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महेंद्र मिश्र जी
आपका भी स्वागत है ।। पहले पाठ में अटका हुआ नायक . पहले पाठ में अटका हुआ नायक . उत्तर प्रदेश की चुनावी पट कथा संपन्न हो चुकी है .लेकिन इस कथा का महा मंदमति नायक अब भी पुराने संवाद बोल रहा है .नाटक में कुछ पात्र नाटक समाप्त होन. |
2मेरे हिस्से में जूठन ही आया8 मार्च, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस जब मैं इस दुनिया में आई तो लोगों के दिल में उदासी चेहरे पर झूठी खुशी पाई। थोड़ी बड़ी हुई तो देखा, भाई के लिए आते नए कपड़े मुझे मिलते भाई के ओछे कपड़े। |
3उदयन की कथाअभिमन्यु का बेटा परीक्षित हुआ और और परीक्षित का बेटा हुआ जनमेजय ! राजा जनमेजय का पुत्र था शतानीक जो कि पांडवों का वंशज था और वत्स नामक देश का राजा. कहते हैं यह वत्स देश इतना मनोरम था मानो स्वर्ग का अभिमान दूर करने के लिए ही विधाता ने उसे रचा था. इस वत्स देश की राजधानी थी कौशाम्बी जिस पर धन-धान्य की वर्षा होती थी. |
4तेरे नयन हैं गीले क्यों!-महिला दिवस परमधुर गुंजनऋता शेखर 'मधु'![]() नारी, तू अति सुन्दर है; अति कोमल है; सृष्टि की जननी है तू| उम्र के हर पड़ाव पर किन्तु तेरे नयन हैं गीले क्यों? |
रिश्ते सब रंगीन हो गए दिल में ऐसा बिखरा रंग नागिन धुन पर बीन हो गए रिश्ते सब रंगीन हो गए उनके गालों पर पीला रंग सुर्ख होंठ और चोली तंग ताऊजी संगीन हो गए रिश्ते सब रंगीन हो गए छिप कर देखूं ताकू झ... |
6 स्मृति शिखर से – 10 ऋतुराज का मदमाता यौवन...! सोलह शृंगार सजी पीतवसना प्रकृति रानी...!! अलस मधुमास....!!! आज पुनः मुझे खींचे लिए जाता है मेरे गाँव। वैसे तो मेरे संसार का श्री गणेश ही मेरे गाँव से होता है। स्नातक की शिक्षा तक तो मुझे पता भी नहीं था कि गाँव से अलग भी कोई दुनिया होती है। मैं समझता था लोग दूर शहरों में रहते भले हैं मगर घर सब का गाँव में ही होता है। पता नहीं शायद अभी भी मैं ऐसा ही समझता हूँ। |
7फागुनी फिजाओं में रामलीला का उत्सव![]() |
अबनीश सिंह चौहान |
9चों मियां फुक्कन नीरजखूबसूरत उसकी साली है अभी तक गाँव में इसलिए कल्लू कसाई है अभी तक गाँव में चों मियां फुक्कन तुम्हारे घर में कल वो कौन थी तुम तो कहते थे कि, बीवी है अभी तक गाँव में ![]() |
10रंग वालों नेउन्नयन (UNNAYANA)रंग वालों ने फूलों से रंगदारी मांग ली ,खुसबू समेटे कलियों से उधारी मांग ली - मिश्री घुली फिजां में महकने लगी हैं गलियां , आहट बसन्त आया ,सँवरने लगी है डलियाँ - रस झरने लगे है कानन कोयल भी ताल में धानी चुनर में सज निखरने लगी है धनियाँ - |
12(A-I)दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंकहो री हो ली चरम पर, भरमित घुर्मित लोग- चर्चामंच पर टिप्पणी हो! हो! हो! होली हुई, हरफ-हरफ हुलसाय | प्रेम-पत्रिका पाठकर, पटु-पाठक पगलाय || पटु-पाठक पगलाय, प्रेम-पर प्रस्तुत परचा | चंचल-मन चितलाय, चढ़े चाचरि चहुँ चरचा | बाग़ बाग़ दिलबाग, निखरता तन-मन धो- धो | होली सबको लाग, करें सब पागल हो! हो !! बिटिया को शुभकामना, मात-पिता का स्नेह । सफल यात्रा हो प्रभू, बरसे मेहर-मेह । बरसे मेहर-मेह, छूटने कुछ न पाए । न कोई संदेह, समझ-दृढ़ता शुभ आये । पिता श्री बेचैन, भटकना इनकी आदत । यह होली की रैन, सभी का स्वागत-स्वागत ।। Cस्पर्श प्यार काखारा सागर मीठी गागर, शीत-ऊष्ण धाराएं | कहीं मरुस्थल-उद्यानों में, भीषण-सुखद हवाएं | चंदा की फितरत समझे मन, तन समझे घन वर्षा अमृत बूंदाबांदी से यह जीवन-ऊसर हर्षा || हो री हो ली चरम पर, भरमित घुर्मित लोग । शर मारे कुसुमेस सर, सहना कठिन वियोग ।। Eहोली की फाग .....