राही * सिक्सबर्ग * अनोखा परिवहन * पिट्सबर्ग का पानी * आग और पानी * दंत परी * संता क्लाज़ की हकीकत * क्रिसमस * मेरी खिड़की से * १९ जून * बॉस्टन ब्राह्मण * बॉस्टन में भारत * स्वतंत्रता दिवस (2010) की शुभकामनाएं!
और अद्यतन पोस्ट यह थी
नाउम्मीदी - कविता
.
जितनी भारी भरकम आस
उतना ही मन हुआ निरास
राग रंग रीति इस जग की
अब न आतीं मुझको रास
सागर है उम्मीदों का पर
किसकी यहाँ बुझी है प्यास
जीवन भर जिसको महकाया
वह भी साथ छोडती स्वास
संयम का सम्राट हुआ था
बन बैठा इच्छा का दास
जिसपे किया निछावर जीना
वह क्योंकर न आता पास
कुछ पल की कहके छोडा था
गुज़र गये दिन हफ्ते मास
तुमसे भी मिल आया मनवा
फिर भी दिन भर रहा उदास
जिसके लिये बसाई नगरी
उसने हमें दिया बनवास
अपनी चोट दिखायें किसको
जग को आता बस उपहास
(चित्र ऐवम् कविता: अनुराग शर्मा)
|
समीर लाल की उड़न तश्तरी... जबलपुर से कनाडा तक...सरर्रर्रर्र...
ये इन ब्लॉगों के भी साझीदार हैं!
इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि
यह अपनी पोस्ट के अन्त में
एक कवितानुमा प्रस्तुति देना नहीं भूलते हैं!
सप्ताह में सोमवार और बृहस्पतिवार को
उड़नतश्तरी पर इनकी पोस्ट नियमितरूप से आती है!
|
चलो, दिल्ली में ही सेटल हो जायें...
कल ही पोता लौटा है दिल्ली से घूम कर. अपने कुछ दोस्तों के साथ गया था दो दिन के लिए.
सुना उपर अपने कमरे में बैठा है अनशन पर कि यदि मोटर साईकिल खरीद कर न दी गई तो खाना नहीं खायेगा. जब तक मोटर साईकिल लाने का पक्का वादा नहीं हो जाता, अनशन जारी रहेगा.
माँ समझा कर थक गई कि पापा दफ्तर से आ जायें, तो बात कर लेंगे मगर पोता अपनी बात पर अड़ा रहा. आखिर शाम को जब उसके पापा ने आकर अगले माह मोटर साईकिल दिला देने का वादा किया तब उसने खाना खाया.
खाना खाने के बाद वो मेरे पास आकर बैठ गया. मैने उसे समझाते हुए कहा कि बेटा, यह तरीका ठीक नहीं है. तुमको अगर मोटर साईकिल चाहिये थी तो अपने माँ बाप से शांति से बात करते, उन्हें समझाते. पोता हंसने लगा कि दादा जी, यह सब पुराने जमाने की बातें हो गई. आजकल तो बिना आमरण अनशन और भूख हड़ताल के कोई खाने के लिए भी नहीं पूछता. यही आजकल काम कराने के तरीका है. इसके बिना किसी के कान में जूं नहीं रेंगती. सब अपने आप में मगन रहते हैं. मुझे तो यह तरीका एकदम कारगर लगता है.
मुझे लगा कि शायद मैं ही कुछ पुराने ख्यालात का हो चला हूँ, नये जमाने का शायद यही चलन हो.
खैर, मैने उससे दिल्ली यात्रा के बारे में जानना चाहा.
उसने बाताया कि दो दिन में से एक दिन तो फिल्म, क्रिकेट मैच और दोस्तों के साथ चिल आऊट करने में निकल गया. हालांकि मैनें उससे जानने की कोशिश की कि चिल आऊट कैसे करते हैं, मगर वह टाल गया. मैने भी जिद नहीं की इसलिए कि कहीं मेरी अन्य अज्ञानतायें भी प्रदर्शित न हो जायें. क्रिकेट मैच ट्वेन्टी ट्वेन्टी वाला था, एकदम कूल. चीअर गर्लस, वाईब्रेशन, गेम सब का सब डेमssकूssल.
