बैठे भाजप चील, मार न जांय झपट्टा-
सत्य कटुक कटु सत्य हो, रविकर कहे धड़ाक।
दल-दल में दलकन बढ़ी, दल-दलपति दस ताक।
दल-दलपति दस ताक, जमी दलदार मलाई ।
सभी घुसेड़ें नाक, लगे है पूरी खाई ।
खाई-कुआँ बराय, करो मैया ना खट्टा ।
बैठे भाजप-चील, मार न जांय झपट्टा ।।
--रविकर
"दोहे-दल-दल में सरकार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
गुटबन्दी में फँस गया, सत्ता का परिवेश।१।
बिकने को तैयार हैं, प्रत्याशी आजाद।
लोकतन्त्र का हो रहा, रूप यहाँ बरबाद।२।
जोड़-तोड़ होने लगी, खिसक रहा आधार।
जनपथ के आदेश की, हुई करारी हार।३।
चलने से पहले फँसी, दल-दल में सरकार।
दर्जन भर बीमार हैं, लेकिन एक अनार।४।
(१) सुध-बुध बिसरे तन-बदन, गुमते होश-हवाश । गुमते होश-हवाश, पुलकती सारी देंही । तीर भरे उच्छ्वास, ताकता परम सनेही । वर्षा हो न जाय, भिगो दे पाथ रास का । अब न मुझको रोक, चली ले मिलन आस का ।। |
(२) यही हकीकत है दुनिया की, साथी जरा निभाता चल । काँटे जिसके लिए बीनते, अक्सर जाये वो ही खल । स्वारथ की इस खींचतान में, अपने हिस्से की खातिर चील-झपट्टा मार रहे सब, अपना चिंतन ही सम्बल ।। |
(३) उदासीनता की तरफ, बढे जा रहे पैर । रोको रोको रोक लो, करे खुदाई खैर । करे खुदाई खैर, लगो योगी वैरागी । दुनिया से क्या वैर, भावना क्यूँकर जागी । दर्द हार गम जीत, व्यथा छल आंसू हाँसी । जीवन के सब तत्व, जियो तुम छोड़ उदासी ।। |
(४)दर्शन-प्राशनकविता-काढ़ापतला ही रह गया रसायन नहीं हुआ वो गाढ़ा. क्षीर समझकर पीने आये हंसराज सित काढ़ा. स्नेह शुष्क चौमासा बीता बीता थरथर जाड़ा. लेते रहे अलाव विद्युती देह से स्नेहिल भाडा. दर्शन अभिलाषा की मथनी मथती कविता-काढ़ा. पर हंसराज मुख अम्ल मिला पी जाते गाढ़ा गाढ़ा. | (५) मूल्य... रोग ग्रसित तन-मन मिरा, संग में रोग छपास । मर्जी मेरी ही चले, नहीं डालनी घास । नहीं डालनी घास, बिठाकर बँहगी घूमूँ । मम्मी तेरी खास, बैठ सारे दिन चूमूँ । चाचा का क्या प्लाट, प्लाट परिवारी पाया । मूल्य बचाते हम, व्यास जी को भिजवाया ।। |
(६) एकत्रित होना सही, अर्थ शब्द-साहित्य । सादर करते वन्दना, बड़े-बड़ों के कृत्य । बड़े-बड़ों के कृत्य, करे गर किरपा हम पर । हम साहित्यिक भृत्य, रचे रचनाएं जमकर । गुरु-चरणों में बैठ, होय तन-मन अभिमंत्रित । छोटों की भी पैठ, करें शुरुवात एकत्रित ।। |
(७) नहीं रहा जो कुछ भला, दीजै ताहि भुलाय । नई एक शुरुवात कर, सेतु नवीन बनाय ।। |
अपलक पढता रहा समझता, रहस्य सार गीता का | श्लोक हो रहे रविकर अक्षर, है आभार अनीता का || |
(९) Naaz वाह-वाह क्या बात है, भला दुपट्टा छोर । इक मन्नत से गाँठती, छोरी प्रिय चितचोर । छोरी प्रिय चितचोर, मोरनी सी नाची है ।कहीं ओर न छोर, मगर प्रेयसी साँची है । रविकर खुद पर नाज, बना चाभी का गुच्छा । सूत दुपट्टा तान, होय सब अच्छा-अच्छा ।। |
(१०) NEERAJ PAL मज़बूरी मन्जूर कर लिया, पीठ दिखा लो सूरज को । महबूबा को अंक भरे जब, धूप लगे न सूरत को । बनकर के परछाईं जीती, चिंता तो करनी ही है - झूठ झकास जीत भी जाये, चुनना सच को इज्जत को ।। |
(११) हैदराबाद, १३ मार्च, २०१२. दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा द्वारा संचालित उच्च शिक्षा और शोध संस्थान के तत्वावधान में यहाँ स्नातकोत्तर छात्रों के निमित्त ''आधुनिक हिंदी काव्य का इतिहास'' विषयक दो-दिवसीय व्य... |
(१२) कभी सोचा है... न चाँद होता न होते तारे फिर हम क्या करते चंदा को मामा बना बच्चों को कैसे फुसलाते कभी तन्हा रातों में |
(१३)जी करता है .... |
(१४) सरकारें "नोट" पर चलती है "वोट" तो बहाना है |