कान्हा लीला कर रहे, छत्तीसगढ़ को जात । मायावी योगी बड़े, सपना हैं भरमात । सपना हैं भरमात, खेलती दुनिया सारी। रँगते सबके गात , चला के खुब पिचकारी । राधा धानी रंग, लाल से रंगे नीला । स्वप्न मेरे......... आज दिगम्बर की गली, गली ठीक से दाल । कैलासी डोलें सकल, लागा नेह-गुलाल ।। हर पहलू को जांचती, आँखे अख्तर साब । जो पढ़ ले ऑंखें उन्हें, मिलते सकल जवाब ।। एक साल सचमुच हुआ, पुत्र बसा परदेस | अंत वित्तीय वर्ष कर, आएगा फिर देस । आएगा फिर देस, बेटियां घर को आईं । गलाकाट यह रेस, कैरिअर और पढ़ाई । होली का त्यौहार, दिवाली रक्षाबंधन । झूठे होते पार, साल से मेरे आँगन ।। तीव्र वेग हो तीव्रतर, भरसक भागम भाग । रोना फिर भी समय का, मिटे मोह अनुराग । मिटे मोह अनुराग, लगे त्यौहार बदलने । नौसिखुओं की फाग, दाल लगती है गलने । संवाद हुए संक्षिप्त, रेस में पहले दौड़ें । मोबाइल विक्षिप्त, भेजता मैसेज भौंडे ।। और अंत में कुछ और स्वतंत्र लिंक्स जानकर चौंक जाएंगे कि तीन बच्चों के पिता 38 साल के थॉमस ने ही तीनों बच्चों को अपने गर्भ से जन्म दिया। वैसे तो यह माना जाता है कि पूरी दुनिया में 5 मेल मदर हैं, लेकिन कैमरे के सामने प्रेग्नेंसी से लेकर जन्म ... 14 बोन्साई का सा जीवन होता है लड़कियों का , अंकुरित हो जैसे ही निकलता है नन्हा सा पौधा मिलती है उसको खिली हुई धूप पर पल्लव निकलते ही रख दिया जाता है छांव में, काट - छांट रखना होता है उनको सही आकार... 15 उच्चारण हे नेताओं! स्वीकार करो, मेरा वन्दन। युगदृष्टाओं स्वीकार करो, मेरा वन्दन।। कभी बने तुम पुरुषोत्तम, और कभी बन गये योगिराज, कभी बने तुम ही गांधी, और कभी बने जनताधिराज, शत्-शत् तुम्हें प्रणाम, तुम्हारा अभिनन्दन। युगदृष्टाओं स्वीकार करो, मेरा वन्दन।। |
होलिकोत्सव और महिलादिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंशुक्रवार का इन्तजार रहता है हमको।
क्योंकि आपका अन्दाज़-ए-चर्चा बहुत भाता है!
बड़ी रोचक चर्चा रही..
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा ,
जवाब देंहटाएंबहुत विस्तृत और बढ़िया चर्चा ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स.
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल किया,आभार.
संतुलित सुरुचिपूर्ण चर्चा ,/ प्रस्तुति को सस्नेह बधाई, होली / रंगों की विविधता एकता का आकार लेती हुयी मनभावन हो चली है .....शुभकामनाएं जी ./
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक लिंक्स जोड़े हैं आपने....
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत सुंदर प्रस्तुति,.रविकर जी आपके पोस्ट शुक्रवार का इन्तजार रहता है,..
जवाब देंहटाएंRESENT POST...फुहार...फागुन...
अच्छे लिंक्स,शानदार चर्चा...आभार!
जवाब देंहटाएंsundar charcha hai,bdhaai aap ko
जवाब देंहटाएंव्यंग्य विनोद की पूरी टोकड़ी ले आयें हैं इस मर्तबा चर्चा में आप .
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा लिंक सजाए है,मेरी ग़ज़ल को भी शामिल करने का शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंतरह तरह के लिंक्स शामिल है.
sabhi bloger sathiyon ko holi ki shubhkamnayen........sare links ko padhne ka mauka nahi nikal payi ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स.
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स...
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें !
बढ़िया चर्चा.... सुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
अच्छी चर्चा |महिला दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर चर्चा ..जहां होली के रंगों से सजी हुवी है वहीँ महिला दिवस पर महिलाओं के मन और समाज में स्तिथि से सरोकार रखती है .. सादर
जवाब देंहटाएंbadhiya charcha....holi ki shubhakamanaye
जवाब देंहटाएंbahut badiya ragarang charcha prastuti hetu aabhar!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा..
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