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शुक्रवार, मार्च 16, 2012

आप आये : मेहनत सफल : चर्चा-मंच 820


राजेश उत्साही
उपर्युक्त ब्लॉग्स के ब्लॉगर राजेश उत्साही को उनकी कविताओं और यायावर वृत्तांतों आदि के माध्यम से आप सभी जानते हैं। हाल ही में सम्पन्न 20वें विश्व पुस्तक मेले में उनके कविता संग्रह वह, जो शेष है का विमोचन वरिष्ठ कवि मदन कश्यप के हाथों साहित्यकार डॉ॰ शेरजंग गर्ग व कथाकार-सम्पादक संजीव आदि के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ था। अपने कार्य के सिलसिले में दिनांक 16 मार्च से 25 मार्च 2012 तक वे बंगलौर से दिल्ली-रोहतक-जबलपुर-दिल्ली के टूर  पर रहेंगे। अपने अति व्यस्त और थका देने वाले कार्यक्रम से 2-3 घंटे हमने दिल्ली के मित्रों के लिए निकालने का अनुरोध उनसे किया है, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है। यह मिलन समारोह एकदम अनौपचारिक तरीके से, कनॉट प्लेस स्थित (मोहनसिंह पैलेस के बराबर वाले श्रीहनुमान मन्दिर के ठीक सामने, सड़क के उस पार) कॉफी होम में सम्पन्न करना निश्चित हुआ है।

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ग़ज़ल

किस तरह से दब गए हैं स्वर यहाँ,
नोंच कर फेंके गए हैं पर यहाँ।

दाँत के नीचे दबेंगी उँगलियाँ,
है उगी सरसों हथेली पर यहाँ।

'टोपियाँ' कुछ खुश दिखीं इस बात पर,
कुछ 'किताबें' बन गईं अनुचर यहाँ।

"रेल किराये के बढ़े, वापिस होंगे दाम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रेल किराये में कभी, नहीं बढाए दाम।
लालू-ममता ने कभी, नहीं किया ये काम।१।

रेल बजट इस साल में, लेकर आये दिनेश।
ममता को भाया नहीं, उनका ये सन्देश।२।

तलब किया दरबार में, दी कठोर फटकार।
मन्त्री से पैदल किया, छीन लिया अधिकार।३।

पर क्यूँ रही बरस, जरा बरसाओ ममता-

बेसुरम 
क्षमता से बढ़कर खटे, बरगद सा तृण-मूल ।
सदा हितैषी आम की, पर देती नित हूल ।

पर देती नित हूल, भूल जाती है खुदको ।
टाटा नहीं क़ुबूल, रूल दुश्मन था, फुदको ।

 पर क्यूँ रही बरस, जरा बरसाओ ममता ।
बत्तीस रूपये पाय, बढ़ी पब्लिक की क्षमता ।।

उम्र कम होती है संशाधित रेड मीट रोज़ (एक पोर्शन )खाने वालों की .
एक नईशोध रपट का यही स्वर है . 
'Eating red meat could lead to early death'/
TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,MUMBAI,MARCH 14,2012. 
अकसर ऐसे ...

नक्सली व सरकार की लड़ाई में फिर गयी जवानो की जान : इरिकगुट्टा कैम्प के तीन जवान हुए शहीद,६ घायल
 बस्तर समाचार                                      कांकेर । बुधवार सायंकाल लगभग 6.00 बजे, 87वीं वाहिनी बीएसएफ मुख्यालय मुल्ला, भानुप्रतापपुर के कंपनी केम्प इरिकबुटा (थाना-पखांजूर) से कुछ जवानों का दल सिवि...

मरू-उद्यान ....

"सुरभित सुमन"
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                                                               हृदय के मरू उद्यान में,
                                                               काव्यों के वृक्ष घने है !
                                                               सतरंगी घटाओं में,
                                                               भावना के पुष्प खिले है !
                                                               अमर बेलों के झुरमुट में,
                                                               कोयल का नित प्रेमगान है !
                                                               शीतल झरनों के संगीत में,
                                                               अनहद का नाद छिपा है !

D!P!X at The Art of Living 

जिंदगी का सच

दूसरों के दम जिंदगी जिया तो क्या जिया,
चापलूसी करके किसी ने क्या उखाड़ लिया,
जिनके अन्दर कुछ कर गुजरने की तमन्ना होती है ,
उन्होंने तो बिना कुछ कहे दुनिया हिला कर दिखा दिया ।

यार तुम मिलो तो सही
Pen has it's own language....... 
 
इन्तजार की इन्तिहा, इम्तिहान इतराय ।
मिलो यार अब तो सही, विरह सही न जाय ।।

फेस बुक


नहीं चिल्लाता बच्चों पर अब , रहता हूँ मैं अब चुप
भूख नहीं लगती है मुझको ,ना ही पीता मैं अब सूप 
नहीं संभालता मैं किचेन , ना ही बनता मैं अब कुक

बड़े विरोधाभास थे, सहे अकेले ताप-


थोपा-थोपी का लगा, हिंदी पर आरोप ।
क्यूँ हिंदी 'अनुराग' का, झेलें 'शर्मा' कोप ।

झेलें 'शर्मा' कोप, तभी प्रत्युत्तर पटका ।
मन्ना दे अभिजीत, लाहिड़ी मलिक जूथिका।

बर्मन शान किशोर, सभी के हिंदी गाने ।
वन्दे मातरम सुन, इंडियन हुवे दिवाने ।।
हँसमुख जी हँसते रहें, हरदम हँसी-मजाक ।
लेकिन इक दिन कट गई, बीच मार्केट नाक ।

