मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
--
प्यारा भारत, देश हमारा !
15 अगस्त सन 1947 को हमारा देश आजाद हुआ। तब से अब तक इतने साल गुजर गए। इन सालो में बढ़ते समय के साथ साथ जहा एक और हमने कला , विज्ञान , साहित्य , अंतरिक्ष , टेक्नोलॉजी ,चिकत्सा ,परमाणु शक्ति , सशक्त वायु , थल और जल सेना बल , कृषि एवं अन्य उधोग के क्षेत्र में तरक्की तो की लेकिन वही दूसरी ओर हम अपने बढ़ते स्वार्थ...
--
--
--
--
महापुरुषों का अपमान:
स्वतंत्रता को स्वेच्छाचारिता में बदलता
सोशल मीडिया...!!!
सादर ब्लॉगस्ते! पर संजीव शर्मा
--
--
--
जय,जय, जय माँ भारती
चंद दोहे देश के उन वीर सपूतों/बालाओं के नाम
जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से
मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई थी।
उन राष्ट्रभक्तों/राष्ट्रनायकों के नाम
जिन पर माँ भारती को नाज़ है,
जिनकी वजह से हम सभी
भारतीय कहलाने में गर्व महसूस करते हैं।
बाबू कुँवर सिंह
सन सत्तावन का ग़दर, चमक उठी तलवार।
वीर कुँवर रण बाँकुरे, मानी कभी न हार...
शीराज़ा पर हिमकर श्याम
--
--
--
--
--
--
जय हिन्द!
जय हिन्द की सेना
स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर
सभी वीरों को नमन करते हुए देशवासियों को शुभकामनाएं
--
मेरी आजादी पर जश्न मना रहे हैं वो
जो खुद धार्मिक जंजीरों में जकड़े हुए हैं .....
हाथों से तिरंगा कैसे लहराएंगे
जो उनसे अपनी कुर्सी पकड़े हुए हैं.....
गर्व से न मुस्कुरा पाएंगे शहादत पर
जिनके अपने ही घरों में झगड़े हुए हैं.......
कदम ताल मिलाना क्या जाने वो
जिनके शरीर आलसी से अकड़े हुए हैं.......
मैं अपनी हिफ़ाज़त खुद कर सकता हूँ
मेरे संस्कार पुश्तैनी हैं,तगड़े हुए हैं....
मेरे मन की पर अर्चना चावजी
--
आज़ाद हूँ मैं
गुलाम सोच की बेड़ियों को काट कहो ,
कि 'आज़ाद हूँ मैं' अब
तो 'हे भारतवर्ष की सन्नारियों'
और फिर मनाओ धूम से देश के स्वतंत्रता दिवस के साथ
खुद की भी आज़ादी का जश्न
शायद मिल जाए दोनों को ही सम्पूर्णता
और गर्व से कह सको तुम भी
ये आधी नहीं पूरी आबादी का है
नारा जय हिन्द ...
vandana gupta
--
--
--
--
हँसना, खाँसना, छींकना,
हिचकी लेना मना है।
बुधवार की शाम हम घर आ रहे थे। बूँदाबादी हो रही थी। हम उस इलाके से निकल रहे थे जहाँ बहुत से इन्फोर्मेशन टेक्नॉलोजी के दफ्तर हैं। शाम को जबर्दस्त ट्रैफिक हो जाता है। सड़क के दूसरी तरफ एक मोटरसायकिल की दुर्घटना दिखी। अवश्य कोई युवा होगा या होगी। मन ही मन मनाया कि चोट अधिक ना लगी हो...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।