गाफिल हैं ना व्यस्त, चलो चलें चर्चा करें, शुरू रात की गश्त, हस्त लगें शम-दस्यु कुछ । -----रविकर 0"जाति, धरम से बाँध मत, मौला को ऐ शमीम"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')अल्लाह निगह-ए-बान है, वो है बड़ा करीम। जाति, धरम से बाँध मत, मौला को ऐ शमीम।। बख्शी है हर बशर को, उसने इल्म की दौलत, इन्सां को सँवारा है, दे शऊर की नेमत, क्यों भाई को, भाई से जुदा कर रहा फईम। जाति, धरम से बाँध मत, मौला को ऐ शमीम।।1 रात आँखों में गुज़र जाती है हर घड़ी उनकी याद आती है क्यों मुहब्बत हमें सताती है चैन छीना, करार छीना है, रात आँखों में गुज़र जाती है... |
* * *सुब्रमण्यम स्वामी जी बहुत योग्य व् ज्ञानी महापुरुष **हैं .इनका सारा ज्ञान गाँधी परिवार को लांछित करने में ही प्रकट होता है .चर्चित होने के लि... |
पठान के कपडे पहन हिन्दू का लड़का बाज़ार में निकल पडा मारो मारो को हल्ला सुना घबरा कर भाग पडा एक मुसलमान ने घर का दरवाज़ा खोला इशारे से उसे अन्दर बुलाया मौत के मुंह से बचाया कुछ दिन घर में छुपा कर... |
तेरा नज़र घुमा कर यू मुस्काना तेरी सासें गाए नया तराना बिन मतलब मैं हुआ दीवाना // कपोल तेरे हुए लाजवंती अधरें तेरी हुई रसवंती बात-बात पर यू शर्माना बिन मतलब मैं हुआ दीवाना // |
बहुप्रतिक्षित उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 संपन्न हो गये, आशा के विपरीत समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला, बसपा क्यों हारी, राहुल का जादू क्यों नहीं चला या अखिलेश ने पार्टी को बदल दिया, यह विषय टीव... |
अभी-अभी छू कर गयी जो मुझे बसन्ती बयार थी या तुम थे ??? ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ कतरा कतरा थी जिंदगी पाया तुम्हें तो हो गयी नदी, मीठे पानी की.... |
पल-पल छिन-छिन बीत रहा है, जीवन से कुछ रीत रहा है। सहमे-सहमे से सपने हैं, आशा के अपरूप, वक्र क्षितिज से सूरज झाँके, धुँधली-धुँधली धूप। |
कुमार राधारमण कोलेस्ट्रॉल घटाने के लिए कई तरह के खाद्य पदार्थों को आहार श्रृंखला में शामिल करना चाहिए। केवल कुछ चुनिंदा खाद्य पदार्थों के खाने भर से कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी नहीं होती। नियमित कसरतों को भी जीवनशैली ... |
बुराई रही जीत है , अच्छाई की हार | सब पासे उलटे पड़े , कलयुग की है मार || कलयुग की है मार, राम पे रावण भारी | हार रहा है धर्म , जीतती दुनियादारी || काम बुरे सब छोड़ , सीखना तुम अच्छाई | कहे विर्क कविराय , जगत से मिटे बुराई || ---दिलबाग विर्क |
10परिकल्पना सम्मान २०१० और एक बैक बेंचर ब्लोगर की रिपोर्ट अरुण रॉय विगत एक माह से हिंदी ब्लॉग जगत के एक कुनबे में परिकल्पना सम्मान के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर सम्मलेन की खूब चर्चा थी. ज्यों ज्यों यह तिथि निकट आ रही थी प्रचार प्रसार की गति भी अपने चरम पर पहुंच रही थी. जैसे आज कल एक के साथ एक फ़्री होता है, वैसे ही अचानक इस सम्मान के साथ 'हिंदी साहित्य सम्मलेन' की स्वर्ण जयंती की बात भी जुड़ गयी. इस सम्मलेन के प्रचार में आधुनिक तकनीक का खूब उपयोग हो रहा था .. दिन में कई कई बार न सिर्फ़ एक ही सूचना के मेल प्राप्त हो रहे थे बल्कि वही एक ही सूचना कई कई ब्लोगर मित्र से भी प्राप्त हो रहे थे. यूं कहिये कि मीडिया जिस तरह किसी भी घटना को सनसनीखेज बना देती है वैसे ही इस समारोह को सनसनीखेज बनाने की पूरी कोशिश की गई! |