मुझे फिर लगा कि जमाना कितना बदल गया है. हमारे समय में मैच माहौल में गर्मी पैदा कर देते थे और हर दर्शक एक गर्मजोशी के साथ मैच देखा करता था और आज- हून्ह- कूssल.
वो आगे बताता रहा कि रात में एक क्लब में दोस्तों के साथ चिल आऊट किया और फिर दूसरे दिन, दिल्ली का सेलेक्टेड टूर लिया. समय एक ही दिन का बचा था तो सेलेक्टिव होना पड़ा. सिर्फ राज घाट, जंतर मंतर इंडिया गेट और संसद भवन देखा गाईड के साथ.
मुझे भी दिल्ली गये एक अरसा बीत चुका था तो मैने सोचा कि चलो, इसी से आँखों देखा हाल सुन कर यादें ताजा कर लूँ. इसी लिहाज से मैं पूछा बैठा कि गाईड ने क्या क्या बताया?
आजकल के बच्चे इतने शार्प होते हैं कि अपने फोन में सारी तस्वीरें भी ले आया था. उसी को दिखाते हुए उसने वर्णन देना शुरु किया कि यह राजघाट है जहाँ सारे नेता इन्क्लूडिंग प्रधान मंत्री और फारेन के नेता भी अपना काम शुरु करने के पहले दर्शन के लिए जाते हैं, जैसे आप मंदिर जाते हो न, वैसे ही. फिर फोटो में उसने दिखाया कि यहाँ से सन २००६ में कुत्ते घुसे थे और कुत्तों के द्वारा पूरा चैक करने के बाद यहाँ से यू एस के राष्ट्रपति बुश. उन्होंने नें भी भारत में काम शुरु करने के पहले यहाँ के दर्शन किये थे.
बहुत सुन्दर जगह है, वैल मेन्टेन्ड, ग्रीन और क्लीन. फिर हम लोग जंतर मंतर गये. ये देखो तस्वीर.
मैने बस उसका ज्ञान जानने के हिसाब से पूछ लिया कि जंतर मंतर क्या है?
फिर क्या था- दादा जी, आप इतना भी नहीं जानते कि यह अनशन स्थल है. यहाँ अन्ना हजारे आमरण अनशन पर बैठे थे और भारत सरकार के दांत खट्टे कर दिये थे. ये देखो, इस जगह अन्ना हजारे बैठे थे और ये.. इस तरफ सारा जन सैलाब था. इस वाले रास्ते से नेता उनसे मिलने आने की कोशिश कर रहे थे. इस तरफ से पब्लिक ने उन नेताओं को खदेड़ा था. सरकार को झुकना पड़ा. उनकी मांगें माननी ही पड़ी.
मैने उससे कहा कि वो तो सही है बेटा मगर इसे बनवाया किसने था और किस लिए. पोता बोला वो तो गाईड ने बताया नहीं मगर यह जगह फेमस इसीलिए है. सब फोटो खींच कर लाया था मगर यंत्रों की एक भी नहीं. मानों वो सिर्फ सजावट के लिए लगे हों तो उनकी क्या फोटो खींचना- सिर्फ इम्पोर्टेन्ट जगहों की खींची.
फिर संसद भवन भी देखा जहाँ देश भर से चुने हुए भ्रष्ट आकर भ्रष्टाचार को अंजाम देने की योजना बनाते हैं. इतने जरुरी काम में खलल न पड़े इसलिए आम जनता को बिना पास के अंदर जाने की इजाजत नहीं है. हर तरफ सिक्यूरिटी लगी है जबरदस्त. इन सारे चुने हुए लोगों का स्टार स्टेटस है. उन्हें देखते ही प्रेस वाले टूट पड़ते हैं. कैमरे चमकने लगते हैं. मैं तो उनको दूर से ही देखकर बहुत इम्प्रेस हुआ.
मैं अपने इम्प्रेस्ड पोते को ठगा सा देख रहा था और वो इससे बेखबर मुझे अपने फोन से फोटो दिखाये जा रहा था.
पोता जब बहुत लाड़ में होता है तो अपने पापा को डैड और मुझे डैडू कहता है. नये जमाने का है.
