मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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"अन्तर्राष्ट्रीय महिलादिवस-
मैं नारी हूँ...!"
...दुनिया ने मुझे
मात्र अबला मान लिया है,
और केवल
भोग-विलास की
वस्तु जान लिया है!
यही तो है मेरी कहानी,
आँचल में है दूध
और आँखों में पानी!
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"अन्तरराष्ट्रीय नारि-दिवस पर
दो व्यंग्य रचनाएँ"

काश् मैं नारि होता!
आभासी दुनिया में
ब्लॉग पर
अपना सुन्दर चित्र लगाता
चार लाइन लिखता
और चालीस कमेंट पाता!
काश् मैं नारि होता!...
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अच्छा ही हुआ! जो मैं नारि न हुआ!

मुझको पुरुष बना कर प्रभु ने,
बहुत बड़ा उपकार किया है।
नर का चोला देकर भगवन,
अनुपम सा उपहार दिया है।
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नारी रूप अगर देते तो,
अग्नि परीक्षा देनी होती।
बार-बार जातक जनने की,
कठिन वेदना सहनी होती।।...
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तुम ही
जहाँ देखूँ, दीखता आकार तेरा,
स्वप्न चुप है, कल्पनायें अनमनी हैं ।।१।।
पा रहा हूँ प्रेम, साराबोर होकर,
आज पुलकित रोम, मन में सनसनी है ।।२।।...
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यह कैसा हुनर और कैसी कला?
women day par vishesh
डोगरी लेखिका
पद्मा सचदेव की कलम से
अमृता ...
कुछ मेरी कलम से पर ranjana bhatia
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मुझे ही लगा
या
तुझे भी
कुछ महसूस हुआ

उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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मैं नर … तुम मादा

vandana gupta
--फिर नहीं रहोगी तुम मोहताज
एक दिन के ताज की ...
vandana gupta
--महिला दिवस

Kailash Sharma
--अधूरी है ईश्वर पूजा
अगर हम
कन्या भ्रूण हत्या को
नहीं रोक पाते
--बेस्ट गर्लफ्रेंड
कुछ ज़रूरी सवाल

Pratibha Katiyar
--कार्टून :-
शुक्र है कि फसल बर्बाद हो गई



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सुप्रभात |
जवाब देंहटाएंउम्दा सूत्र और संयोजन |
बहुत सुंदर प्रस्तुति । आभार 'उलूक' का सूत्र 'मुझे ही लगा या तुझे भी कुछ महसूस हुआ' को स्थान दिया ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा सूत्र.
जवाब देंहटाएं'यूँ ही कभी' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
बढ़िया चर्चा प्रस्तुति...आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर उम्दा सूत्र संयोजन महिला दिवस की सबको हार्दिक बधाई ,बहुत बहुत आभार मेरी हास्य रचना हरयाणवी गीत को शामिल किया.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ..हार्दिक शुभ कामनाएँ !
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक और सुन्दर चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार!
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जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति…मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
बहुत बहुत धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंसादर
धन्यवाद ! मयंक जी ! मेरी रचना ''नवगीत (30) केवल क़द-काठी तक मेरा हृदय आँकते हो '' सम्मिलित करने का ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए बहुत- बहुत आभार..
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी आभार कि आपने कोलाहल से दूर की पोस्ट को इस लोकप्रिय चर्चामंच पर स्थान दिया
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर रचनाएँ .... ऐसी सुंदर रचनाओ को आप शब्दनगरी www.shabdanagari.in पर भी प्रकाशित कर सकते है । ताकि हम इन्हे शब्दनगरी की लोकप्रिय रचनाओं मे सम्मिलित कर सके ।
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