मित्रों! शनिवार के लिए कुछ लिंक आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ! |
*सूरज !* *क्या कभी छिपता है ?* *चाँद !* *क्या कभी घटता है ? यही तो है दृश्य शक्ति - |
भीख की भेंट उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री ने राज्य का कार्य भार सँभालते ही युवाओं को तोहफे में भीख दी !!!... |
प्रथम अंक में आप पढ़ चुके हैं- एक स्वप्न को देख जिज्ञासा से भर उठे ग्रीसवासी ज़ोडोरियस ने उसका रहस्य जानने के लिये अपने गुरु सोलोमन की आज्ञा से ... आगे पढ़िए-स्वप्न का रहस्य (...भाग 2) - |
मातृत्व को किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता है । भारत की टेस्ट ट्यूब प्रयोगशालाओं में जन्मे विदेशी बच्चे इस बात को बखूबी साबित भी कर रहे हैं। इसीलिए तो विदेशी भी आ रहे हैं मातृत्व सुख के लिए भारत - |
लोक तंत्र का जागरण प्रश्न :यदि सुश्री ममता बनर्जी को श्री मनमोहन जी की चाची और श्री मती सोनिया गांधीजी की ताई मान लिया जाए तब मनमोहन... |
७० के दशक का गीत 'सजना है मुझे सजना के लिए' मेरे मस्तिष्क में वह बराबरी वाला जो कोना बचपन से है उसे उकसाता सा लगता था। समझ नहीं आता था कि यदि स्त्री ...कहती है कि सजना है मुझे सजनी के लिए............ |
सर मनसर कैलास, बही है गंगा धारा -- Kashish - My Poetry बंजारा चलता गया, सौ पोस्टों के पार । |
हर्षित हिन्द अपार, बहू इक औरो आई-- " जीवन की आपाधापी " *पाकिस्तान की बेटी का निकाह , अब हम करवाएंगे ...... |
दोहावली .... भाग - 3 / संत कबीर जो तोकु कांटा बुवे, ताहि बोय तू फूल । तोकू फूल के फूल है, बाकू है त्रिशूल ॥ 21 ॥ |
व्यर्थक बात करय छी कियै अहाँ कहलहुँ, अहीं लऽ मरय छी। अहाँ, व्यर्थक बात करय छी।। आस लगेलहुँ, रूप सजेलहुँ, लेकिन तखनहुँ अहाँ नहि एलेहुँ। काज करय में दिन कटैया, कुहरि कुहरिकय रात... |
पन्द्रह मार्च १९६३ हाँ ..यही तो है ... मेरा जन्म दिवस .... पूरे उनंचास बसंत हो गए विदा .. और् पचासवे ने दी है दस्तक ! बेटी को बिदा करके ...... पचासवा बसंत |
बजट 2012 स्पष्ट दृष्टि की कमी यह समय पूरी दुनिया के लिए एक कठिन समय है. विकसित देशो में जिस तरह अर्थव्यवस्था चरमरा गई है... |
बुद्धिमान बकरियां एक नदी पर पुल था सकरा, एक बार में एक जा पाता. एक तरफ से कोई जब आता, दूजा उसी छोर रुक जाता. दो मूरख, जिद्दी थीं बकरी, पुल पर दो छोरों से आयीं.... |
सस्ता हुआ नमक, छिड़क दें जैसे सिसके खुला पिटारा प्रणव का, मौनी देते दाद । महँगाई से त्रस्त जन, डर डर देते पाद । दर दर देते पाद, धरा नीचे से खिसके । सस्ता हुआ नमक, छिड़क दें जैसे सिसके... |
http://sahityasurbhi.blogspot. इस दिल ने नादानी में,आग लगा दी पानी में | वा'दे सारे खाक हुए आया मोड़ कहानी में | तेरी याद चली आए है ये दोष निशानी में | |
२५ फरवरी एक यादगार लम्हा बनकर यादों में कैद हो गयी चलिए आपको ले चलती हूँ अपने उस सफ़र पर पुस्तक मेला -----2012 लम्हों को जो कैद किया अफ़साना नया बन गया … |
...... माँ का आंचल ...... माँ पलंग से उतर ..तुरंत अपने अंक में भर ली ! मेरी कपकपी दूर हो गयी ! माँ के आंचल से बड़ा सुख , इस दुनिया के किसी तम्बू में नहीं है ... |
यूपी : चेहरा बदला चरित्र नहीं ... *मैं *हमेशा से इसी मत का हूं कि चेहरा बदलने से चरित्र नहीं बदल सकता। हां अगर कोई चरित्र में बदलाव कर ले, तो चेहरा खुद बखुद बदला बदला सा लगता है। |
यह चिंगारी मज़हब की." "स्वयं सवारों को खाती है, गलत सवारी मज़हब की. ऐसा न हो देश जला दे, यह चिंगारी मज़हब की. |
बसंत क्यों हुआ 'अ-संत' थी प्रतीक्षा जिस बसंत की वह बसंत खुश होकर आया. सौगातों की गठरी को भी साथ में अपने लेकर आया. फूली सरसों-अलसी-अरहरी मटर में छेमी खूब लहराया. परन्तु,....... |
और अब हंस गीतिका! राजहंसों की पुनर्खोज विषयक पहली और दूसरी पोस्ट के बाद यह आख़िरी किश्त है जिसमें हंस /राजहंस की एक और प्रबल दावेदारी का उल्लेख किया जाना जरुरी लगता है... |
शख्स ... यहाँ हर शख्स, किसी न किसी का खुद-ब-खुद चेला हुआ है उफ़ ! ये कैसा शहर है 'उदय', जहां कोई 'गुरु' नहीं दिखता !! |
अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींचकर महाप्राण शक्तियाँ बनाते हैं ... |