कहने लगा डैडू, आपको पता है कि यह इंडिया गेट है. यह इसलिए फेमस है कि यहाँ पर विख्यात मॉडल जेसिका के मर्डर केस में मीडिया और जनता ने मिल कर केन्डल लाईट विज़िल किया था. जिसके चलते ही पूरा केस साल्व हुआ. न्यायपालिका को हिला कर रख दिया था जनता ने. फिर एक दिन उसी मीडिया की फेमस मिडीया कर्मी और राडिया धर्मी को जनता नें यहीं से नारे लगा लगा कर खदेड़ा. जनता के बदलते मिजाज का गवाह है यह गेट. व्हाट ए गेट, ह्यूज!!! फिल्म वालों के लिए भी बेहतरीन लोकेशन है, कितनी सारी फिल्मों में यहाँ की शूटिंग की है.
रात को जब लाईटिंग होती है, तो क्या गजब का लगता है यह गेट. कितने सारे लोग पहुँचते हैं यहाँ चिल आऊट करने रात में..ग्रेट नाईट आऊट!!!
लुक!!! डेहली इज़ सो फेसिनेटिंग.
दादा जी, चलो न!! हम लोग दिल्ली में ही सेटल हो जायें............. क्या सोच रहे हैं?..................क्या ख्याल है...मैने ने तो सोच लिया है बस.........एक बार ये पढ़ाई पूरी हो जाए........
वो बोलता जा रहा है तो मैं अपने ही ख्यालों में डूबा था कि वाकई, बहुत दिन हो गये दिल्ली गये. कितना कुछ बदल गया है इतने सालो में.
दीवार पर टंगा
कलेन्डर हनुमान जी के चिरे सीने से झांकते सीता-राम...... और तलाश नई तारीखों की... मुई!! मिलती ही नहीं...
जाने कौन पुराना हुआ...
मैं, कलेन्डर या तारीखें!!
कोई समझाओ मुझे!!
----
ओह!इस पोस्ट के अन्त में तो कविता की कमी बहुत खल रही है!
|
अब में एक ऐसी ब्लॉगर को प्रस्तुत कर रहा हूँ,
जिनकी भविष्यवाणी अक्सर सही निकलतीं हैं!
यह हैं बहन संगीता पुरी जी!
ये अपने बारे में लिखतीं हैं!
पोस्ट-ग्रेज्युएट डिग्री ली है अर्थशास्त्र में .. पर सारा जीवन समर्पित कर दिया ज्योतिष को .. अपने बारे में कुछ खास नहीं बताने को अभी तक .. ज्योतिष का गम्भीर अध्ययन-मनन करके उसमे से वैज्ञानिक तथ्यों को निकलने में सफ़लता पाते रहना .. बस सकारात्मक सोंच रखती हूं .. सकारात्मक काम करती हूं .. हर जगह सकारात्मक सोंच देखना चाहती हूं .. आकाश को छूने के सपने हैं मेरे .. और उसे हकीकत में बदलने को प्रयासरत हूं .. सफलता का इंतजार है।
|
२४ अप्रैल २०११7 मार्च से 8 मई तक का समय मीन राशि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण
पिछले वर्ष मई से ही बृहस्पति ग्रह की स्थिति मीन राशि में बनी हुई है। अपनी राशि में स्थित होने के कारण यह विभिन्न लग्नवालों को खास खास मुद्दे के प्रति गंभीर बनाता आ रहा है। बृहस्पति की इस स्थिति के कारण किन्हीं के लिए सुखद तो किन्हीं के लिए यह समय खासा कष्टप्रद बना रहा। मार्च में बृहस्पति का साथ देने अन्य सभी ग्रह मीन राशि में पहुंच चुके हैं। 