नमस्कार।
आप सभी को पिछली चर्चा के दौरान मैंने जानकारी दी थी कि मैं एक नए अखबार के काम में इन दिनों व्यस्त हूं। अपनी पिछले मंगलवार की चर्चा में मैंने आपसे आग्रह किया था कि मुझे मेरे अपने अखबार में हर रोज एक पूरा पेज ब्लाग जगत को समर्पित करने के लिए आप सबका सहयोग चाहिए और मुझे बेहतर प्रतिसाद भी मिला। मेरे अखबार क पहला अंक ''परिचय अंक'' के रूप नवरात्र के पहले दिन निकला है और अब 13 अप्रैल को बैसाखी से इस अखबार का नियमित प्रकाशन करने की तैयारी है। पहले अंक का पहला पन्ना आपके समक्ष प्रस्तुत है.......
अपनी इसी व्यस्तता के चलते ब्लाग जगत में ज्यादा समय नहीं दे पा रहा हूं..... पर चर्चा मंच की जिम्मेदारी मिली है, सो रात में इस काम में जुटा,पर नेट भी आज ठीक से साथ नहीं दे रहा है, सो अपनी पसंद के पोस्टों की संक्षिप्त चर्चा प्रस्तुत कर रहा हूं......
मुक्ति बंधन - डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति जी
सुनो आदम!
युगों से बंधी बेड़ियों से
बंधन मुक्ति के लिए मैंने
जब भी आवाज उठायी ..
गणगौर .....लोकजीवन में बसा नारीत्व का उत्सव- डा मोनिका शर्मा जी
राजस्थान के बारे कहा जाता है यहाँ इतने तीज-त्योंहार होते हैं कि यहाँ की महिलाओं के हाथों की मेहंदी का रंग कभी फीका नहीं पड़ता । इनमें तीज और गणगौर तो दो ऐसे विशेष पर्व हैं जो महिलाएं ही मनाती हैं । गणगौर का त्योंहार होली के दूसरे दिन से प्रारंभ होकर पूरे सलाह दिन तक चलता है ।
सफर में खिलते याद के जंगली फूल - पूजा उपाध्याय जी
मैं कहाँ गयी थी और क्यों गयी थी नहीं मालूम...शायद घने जंगलों में जहाँ कि याद का कोई कोना नहीं खुलता तुम्हें बिसराने गयी थी...कि जिन रास्तों पर तुम्हारा साथ नहीं था...इन्टरनेट नहीं था...मोबाईल में तुम्हारी आवाज़ नहीं थी...हाथ में किसी खत की खुशबू नहीं थी...काँधे पर तुम्हारा लम्स नहीं था...जहाँ दूर दूर तक तुम नहीं थे...तुम्हें छोड़ आना आसान लगा.
तुम्हारे लिए ही ...!!! - सदा जी
मन बग़ावत करने लगा है
आजकल उसका
समझाइशो की भीड़ में
नासमझ मन
हर बात पर खुद को
कटघरे में पाकर
बौखला उठता है
किनारा - संध्या शर्मा जी
डूबने के भय से
तैरना छोड़ दूँ
इतनी कमजोर नहीं
हाँ! तय कर रखी है
एक सीमा रेखा
उसके आगे नही जाना
इंटरनेट और आपके बच्चे .... - पल्लवी जी
यूं तो अपने शहर से सभी को लगाव होता है। जो इंसान जहां रह कर पला बढ़ा होता है, उसे वहीं की मिट्टी से प्यार होना स्वाभाविक बात है। ठीक इसी तरह मुझे भी मेरे भोपाल से प्यार है। हालांकी यह बात अलग है, कि जबसे मैंने अपना देश छोड़ा है, तब से मुझे पूरे देश से ही प्यार होगया है। मगर फिर भी भोपाल से जुड़ी हर बात मुझे अपनी ओर खींच ही लेती हैं।