परम सत्य “लोग अक्सर ही सत्य को भूल क्यों जाते हैं”, यात्री ने गुरु से पूछा. “कैसा सत्य?”, गुरु ने पूछा. “मैं जीवन में कई बार सत्य के मार्ग से भटक गया”.... |
दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है! सत्ता के सामने कभी सयानापन नहीं चलता है जिसके हाथ बाजी उसकी बात में दम होता है कोई जंजीर सबसे कमजोर कड़ी से ज्यादा मजबूत नहीं होती है हर कोई भाग खड़ा होता... |
बच्चे तेरे बड़ों की घुट्टी में क्या है ? सरल को ठीक-ठीक नहीं मालूम कितना बड़ा बच्चा था, नार्वे की संस्कृति क्या है, वहां की सरकार सिर्फ़ दूसरे देशों के बच्चों को उठाती है या अपने देश के बच्चों को... |
कवितायेँ - सुशील कुमार *(1)* बुरका जब खुदा मेरी देह बना रहा था उसी समय उसने तुम्हारी आँखों पर बनाया था हया का पर्दा तुमनें मन की कालिमा से एक लिबास बनाया और हमने पहन लिया ... |
एक अनोखी चिडिया *''एक ऐसी चिडिया जो स्कूल जाती है। प्रार्थना में शामिल होती है। पढाई करती है। मध्यान्ह भोजन करती है। बच्चों के साथ खेलती है।'' इस चिडिया का नाम है.... |
Good Bye Falak ! *You have chosen sacred silence,* *no one will miss you, * *no one will hear your cries. No one will come to put roses on your grave * *with choked voice ... अन्त में देखिए! निम्न कार्टून!! |
बढ़िया लिनक्स चुन लाये हैं ..... आभार
जवाब देंहटाएंकई लिंक्स |बढ़िया चर्चा |कार्टून बहुत मजेदार है |
जवाब देंहटाएंआशा
सुंदर संकलन व कार्टून भी सम्मिलित करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंआदरणीय डॉ. रूपचन्द्र शास्त्रीजी बहुत सुंदर चर्चा,
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका आभार
bahut sundar ...
जवाब देंहटाएंbehatreen ... prasanshaneey charchaa ... aabhaar ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया विस्तृत चर्चा ...!!
जवाब देंहटाएंअलबेली चर्चा |
जवाब देंहटाएंआभार गुरु जी ||
अत्यन्त रोचक चर्चा..
जवाब देंहटाएंइस शानदार, जानदार और विस्तृत संकलन के लिए आभार शास्त्रीजी !
जवाब देंहटाएंआभार चर्चा में मेरी चिडिया को शामिल करने के लिए।
जवाब देंहटाएंबेहतर लिंक्स संयोजन।
very nice post...badia...
जवाब देंहटाएंBahut Badiya Charcha Prastuti..
जवाब देंहटाएंCharcha prastuti mein meri blog post shamil karne ke liye aabhar!
बहुत सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स का चयन किया है आपने ..आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा, इतने सारे लिंक्स हैं, समय चाहिए सब तक पहुंचने में... कोशिश करता हूं।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शानदार विस्तृत संकलन के लिए,..बहुत२ आभार शास्त्रीजी,
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya charcha .aabhar
जवाब देंहटाएंविभिन्न विषयों पर सुंदर लिंक्स संजोये रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंvicharniy prastuti.sarthak charcha.meri post"यह चिंगारी मज़हब की." ko sthan dene ke liye aabhar.यह चिंगारी मज़हब की."
जवाब देंहटाएंनित नए राग ,नित नए लिंक ला रहें हैं रविकर जी .
जवाब देंहटाएंतोता मैना की कहानी ,ये कहानी पुरानी न hui ...
जवाब देंहटाएंकितनी सुन्दर प्यारी 'रमली'
हर चिड़िया से न्यारी रमली
सबको सबक सिखाती है
सबका मन बहलाती है.
पढ़ने से ही ज्ञान मिलेगा,
दुनिया को समझाती है.
चीं-चीं कर के गीत सुनाती,
सबकी बनी दुलारी रमली.
रोज सुबह आ जाती है,
कक्षा में छा जाती है.
मिलजुल कर सब करो पढ़ाई,
बात यही बतलाती है.
रोज-रोज़ आती है पढ़ने,
कभी न हिम्मत हारी रमली.
नित नए राग ,नित नए लिंक ला रहें हैं रविकर जी .
बेहतरीन लिंक्स हैं.बहुत कुछ पढ़ना शेष है.यह चर्चा काम आएगी.आभार.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शानदार विस्तृत संकलन के लिए,..बहुत२ आभार शास्त्रीजी,
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST... फुहार....: रिश्वत लिए वगैर....
ढेर सारे छूटे हुए लिंक यहां आकर मिल गए। बड़ी मेहनत से सजाई है आपने आज की चर्चा को।
जवाब देंहटाएंगुरूजी - प्रणाम आप के द्वारा सजाई सामग्री बहुत सुन्दर और उपयोगी हैं ! मेरे पोस्ट को स्थान देने के लिए बहुत - बहुत आभार !
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