बीच मार्केट नाक, नमस्ते भाभी कह के ।
बच्चे तो गंभीर, मिले मुखड़ा ना चहके ।

बोलो हँसमुख कौन, बाप है इनका भाई ।
आप कहोगे नाम, कहे या इनकी माई ।।
लम्हों का सफ़र
शबनम करती गुप्तगू , दुपहर में चुपचाप ।
बड़े विरोधाभास थे, सहे अकेले ताप ।।

कविता कवि की कल्पना, बे-शक सपने पास ।
शब्दों की ठक-ठक सुने, किन्तु भाव का दास ।।

छले हकीकत आज की, सपने आते रास ।
 खड़ी मुसीबत न करें, घटे नहीं कुछ ख़ास ।।

पंडित जी के भूत को,  जोखुवा बुझा खूब ।
कारस्तानी कर्ज की, गई ढिठाई डूब ।


गई ढिठाई डूब, फँसे नारद के फन्दे ।
गन्दे धन्धे बन्द, हुए खुश सारे बन्दे ।

जोखुआ को आशीष, करें हम महिमा-मंडित ।
हुवे अधिक खुशहाल, कराते पूजा पंडित ।।


चाहे तारे तोड़ना, तोड़ ना मेरी चाह ।
रख इक टुकड़ा हौसला, वाह वाह भइ वाह ।। 
कहें इसी को प्यार,  सार यही है जिंदगी ।
 बहती भली बयार, मौन करूँ मैं बन्दगी ।।

स्वास्थ्य-लाभ अति-शीघ्र हो, तन-मन हो चैतन्य ।
दर्शन होते आपके, हुए आज हम धन्य ।

हुए आज हम धन्य, खिले घर-आँगन बगिया ।
खुशियों की सौगात, गात हो फिर से बढ़िया ।

रविकर सपने देख, आपकी रचना पढता ।
नित नवीन आयाम, समय दीदी हित गढ़ता ।। 

क्या होगा ?कब होगा? कैसे होगा ?
आशंका चिंता-भँवर, असमंजस में लोग ।
चिंतामणि की चाह में, गवाँ रहे संजोग । 

 गवाँ रहे संजोग, ढोंग छोडो ये सारे ।
मठ महंत दरवेश, खोजते मारे मारे ।

एक चिरंतन सत्य, फूंक चिंता की लंका ।
हँसों निरन्तर मस्त, रखो न मन आशंका ।।   


पाकिस्तान की बेटी का निकाह , अब हम करवाएंगे .......>>> संजय कुमार -
सोलह आने सत्य है, बात बड़ी दमदार ।
सोलह में से यह बड़ा, संस्कार  इस पार ।

संस्कार इस पार, बजे 'वीणा' शहनाई ।
हर्षित हिन्द अपार, बहू इक औरो आई ।
 
गई सानिया एक, बधाई लो अनजाने ।
पाक सोनिया बन, धाक हो सोलह आने ।।  


29 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन चर्चा विभिन्न आयामों से भरी रचनाओं का सरोकार आमों -खास से रोचकता लिए है ....सुन्दर जी /

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया चर्चा ...बढ़िया लिंक्स चयन है ,रविकर जी |शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर चर्चा , मेरी रचना "आम के पेड़ वाला भूत" लगाने के लिए आभार .

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. रविकर जी, आपके अनूठे अन्दाज़ में चर्चा का रंग निखर आता है। आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. बढ़िया चर्चा , रविकर जी शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  6. nice.
    see
    नेचुरोपैथी में करिअर
    http://hbfint.blogspot.com/2012/03/naturopathy.html

    जवाब देंहटाएं
  7. कई नई और अच्छी पोस्टें पढ़ने को मिलेंगी।

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  8. बढ़िया चर्चा !बढ़िया लिंक्स....मेरी रचना "अबोला वादा" लगाने के लिए आभार .

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  9. ravikarji kaa ravi chamkaa
    aaj charchaa manch mein
    apnee roshnee mein dikhaaye
    badhiyaa badhiyaa links

    जवाब देंहटाएं
  10. रविकर जी,
    बहुत बहुत आभार मेरी रचना शामिल करने के लिये !
    धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही बेहतरीन रचना .अच्छी पोस्टें पढ़ने को मिलेंगी।

    धन्यवाद

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  12. सबके प्रति सद्भावना से प्रेरित रहते ,करते चर्चा मंच ,रविकर से सरपंच .

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत शानदार चर्चा की है आपने..मेरी रचना को मान देने के लिये आभार....

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  14. शास्त्री जी ! इस मंच पर चर्चा विस्तार से कहाँ दिखाई देती है ?

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  15. कवितामय चर्चा चली मस्त हुआ मन मोर
    चित्त चुरा कर के गया ज्यों कोई चितचोर
    ज्यों कोई चितचोर,मुरलिया हिय-जिय गूँजी
    इस आनंद से बढ़कर , कोई क्या हो पूँजी
    प्यासे राही को ज्यों मरुथल,मिले जलाशय
    मस्त हुआ मन मोर चली चर्चा कवितामय.

    जवाब देंहटाएं

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