11 (A-G) Aबसंती रंग छा गया,...काव्यान्जलि ..धरती के वस्त्र पीत, अम्बर की बढ़ी प्रीत भवरों की हुई जीत, फगुआ सुनाइये । जीव-जंतु हैं अघात, नए- नए हरे पात देख खगों की बरात, फूल सा लजाइये । चांदनी शीतल श्वेत, अग्नि भड़काय देत कृष्णा को करत भेंट, मधुमास आइये । धीर जब अधीर हो, पीर ही तकदीर हो उनकी तसवीर को , दिल में बसाइए ।। C तृप्त आत्मा हो गई, पढ़ विस्तृत-वृत्तान्त । यादें फिर ताजी हुईं, बेचैनी भी शाँत । बेचैनी भी शाँत, दिखाते भवन निराले । बेफिक्र परिंदे पास, वाह रे ऊपरवाले । अस्सी और पचास, बचाया काफी पैसा । भाभी का नुक्सान, करें क्यूँ ऐसा-वैसा ।। प्रेरक प्रसंग-27 : अपने मन को मना लिया अपने मन को ली मना, बा को सतत प्रणाम | बापू करते कब मना, सामन्जस परिणाम || सामन्जस परिणाम, आत्म-बल प्रेम समर्पण | सत्य अहिंसा तुल्य, नियंत्रित कर ली तर्षण | बापू बड़े महान, जोड़ते भारत जन को | उनमें बा के प्राण, भेंटती अपने मन को | पाक प्रेम में पिस पगी, पंक्ति एक से एक । देवी जाती हो किधर, सुनो प्रेममय टेक । आसमान क्या देगा पंक्षी, धरती तुझको पाली। दाना-पानी हवा आसरा, बरबस तुझे सँभाली । बार बार भटकाती काहे, आसमान की लाली ? नील-गगन भर तू बाहों में, किन्तु रहेगा खाली ।। दिल में दफनाते गए, खले-गले घटनीय । उथल-पुथल हद से बढ़ी, स्वाहा सब अग्नीय ।। गुरुवर गुरु-घंटाल है, केवल चाहे श्रेय । रहा सिखाता नाट्य खुद, कर्म नहीं यह गेय । कर्म नहीं यह गेय, सहायक फ़िल्मी लाता । सन्नी सा पी पेय, मोड़ पर गान सिखाता । हार नहीं बर्दाश्त, चुनों इक बढ़िया चेला । चन्द्रगुप्त चाणक्य, बूझ अखिलेशी खेला ।। |
और अंत में -
होली का हंगामा थम चुका है।
सप्ताहांत की इन छुट्टियों के बाद एक अज़ीब सी शान्ति का अहसास तारी है।
ये सन्नाटा उदासी का सबब नहीं।
मन तो माहौल में बहती खामोशी ...
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धन्य हैं रविकर चर्चाकार!
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर है लिंकों की बहार!!
बहुत-बहुत आभार!!!
अच्छे लिंक्स !
जवाब देंहटाएंयह चर्चा-मंच 816 है||
जवाब देंहटाएं# हस्त लगें शम-दस्यु फिर- चर्चा मंच 815 नहीं 816 है
# "जीवन की आपाधापी" (चर्चा मंच-814)
# "फूहड़बाजी कब तक बर्दास्त करें?" (चर्चा मंच-813)...
# बोन्साई सा जीवन-- लड़कियों का- चर्चा-मंच
# होली है ( चर्चा मंच - 812 )
अच्छी चर्चा .
जवाब देंहटाएंbahut sundar charcha]
जवाब देंहटाएंaabhar sweekar karen.
आपने अपने शब्द दे कर 'कलमदान ' को चार चाँद लगा दिए..
जवाब देंहटाएंआभार..!!
सुन्दर चर्चा ..
kalamdaan.blogspot.in
रविकर जी!
जवाब देंहटाएंपहले कहीं गिनती में भूल हो गई होगी। अब सुधार दी गई है। क्योंकि चर्चा मंच का संगणक ब्लॉग पर 816 की गिनती दिखा रहा है!
बहुत सुंदर चर्चा,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार,....
MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...:बसंती रंग छा गया,...
सुन्दर लिंक्स से सजी....विस्तृत चर्चा..
जवाब देंहटाएंमेरी क्षणिकाओं को शामिल करने हेतु आपका आभार रविकर जी...
शुक्रिया.
ऐसी चर्चाओं से हर ब्लॉग पर पाठकों की संख्या बढ़ती है। आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ
बहुत ही बढि़या लिंक्स का संयोजन किया है ...आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ
BAHUT ACHCHHI CHARCHA RAHI AAJ .MERE AALEKH KO YAHAN STHAN DENE HETU AAPKA HARDIK DHANYVAD .
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा... बढ़िया संकलन...
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
इंसानियत का धर्म निभाता रहा
जवाब देंहटाएंmeree is rachna ko shaamil karne ke liye dhanywaad
कलमदान
जवाब देंहटाएंआसमान क्या देगा पंक्षी, धरती तुझको पाली।
दाना-पानी हवा आसरा, बरबस तुझे सँभाली ।
बार बार भटकाती काहे, आसमान की लाली ?
नील-गगन भर तू बाहों में, किन्तु रहेगा खाली ।।
हर बार रसीला लगता है यह गीत ,कहो इसे नवगीत ...
हर बार रसीला लगता है यह गीत ,कहो इसे नवगीत ...चर्चा ये नवनीत ,सुनों मेरे मनमीत ...कहाँ से लाये लिंक ..उड़ाई कहाँ से इंक ?
बहुत बढ़िया बहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंसादर ..
kalamdaan.blogspot.in
बहुत सुन्दर...आभार रविकर जी
जवाब देंहटाएंबहुत -बहुत आभार ॥ रविकर जी॥
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सजी....विस्तृत चर्चा..
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने हेतु आपका आभार रविकर जी...
शुक्रिया.
नये, सुन्दर और पठनीय सूत्र..
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