(१५) पिछले तीन दिनों में दो बेहतरीन फिल्में देखीं.. एक तो 'कहानी' और एक 'पान सिंह तोमर'.... रॉकस्टार के बाद से एक अच्छी मूवी का इंतज़ार कर रहा था, और एक के साथ एक फ्री की तर्ज़ पर दोनों फिल्में आई हैं... दोनों फिल्मों में कई बातें कोमन हैं... सबसे पहले तो दोनों ही फिल्मों में गाने नहीं हैं (अगर बीच बीच में आने वाले बैकग्राउंड स्कोर की बात न करें तो ), और दोनों फिल्में किसी न किसी रूप में आपको लड़ते रहना सिखाती हैं, जैसा कि पान सिंह तोमर कहते हैं, रेस में एक असूल होता है जो एक बार आपने रेस शुरू कर दी तो उसको पूरा करना पड़ता है, फिर चाहे आप हारें या जीतें... आप सरेंडर नहीं कर सकते... खैर आज बातें सिर्फ पान सिंह तोमर की करूंगा... |
(१६)नुक्कड़'Save Your Voice' टीम दक्षिण भारत के दौरे पर | (१७) लो क सं घ र्ष ! | (१८) सचिन पर गर्व है मुझे - किसी को भी उंचाईयों पर चढ़ते देखकर , ज्यादातर लोगों के पेट में दर्द होने लगता है। यही हाल हिन्दुस्तानियों . |
(१९) मूत्र मार्ग संक्रमण जीवाणु जन्य संक्रमण है जिसमें मूत्र मार्ग का कोई भी भाग प्रभावित हो सकता है। हालाँकि मूत्र में तरह-तरह के द्रव एवं वर्ज्य पदार्थ होते है किंतु इसमें जीवाणु नहीं होते। यूटीआई से ग्रसित... |
(२०) प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों पहेली संख्या 71 में ‘ओम जय जगदीश की आरती ’के रचयिता का नाम पूछा गया था जो है *पंडित श्रध्दाराम शर्मा जी ।* ओम जय जगदीश की आरती जैसे भावपूर्ण गीत के रचयिता थे पं. श्रध्दाराम शर... |
(२१) प्रत्यारोपित अंग को स्वीकृति दिलवाने के लिए अब स्टेम सेल्स का टीका . stem -cell jab will help cut risk of organ rejection/ THE TIMES OF INDIA,MUMBAI ,MARCH 12,2012,P17. प्रत्यारोप विज्ञान के लिए एक नै खबर... |
(22)
*मित्रों!* विगत साढ़े तीन माह से अनवरत अनियमित था। लेकिन इस बार तो एक लंबा विराम ही लग गया। एक बार जब खिलाड़ी कुछ दिन के लिए मैदान से बाहर होता है तो उस का पुनर्प्रवेश आसान नहीं होता। मेरे साथ भी यही .
फिर से एक और स्तरीय चर्चा!
जवाब देंहटाएंब्लॉगों पर आपकी टिप्पणियाँ वहुत सटीक रहती हैं।
आभार!
सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा।
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स...शानदार चर्चा...आभार!
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच की चौधराहट के लिए आपको बधाईयाँ सार्थक सफल चर्चा की शुभकामनाये , नए पुराने मित्रों की सृजन श्रंखला में नए भाव भरे सृजन पढ़ने को मिले , जो रुचिकर व samvedanshil bhi hain संकलन हेतु साधुवाद /
जवाब देंहटाएंसार्थक सफल चर्चा के लिए बधाई .....
जवाब देंहटाएंRESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
बहुत बढ़िया चर्चा रविकर जी....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.
जीवन के सब रंग समेटे चर्चा लाये ,रविकर आये
जवाब देंहटाएंरविकर जी आपका भी बहुत बहुत आभार...आपकी काव्य क्षमता का तो कहना ही क्या !
जवाब देंहटाएंनिराली चर्चा
जवाब देंहटाएंbahut achchhe links .aabhar.
जवाब देंहटाएंAB HOCKEY KI JAY BOL
बिन झंझट के मिलता है सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंचमकी है इससे किस्मत अपना
शुक्रिया ... रविकर जी ... और मेरे ब्लॉग पढने वाले
बहुत ही बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट पर आपका हार्दिक स्वागत है।
Thank you fr sharing the creation here
जवाब देंहटाएंregards
naaz
बहुत सुंदर लिंक्स.....बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिंक संयोजन्।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स...सार्थक चर्चा हेतु आभार!
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