शर्म : गांधी के मंच से गाली ... - महेन्द्र श्रीवास्तव जी
टीम अन्ना की बौखलाहट अब उनके चेहरे और जुबान पर दिखाई देने लगी है। अशिष्ट व्यवहार और अभद्र भाषा आम बात हो गई है। गांधी के मंच से गाली दी जा रही है, हाथ में तिरंगा लेकर जानवरों जैसा आचरण किया जा रहा है। मेरी समझ में एक बात नहीं आ रही है।
परेशानियां तो दरअसल समझदारी में है - रश्मि प्रभा जी
बचपन
आप सभी को पिछली चर्चा के दौरान मैंने जानकारी दी थी कि मैं एक नए अखबार के काम में इन दिनों व्यस्त हूं। अपनी पिछले मंगलवार की चर्चा में मैंने आपसे आग्रह किया था कि मुझे मेरे अपने अखबार में हर रोज एक पूरा पेज ब्लाग जगत को समर्पित करने के लिए आप सबका सहयोग चाहिए और मुझे बेहतर प्रतिसाद भी मिला। मेरे अखबार क पहला अंक ''परिचय अंक'' के रूप नवरात्र के पहले दिन निकला है और अब 13 अप्रैल को बैसाखी से इस अखबार का नियमित प्रकाशन करने की तैयारी है। पहले अंक का पहला पन्ना आपके समक्ष प्रस्तुत है.......
अपनी इसी व्यस्तता के चलते ब्लाग जगत में ज्यादा समय नहीं दे पा रहा हूं..... पर चर्चा मंच की जिम्मेदारी मिली है, सो रात में इस काम में जुटा,पर नेट भी आज ठीक से साथ नहीं दे रहा है, सो अपनी पसंद के पोस्टों की संक्षिप्त चर्चा प्रस्तुत कर रहा हूं......
मुक्ति बंधन - डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति जी
सुनो आदम!
युगों से बंधी बेड़ियों से
बंधन मुक्ति के लिए मैंने
जब भी आवाज उठायी ..
गणगौर .....लोकजीवन में बसा नारीत्व का उत्सव- डा मोनिका शर्मा जी
राजस्थान के बारे कहा जाता है यहाँ इतने तीज-त्योंहार होते हैं कि यहाँ की महिलाओं के हाथों की मेहंदी का रंग कभी फीका नहीं पड़ता । इनमें तीज और गणगौर तो दो ऐसे विशेष पर्व हैं जो महिलाएं ही मनाती हैं । गणगौर का त्योंहार होली के दूसरे दिन से प्रारंभ होकर पूरे सलाह दिन तक चलता है ।
सफर में खिलते याद के जंगली फूल - पूजा उपाध्याय जी
मैं कहाँ गयी थी और क्यों गयी थी नहीं मालूम...शायद घने जंगलों में जहाँ कि याद का कोई कोना नहीं खुलता तुम्हें बिसराने गयी थी...कि जिन रास्तों पर तुम्हारा साथ नहीं था...इन्टरनेट नहीं था...मोबाईल में तुम्हारी आवाज़ नहीं थी...हाथ में किसी खत की खुशबू नहीं थी...काँधे पर तुम्हारा लम्स नहीं था...जहाँ दूर दूर तक तुम नहीं थे...तुम्हें छोड़ आना आसान लगा.
