ग़ज़लकिस तरह से दब गए हैं स्वर यहाँ,नोंच कर फेंके गए हैं पर यहाँ। दाँत के नीचे दबेंगी उँगलियाँ, है उगी सरसों हथेली पर यहाँ। 'टोपियाँ' कुछ खुश दिखीं इस बात पर, कुछ 'किताबें' बन गईं अनुचर यहाँ। |
"रेल किराये के बढ़े, वापिस होंगे दाम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')लालू-ममता ने कभी, नहीं किया ये काम।१। रेल बजट इस साल में, लेकर आये दिनेश। ममता को भाया नहीं, उनका ये सन्देश।२। तलब किया दरबार में, दी कठोर फटकार। मन्त्री से पैदल किया, छीन लिया अधिकार।३। पर क्यूँ रही बरस, जरा बरसाओ ममता-बेसुरम क्षमता से बढ़कर खटे, बरगद सा तृण-मूल । सदा हितैषी आम की, पर देती नित हूल । पर देती नित हूल, भूल जाती है खुदको । टाटा नहीं क़ुबूल, रूल दुश्मन था, फुदको । पर क्यूँ रही बरस, जरा बरसाओ ममता । बत्तीस रूपये पाय, बढ़ी पब्लिक की क्षमता ।। |
उम्र कम होती है संशाधित रेड मीट रोज़ (एक पोर्शन )खाने वालों की . एक नईशोध रपट का यही स्वर है . 'Eating red meat could lead to early death'/ TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,MUMBAI,MARCH 14,2012. अकसर ऐसे ... |
नक्सली व सरकार की लड़ाई में फिर गयी जवानो की जान : इरिकगुट्टा कैम्प के तीन जवान हुए शहीद,६ घायल - | बस्तर समाचार कांकेर । बुधवार सायंकाल लगभग 6.00 बजे, 87वीं वाहिनी बीएसएफ मुख्यालय मुल्ला, भानुप्रतापपुर के कंपनी केम्प इरिकबुटा (थाना-पखांजूर) से कुछ जवानों का दल सिवि... |
मरू-उद्यान ...."सुरभित सुमन" हृदय के मरू उद्यान में, काव्यों के वृक्ष घने है ! सतरंगी घटाओं में, भावना के पुष्प खिले है ! अमर बेलों के झुरमुट में, कोयल का नित प्रेमगान है ! शीतल झरनों के संगीत में, अनहद का नाद छिपा है ! |
D!P!X at The Art of Living जिंदगी का सचदूसरों के दम जिंदगी जिया तो क्या जिया,चापलूसी करके किसी ने क्या उखाड़ लिया, जिनके अन्दर कुछ कर गुजरने की तमन्ना होती है , उन्होंने तो बिना कुछ कहे दुनिया हिला कर दिखा दिया । |
इन्तजार की इन्तिहा, इम्तिहान इतराय । मिलो यार अब तो सही, विरह सही न जाय ।। |
फेस बुकनहीं चिल्लाता बच्चों पर अब , रहता हूँ मैं अब चुप भूख नहीं लगती है मुझको ,ना ही पीता मैं अब सूप नहीं संभालता मैं किचेन , ना ही बनता मैं अब कुक |
बड़े विरोधाभास थे, सहे अकेले ताप-थोपा-थोपी का लगा, हिंदी पर आरोप । क्यूँ हिंदी 'अनुराग' का, झेलें 'शर्मा' कोप । झेलें 'शर्मा' कोप, तभी प्रत्युत्तर पटका । मन्ना दे अभिजीत, लाहिड़ी मलिक जूथिका। बर्मन शान किशोर, सभी के हिंदी गाने । वन्दे मातरम सुन, इंडियन हुवे दिवाने ।। हँसमुख जी हँसते रहें, हरदम हँसी-मजाक । लेकिन इक दिन कट गई, बीच मार्केट नाक । बीच मार्केट नाक, नमस्ते भाभी कह के । बच्चे तो गंभीर, मिले मुखड़ा ना चहके । बोलो हँसमुख कौन, बाप है इनका भाई । आप कहोगे नाम, कहे या इनकी माई ।। लम्हों का सफ़र शबनम करती गुप्तगू , दुपहर में चुपचाप । बड़े विरोधाभास थे, सहे अकेले ताप ।। कविता कवि की कल्पना, बे-शक सपने पास । शब्दों की ठक-ठक सुने, किन्तु भाव का दास ।। छले हकीकत आज की, सपने आते रास । पंडित जी के भूत को, जोखुवा बुझा खूब । कारस्तानी कर्ज की, गई ढिठाई डूब । गई ढिठाई डूब, फँसे नारद के फन्दे । गन्दे धन्धे बन्द, हुए खुश सारे बन्दे । जोखुआ को आशीष, करें हम महिमा-मंडित । हुवे अधिक खुशहाल, कराते पूजा पंडित ।।चाहे तारे तोड़ना, तोड़ ना मेरी चाह । रख इक टुकड़ा हौसला, वाह वाह भइ वाह ।। कहें इसी को प्यार, सार यही है जिंदगी । बहती भली बयार, मौन करूँ मैं बन्दगी ।। स्वास्थ्य-लाभ अति-शीघ्र हो, तन-मन हो चैतन्य । दर्शन होते आपके, हुए आज हम धन्य । हुए आज हम धन्य, खिले घर-आँगन बगिया ।