7 मार्च को बुध , 15 मार्च को सूर्य , 26 मार्च को मंगल मीन राशि में बृहस्पति के साथ चलते रहे। 15 अप्रैल को सूर्य के वहां से हटते ही 17 अप्रैल को शुक्र ने भी वहां अपनी स्थिति बना ली। 8 मई तक ही गुरू मीन राशि में मौजूद होगा , उस वक्त तक लगभग सभी ग्रह मीन राशि में मौजूद हैं। इसलिए 7 मार्च से ही मीन राशि के लिए महत्वपूर्ण समय की शुरूआत हुई और यह कमोबेश 8 मई तक बनीं रहेगी।
दो महीने में दो बार ढाई ढाई दिनों के लिए उपस्थित रहकर चंद्रमा ने इस योग को और प्रभावी बना दिया है। शुभ ग्रह के साथ शुभ राशि में इतने सारे ग्रहों की स्थिति होने से यह समय आमतौर पर सुखद माना जाता है। भारतवर्ष के मौसम और शेयर बाजार के मनोनुकूल बने होने में भी इसी ग्रहयोग का हाथ है। वैसे भारत सरकार के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण बना रहा। इस ग्रहयोग के कारण इस समय सभी लोगों के समक्ष मीन राशि से संबंधित मुद्दे उपस्थित रहे और अधिकांश लोगों को इससे संबंधित खुशी और कुछ लोगों को इससे संबंधित कष्ट से लोगों को जूझना पडता रहा। वैसे तुला राशिवालों के लिए यह समय खास सुखद तथा सिंह राशिवालों के लिए यह समय गडबड बना रहा।
इस ग्रहयोग के कारण ही मेष लग्नवालेखर्च या बाहरी संदर्भों , वृष लग्नवाले हर प्रकार के लाभ के मामले , मिथुन लग्नवाले पिता पक्ष , सामाजिक पक्ष , कैरियर से संबंधित संदर्भों , कर्कलग्नवाले धर्म , भाग्य से संबंधित संदर्भों , सिंह लग्नवाले रूटीन या जीवनशैली से संबंधित संदर्भों , कन्या लग्नवाले घर गृहस्थी से संबंधित संदर्भों ,, तुला लग्नवाले किसी प्रकार के झंझट या प्रभाव के मामलों , वृश्चिक लग्नवाले अपनी या संतान पक्ष की पढाई लिखाई या अन्य मामलों , धनु लग्नवाले माता पक्ष , किसी प्रकार की छोटी या बडी संपत्ति से संबंधित संदर्भों , मकरलग्नवाले भाई , बहन या अन्य बंधु बांधव , कुंभ लग्नवालेधन , कोष से संबंधित मामलों तथा मीन लग्नवाले स्वास्थ्य , या आत्मविश्वास से संबंधित संदर्भों में सुख और दुख दोनो महसूस कर रहे होंगे।
पिछले दो महीने से चल रहा यह ग्रहयोग 8 मई के बाद समाप्त हो जाएगा , इसलिए इस ग्रहयोग के कारण सुख या कष्ट पा रहे दुनियाभर के लोगों की परिस्थितियां 8 मई के बाद परिवर्तित होगी। जहां पिछले दो महीनों से अनायास सुख सफलता प्राप्त कर रहे लोगों की सुख सुविधा में कमी आएगी , वहीं , पिछले दो महीनों से कष्ट प्राप्त कर रहे लोगों को कष्ट से मुक्ति मिल सकती है। उसके बाद के दो महीनों का ग्रहयोग वृश्चिक राशिवालों के लिए काफी अच्छा तथा कन्या राशि वालों के लिए बुरा माना जा सकता है।
-----
१९ अप्रैल २०११जिनका सबकुछ उजड गया .. वे अपने दुभाग्यर् पर सर पीटने के सिवा और क्या कर सकते हैं ??