तुम्हारे लिए ही ...!!! - सदा जी
मन बग़ावत करने लगा है
आजकल उसका
समझाइशो की भीड़ में
नासमझ मन
हर बात पर खुद को
कटघरे में पाकर
बौखला उठता है
किनारा - संध्या शर्मा जी
डूबने के भय से
तैरना छोड़ दूँ
इतनी कमजोर नहीं
हाँ! तय कर रखी है
एक सीमा रेखा
उसके आगे नही जाना
इंटरनेट और आपके बच्चे .... - पल्लवी जी
यूं तो अपने शहर से सभी को लगाव होता है। जो इंसान जहां रह कर पला बढ़ा होता है, उसे वहीं की मिट्टी से प्यार होना स्वाभाविक बात है। ठीक इसी तरह मुझे भी मेरे भोपाल से प्यार है। हालांकी यह बात अलग है, कि जबसे मैंने अपना देश छोड़ा है, तब से मुझे पूरे देश से ही प्यार होगया है। मगर फिर भी भोपाल से जुड़ी हर बात मुझे अपनी ओर खींच ही लेती हैं।
शर्म : गांधी के मंच से गाली ... - महेन्द्र श्रीवास्तव जी
टीम अन्ना की बौखलाहट अब उनके चेहरे और जुबान पर दिखाई देने लगी है। अशिष्ट व्यवहार और अभद्र भाषा आम बात हो गई है। गांधी के मंच से गाली दी जा रही है, हाथ में तिरंगा लेकर जानवरों जैसा आचरण किया जा रहा है। मेरी समझ में एक बात नहीं आ रही है।
परेशानियां तो दरअसल समझदारी में है - रश्मि प्रभा जी
बचपन
अपने मीठे अंदाज में
कभी किलकारियां भरते
कभी ठुनकते सुबकते पीछे पीछे आता ही है ...
कुछ दिनों पहले अखबार और टीवी पर एक खबर छाई हुई थी- ‘सैफ़ अली ने की मारपीट’, ’नवाब बिगडे क्यूं?आदि आदि। सेलीब्रिटिज़ ने तो तुनकमिजाज़ी को अपने आचरण व्यवहार में खून की तरह शामिल कर लिया है।
झटक कर जाती है जुल्फ़े
बड़ा इतराती है वो
क्या पता कितनों के
दिल पर कहर ढ़ाती है वो
बड़ा इतराती है वो
क्या पता कितनों के
दिल पर कहर ढ़ाती है वो
कुछ ख़ामोश सी थी बैठी हुई, सभी को लगा क्यों मैं यूँ अचानक मायूस हुई ?
पर शायद नहीं था किसी को पता कि....
पर शायद नहीं था किसी को पता कि....
कहता हैं, कई रातों से
मुझे नींद नहीं आती
फिर अचानक पूछ बैठा..
सपनों में क्यों आती हो!!
गुनगुनी सी रात में,
तुम्हे गुनगुनाना चाहता हूँ,
अनमने से मन को मनाना चाहता हूँ,
लग न जाए तेरी नज़र को मेरी नज़र,
यादो के दिए फिर से जल गए
आज अचानक से एक मोड़ पर
वो फिर से मिल गए
एक वक्त के लिए सब ठहर गया
तुम से कहा था न
मिलना मुझे
अपने उसी रूप मे
जो तुम्हारा है
पर अफसोस
मैं देख पा रहा हूँ
मिलना मुझे
अपने उसी रूप मे
जो तुम्हारा है
पर अफसोस
मैं देख पा रहा हूँ
सूचना तकनीक के इस दौर में व्यक्ति की यांत्रिक चीजों पर बढती निर्भरता ने व्यक्ति के काम करने की कुशलता को भले ही कम किया हो लेकन उसे आसान जरुर बनाया है . आज अकेला व्यक्ति ही कई व्यक्तियों का काम कर सकता है . विकास के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली इस तकनीक ने वैश्विक परिदृश्य को बदल कर रख दिया है .
ख्वाब देखा जो पल में बिखर जाएगा।
छोड़ कर अपना घर तू किधर जाएगा।1।
बोल कर मीठी बोली बुला उसको तू,
साया बन राहों में वो उतर जाएगा।2।
देश में मल्टीप्लेक्स सिनेमा के जड़ें जमाने के बाद रियलिस्ट फिल्में बनाने की होड़ सी लग गई है...स्टार सिस्टम के साथ-साथ न्यू स्ट्रीम सिनेमा भी पकड़ बनाता जा रहा है...बिना स्टार कास्ट मोटी कमाई के लिए बोल्ड से बोल्ड सब्जेक्ट पर फिल्में बन रही है......
