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शनिवार, अगस्त 08, 2015

"ऊपर वाले ऊपर ही रहना नीचे नहीं आना" (चर्चा अंक-2061)

मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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रंग बेरंग 

रंग भरा जीवन सुहाना
हरा भरा संगीत पुराना
जाने कब बेरंग हो गया
स्वर बेस्वर हो गया
मन में मलाल रहा
कारण जो छिपा हुआ था
अदृश्य ही रहा... 
Akanksha पर Asha Saxena 
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नापसंद हो गया हूँ . 

गुमराह हो गया हूँ मैं 
गमपसन्द हो गया हूँ -
इल्जाम आया है कि मैं 
हकपसंद हो गया हूँ -... 
उन्नयन  पर udaya veer singh 
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ज्योतिष का समयानुसार बदलाव आवश्यक 

( Astrology) 

पृथ्वी और इसमें स्थित सभी जड़-चेतन एवं जीव विकासशील है। दिन प्रतिदिन पृथ्वी के स्वरुप ,वायुमंडल ,तापमान एवं इसमें स्थित पर्वतों ,नदियों ,चट्टानों ,वनों सभी में कुछ न कुछ परिवर्तन देखा जा रहा है । मनुष्य में तो यह परिवर्तन अन्य प्राणियों की तुलना में और तेजी से हुआ है , इसलिए यह सर्वाधिक विकसित प्राणि है । पर्यावरण के हजारों , लाखों वर्ष के इतिहास के अध्ययन में यह पाया गया है कि प्रकृति में होनेवाले परिवर्तन एवं वातावरण में होनेवाले परिवर्तन के अनुरुप जो जड़-चेतन अपने स्वरुप में एवं स्वभाव में परिवर्तन ले आते हैं, उनका अस्तित्व बना रह जाता है। विपरीत स्थिति में उनका विनाश निश्चित है... 
गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष पर संगीता पुरी 
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जीवन बस अपना होता है 

जीवन बस अपना होता है, 
अपने ही सँग जीना सीखो... 
मानसी पर  मानोशी चटर्जी 
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सावन 

सुना है हमने किसी को कहते कि 
सावन का महीना आ गया है 
पर हमने ना देखा 
गरजती -बरसती बदरिया, 
ना देखे नभ में घुमड़ते मेघ 
ना दीखी कोई ताल -तलईया... 
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रणथम्भौर 

parmeshwari choudhary 
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एक व्यंग्य  

रिटायरोपरान्त प्रथम दिवसे...... 

बड़ी  ख़ुशी की बात  हुआ ’आनन्द’ ’रिटायर’
 ढूँढ रहें हैं बॉस, करें  अब किसको ’फ़ायर’ 
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक 
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मानसूनी बारिश के, क्या हसीन नज़ारे हैं 

रंग सारे धरती पर, इन्द्र ने उतारे हैं।  
छा गया है बागों में, सुर्ख रंग कलियों पर, 
तितलियों के भँवरों से, हो रहे इशारे हैं... 
गज़ल संध्या पर कल्पना रामानी 
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पत्रकारिता और भाषा 
पत्रकारिता और भाषा पत्रकारिता समाज का एक ऐसा विभाग है जिसमें दैनंदिन पिछले 24 घंटो के विभिन्न घटनाओं का उल्लेख होता है. पत्रकारिता मौखिक लैखिक व द्रैश्यिक तीनों तरह की होती हैं. रेड़ियो पर केवल खबरों की मौखिक जानकारी मिलती है और अखबारों में कुछ चित्रों में और कुछ लिखित जानकारी होती है. टी वी में में चलचित्रों सहित विस्तृत द्रैश्यिक जानकारी होती है. पर सँजोने के लिए अखबार सबसे आसान तरीका है. घटनाओं का विवरण देने के लिए भाषा की जरूरत होती है. विवरण देने वाले को भाषा पर पकड़ होना जरूरी है ताकि वह घटना को आसानी से, कम से कम शब्दों में सँजो सके. भाषा सौम्य और सभ्य होनी चाहिए और समाज के बहुत बड़े तबके को समझ में आनी चाहिए... 
Laxmirangam
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संसद का डैडलॉक 
घर में आजकल दो प्राणी और बढ़ गए हैं जो हर काम के लिए और अपनी हर आवश्यकता की पूर्ति के लिए हम पर ही निर्भर हैं | रोटी दें तो खा लें, पानी दें तो पी लें और अन्य प्राकृतिक आवश्यकताओं जिन्हें अंग्रेजी में नेचुरल कॉल कहा जाता है के लिए भी |हाँ, यदि प्रेशर रोक पाने की क्षमता समाप्त हो जाए तो जहाँ बँधे हैं वहीं निबट लें |ये दो प्राणी कोई विकलांग मानव नहीं बल्कि हमारे दो पालतू हैं- एक तीन साल की कुतिया 'मीठी' और दूसरा नौ महीने का बिल्ला 'स्मोकी'... 
झूठा सच - Jhootha Sach
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झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ 

झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ
उड़ उड़ जाये चुनरी राह तेरी  निहारूँ
……
है तीज का त्यौहार बाबुल तोरे अँगना
मेहँदी रचे हाथ  नाम के  तोरे  सजना
खन खन चूड़ी खनके माथे बिंदिया सजाऊँ
झूला झूले सखियाँ पिया तोहे पुकारूँ... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 

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