दो महीने हिंदी ब्लॉग जगत से दूर रहने के बाद आज आपलोगों से मुखातिब होने का मौका मिला है। इस दौरान सारे ब्लॉगों पर मेरा क्रियाकलाप बंद ही रहा। समाचार के माध्यम से देश दुनिया की हर खबर तो मिलती रही , पर अपने ब्लॉग के माध्यम से न तो जापान में सुनामी के रूप में आए आए भीषण त्रासदी से परेशान लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त कर सकी , न ही भारत के वर्ल्ड कप जीतने पर कोई खुशी जाहिर कर सकी और न ही भ्रष्टाचार के विरूद्ध अन्ना हजारे के आंदोलन में उनका साथ दे सकी। इस मध्य कितने ही त्यौहार आते और जाते रहें , न तो आप सबों के साथ होली का लुत्फ उठा सकी , न रामनवमी की यादें ही शेयर कर सकी। ध्यान था तो सिर्फ इस बात पर कि शिफ्ट करने से पहले अपने क्वार्टर को मनमुताबिक ढाल देना ताकि बाद में हर कार्य सुविधापूर्ण ढंग से हो सके और बाद में किसी भी परिस्थिति में मेरे अध्ययन मनन में कोई रूकावट न आए।
आनेवाले आठ वर्ष तक की सुख सुविधा के लिए हमलोगों ने बिना कंपनी के सहयोग के क्वार्टर पर अच्छा खासा खर्च कर डाला। राजमिस्त्री , डिस्टेंपर पेण्ट वाले मिस्त्री , पाइपलाइन मिस्त्री और बिजली मिस्त्री सारे मिलकर 80 प्रतिशत काम पूरा कर चुके , 20 प्रतिशत बाकी है , जो धीरे धीरे हो जाएगा। कल से यहां कंप्यूटर भी इंस्टॉल हो चुका , ब्राडबैंड को यूजरनेम और पासवर्ड तो बहुत पहले ही मिल गया था। वैसे तो कैफे में जाकर कभी कभी हिंदी ब्लॉग जगत के हाल चाल लेती ही रही , पर नेट चलाने के बाद कल से ब्लॉग जगत में भ्रमण कुछ अधिक ही हो रहा है और आज मैं अपने पहले पोस्ट के साथ उपस्थित हूं। हालांकि घर अभी पूरा अस्त व्यस्त है , 28 को दिल्ली के लिए निकलना भी है , इसलिए समय की अभी भी काफी कमी दिख रही है।
हाई कोर्ट , रांची के आदेश के पश्चात् एक महीने तक लगातार होने वाले अतिक्रमण के विरूद्ध क्रिए जा रहे सरकारी कार्रवाई की आग में पूरा झारखंड जल रहा है। राजपथ को चौडा करने के लिए सरकारी जमीनों पर बनाए गए मकानों को तोडने का जो सिलसिला शुरू हुआ , वो बढता हुआ पूरे पूरे मुहल्ले और गांव तक को लीलता नजर आया। सरकारी जमीनों के बाद विभिनन कंपनियों के जमीनों में किए गए अतिक्रमण पर भी सरकार की निगाह है , जिसपर लोगों ने अपनी अपनी स्थिति के हिसाब से हर प्रकार के मकान बना लिए हैं। वर्षों से निवास कर रहे जनता की जो प्रतिक्रिया दिख रही है , वो स्वाभाविक है। आखिर वो जाएं तो जाएं कहां ?? करें तो करे क्या ??
बोकारो के कापरेटिव कॉलोनी , जहां मैं रहा करती थी , उसके बगल में झुग्गी झोपडियों की उससे भी बडी कॉलोनी थी। वहां रहनेवाले परिवारों के मर्द रिक्शा या ऑटो चलाते , चाट पकौडे के ठेले लगाते , या दूसरों की दुकानों में काम किया करते। महिलाएं पूरी कॉलोनी के फ्लैटों में चौका बरतन का काम करती थी। कुछ परिवार गाय या भैंस पालने का काम या छोटे मोटे व्यवसाय में भी लगे थे। सिर्फ महत्वाकांक्षी लोगों को ही नहीं , बंगाल या बिहार के विभिनन क्षेत्रों में भुखमरी से मर रहे लोगों को जीवन जीने के लिए एक जगह मिल गयी थी। अपनी सुविधा के लिए अपने अपने घरों में लोग कुछ न कुछ खर्च कर ही लिया करते थे। एक महीने पूर्व ही मेरी कामवाली ने आठ हजार रूपए खर्च कर नलकूप लगवाया था। उसके लिए आठ हजार रूपए उतने ही है , जितना किसी के लिए अस्सी हजार और किसी के लिए आठ लाख। किसी कारखाने के कारण कोई कॉलोनी बसती है , तो उन परिवारों के जीवनयापन में मदद करने के लिए बहुत सारे लोगों की आवश्यकता पडती है। वैसे लोगों का सहयोग तो सब लेते हैं , उनके रहने के लिए कंपनी कोई व्यवस्था नहीं करती।
हमारे बगल में ही सरकारी जमीन पर एक पूरा गांव ही बसा है , जिसमे छोटे मोटे मकान से लेकर आलीशान भवन भी मौजूद हैं। सबको नोटिस मिलने लगी है , यदि उसे तोडा गया तो अन्य शहरों जैसा ही पुरजोर विरोध किया जाएगा , इसमें संशय नहीं। आसपास कमाई के साधन को देखते हुए अच्छी अच्छी कॉलोनियां भी सरकारी या विभिनन कंपनियों की जमीन पर बनी हुई हैं। लोगों की मांग है कि जिस जमीन पर जो बसे हुए हैं , उन्हे तबतक नहीं उजाडा जाना चाहिए , जबतक सरकार या किसी कंपनी को उस जमीन की आवश्यकता नहीं है। यदि इसी तरह सारे मकानों को ध्वस्त करना था , तो उन्हें बनने के वकत ही रोका जाना चाहिए था। कुछ नेता भी अब इसका विरोध करने लगे हैं , अब सरकारी कार्रवाई रोकी भी जा सकती है , पर जिनका सबकुछ उजड गया , वे अपने दुभार्ग्य पर सर पीटने के सिवा और क्या कर सकते हैं ??