.... अब अतुल श्रीवास्तव को दीजिए इजाजत। मुलाकात होगी अगले मंगलवार... पर चर्चा जारी रहेगी पूरे सातों दिन.....।
चर्चामंच बहुत सुन्दर सजा है.. और इसमें मेरी पोस्ट शामिल देख मुझे बहुत प्रसन्नता ... अभी अन्य लिंक में जाना होगा .. आपका धन्यवाद ..
जवाब देंहटाएंअतुलनीय प्रयास |
जवाब देंहटाएंअच्छी छटा बिखेरी है ||
आपने व्यस्त होते हुए भी बहुत सुन्दर चर्चा की है!
जवाब देंहटाएंआभार आपका!
मैं तो इन दिनों नेट पर नहीं आ पा रहा हूँ। एक दो दिन में दिनचर्चा सामान्य हो जाने की आशा है!
आपने व्यस्त होते हुए भी बहुत सुन्दर चर्चा की है!
जवाब देंहटाएंआभार आपका!
मैं तो इन दिनों नेट पर नहीं आ पा रहा हूँ। एक दो दिन में दिनचर्चा सामान्य हो जाने की आशा है!
जवाब देंहटाएं♥
बहुत अच्छी चर्चा ...
धन्यवाद !
~*~नवरात्रि और नव संवत्सर की बधाइयां शुभकामनाएं !~*~
badhia charcha ...
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen ....
बढ़िया चर्चा | कम्प्यूटर सुरक्षा हेतु कुछ टिप्स - केवल राम जी www.chalte-chalte.com/2012/03/blog-post_25.html ये लिंक काम नहीं कर रहा |
जवाब देंहटाएंटिप्स हिंदी में
बहुत सुन्दर चर्चा...
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
"भास्कर भूमि" के लिए ढेर सारी शुभकामनायें... सार्थक चर्चा और लिंक देने के लिए आपका आभार...
जवाब देंहटाएंअतुल जी व्यस्तहोने पर इतनी बढिया चर्चा,
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
अखबार मेंमहत्वपूर्ण जिम्मेदारीनिभाने के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं
बहुत अच्छी चर्चा ...
जवाब देंहटाएंItne behatreen links ke liye Abhaar, Dhanyvaad..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...अनेको शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंप्रथमत: अख़बार के लिए बधाई फिर इस चर्चा के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,भास्कर भूमि के लिए बधाई शुभकामनाए
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST...काव्यान्जलि... तुम्हारा चेहरा.
'अखबार' के लिए बधाई और शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट चर्चा हेतु आभार|
मुझे स्थान देने का धन्यवाद |
खूबसूरत प्रष्ट है अखबार का.और चर्चा भी सुव्यवस्थित.
जवाब देंहटाएंआपके समाचार पत्र के लिये बधाई....बहुत सुंदर चर्चा..आभार
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा सूत्र प्रस्तुत किए है। आभार
जवाब देंहटाएं'भास्कर भूमि' समाचार पत्र के लिए शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा के लिए आभार!
बहुत बढ़िया चर्चा....
जवाब देंहटाएंढेरों शुभकामनाएँ....
ये पत्र कहाँ से प्रकाशित हो रहा है???
सादर
अनु
हमेशा की तरह हमारी टिप्पणी का फिर पता नहीं....
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ अतुल जी.
अनु
humari kavita sammilit karne ke liye shukriya...anya link bhi achhe lag rhe shuruaati lines me...unhe jarur dekhungi abhi...thanks sir
जवाब देंहटाएंbadhaiyan bahut bahut.
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सर मुझे शामिल करने के लिए।
जवाब देंहटाएंअखबार की सफलता के लिए अनेकों शुभकामनाएँ।
सादर
बहूत हि बढीया चर्चा मंच..
जवाब देंहटाएंबढीया लिंक्स संजोजन....
आभार :-)
बड़ी ही सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .. बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंआप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया...अतुल जी बहुत बहुत आभार आपका मुझे यहाँ इतने वरिष्ठों में ये मौका देने के लिए...
जवाब देंहटाएं