खुशियों की सौगात, गात हो फिर से बढ़िया । रविकर सपने देख, आपकी रचना पढता । नित नवीन आयाम, समय दीदी हित गढ़ता ।। क्या होगा ?कब होगा? कैसे होगा ? आशंका चिंता-भँवर, असमंजस में लोग । चिंतामणि की चाह में, गवाँ रहे संजोग । गवाँ रहे संजोग, ढोंग छोडो ये सारे । मठ महंत दरवेश, खोजते मारे मारे । एक चिरंतन सत्य, फूंक चिंता की लंका । हँसों निरन्तर मस्त, रखो न मन आशंका ।। पाकिस्तान की बेटी का निकाह , अब हम करवाएंगे .......>>> संजय कुमार - सोलह आने सत्य है, बात बड़ी दमदार । सोलह में से यह बड़ा, संस्कार इस पार । संस्कार इस पार, बजे 'वीणा' शहनाई । हर्षित हिन्द अपार, बहू इक औरो आई । गई सानिया एक, बधाई लो अनजाने । पाक सोनिया बन, धाक हो सोलह आने ।। |
बढ़िया ब्लॉग पोस्ट जुटाए है....
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार चर्चा की है आपने तो!
जवाब देंहटाएंआभार!
बेहतरीन चर्चा विभिन्न आयामों से भरी रचनाओं का सरोकार आमों -खास से रोचकता लिए है ....सुन्दर जी /
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा ...बढ़िया लिंक्स चयन है ,रविकर जी |शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा , मेरी रचना "आम के पेड़ वाला भूत" लगाने के लिए आभार .
जवाब देंहटाएंसादर
रोचक चर्चा !
जवाब देंहटाएंरविकर जी, आपके अनूठे अन्दाज़ में चर्चा का रंग निखर आता है। आभार!
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा , रविकर जी शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंnice.
जवाब देंहटाएंsee
नेचुरोपैथी में करिअर
http://hbfint.blogspot.com/2012/03/naturopathy.html
कई नई और अच्छी पोस्टें पढ़ने को मिलेंगी।
जवाब देंहटाएंnice presentation....
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा !
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा !बढ़िया लिंक्स....मेरी रचना "अबोला वादा" लगाने के लिए आभार .
जवाब देंहटाएंek- se badhkar- ek.....
जवाब देंहटाएंravikarji kaa ravi chamkaa
जवाब देंहटाएंaaj charchaa manch mein
apnee roshnee mein dikhaaye
badhiyaa badhiyaa links
badhiyaa charcha,thanks
जवाब देंहटाएंरविकर जी,
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार मेरी रचना शामिल करने के लिये !
धन्यवाद !
बेहतरीन चर्चा ,के लिए आभार,.....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना .अच्छी पोस्टें पढ़ने को मिलेंगी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएंbahut badiya charcha prastuti..
जवाब देंहटाएंaabhar!
वाह जी अच्छा संकलन है आज
जवाब देंहटाएंसबके प्रति सद्भावना से प्रेरित रहते ,करते चर्चा मंच ,रविकर से सरपंच .
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा.
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार चर्चा की है आपने..मेरी रचना को मान देने के लिये आभार....
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ! इस मंच पर चर्चा विस्तार से कहाँ दिखाई देती है ?
जवाब देंहटाएंकवितामय चर्चा चली मस्त हुआ मन मोर
जवाब देंहटाएंचित्त चुरा कर के गया ज्यों कोई चितचोर
ज्यों कोई चितचोर,मुरलिया हिय-जिय गूँजी
इस आनंद से बढ़कर , कोई क्या हो पूँजी
प्यासे राही को ज्यों मरुथल,मिले जलाशय
मस्त हुआ मन मोर चली चर्चा कवितामय.
बेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंi am a blogger and seo expert
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