|
अति आभार इस स्नेह हेतु!!!
जवाब देंहटाएंआपने कुछ ब्लोगरों से परिचय करवाने का माध्यम चर्चा मंच को बनाया है बहुत अच्छा है |इसी के माध्यम से अच्छी जानकारी मिलेगी |आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
यह एक अच्छी शुरुआत है। इससे किसी ब्लॉगर के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंयह एक अच्छी शुरुआत है। इससे किसी ब्लॉगर के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंयह एक अच्छी शुरुआत है। इससे किसी ब्लॉगर के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट में खुद को देखना सुखद लगा .. आभार !!
जवाब देंहटाएंसंगीता स्वरूप जी के पुत्र के जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना करती हूं !!
जवाब देंहटाएंनए प्रकार से प्रस्तुति अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री साहब... मैं श्री अनुराग शर्मा जी नहीं हूं.... माननीय शर्मा जी के निम्न ब्लाग हैं..
जवाब देंहटाएंPitt Audio - पिट ऑडियो
Review - अवलोकन
*An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय*
जापानी सीखिये
That's IT
The Best Hindi Blogs - सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉग सूची...
परिचय करवाने का माध्यम बहुत अच्छा है ....
जवाब देंहटाएंयह चर्चा का अंदाज़ बहुत बढ़िया लगा ...
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा के लिए शुक्रिया ...
शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंइतने सम्मान के काबिल तो नही हूँ आप बहुत स्नेह करते हैं और उसका प्रमाण आज की चर्चा है……………कैसे आभार व्यक्त करूँ?
वैसे आपके इस चर्चा के अन्दाज़ की खास बात ये है कि हर ब्लोगर के बारे मे पता चलता जायेगा पाठकों को …………जैसा कि होना भी चाहिये……………आपका ये अन्दाज़ बहुत भाता है।
आपकी ह्रदय से आभारी हूँ।
संगीता जी के बेटे के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूँ।
बहुत सुंदर और सार्थक चर्चा..नया अंदाज बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंचर्चा का नया रूप बहुत अच्छा लगा..आभार
जवाब देंहटाएंजाने माने ब्लोगरों से यह परिचय भी बहुत पसंद आया.
जवाब देंहटाएंआभार.
भारतीय नागरिक - Indian Citizen साहब!
जवाब देंहटाएंजानकारी देने के लिए आपका आभार!
मगर अपना परिचय और चित्र भी मुझे मेल कर देते तो चर्चा और भी आकर्षक हो जाती!
--
खैर! आपने सही समय पर जानकारी दे दी! इतना ही पर्याप्त रहा!आपके सौजन्य से अनुराग शर्मा जी की भी चर्चा हो गई!
--
आपका लेखन मुझे बहुत अच्छा लगता है!
पोस्ट में आवश्यक सुधार कर दिया गया है!
धन्यवाद!
BAS ITNA HI?????
जवाब देंहटाएंChalo home work thoda hai jaldi hi ho jayega.
bahut acchha charcha manch. aabhar.
शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंआज चर्चा मंच की सारी पोस्ट्स पढीं और "भारतीय नागरिक" और मेरी पहचान के बारे में बने भ्रम के बारे में पता लगा। भ्रम मिट गया है यह जानकर प्रसन्नता हुई। आपकी ही तरह मुझे भी "भारतीय नागरिक" की पोस्ट्स और नज़रिया पसन्द है।
धन्यवाद!