मित्रों।
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए कुछ अद्यतन लिंक।
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चुनाव
...उसके तरीके उसके से निराले
अजब ढंग हैं प्यार जताने के अब हैं तो हैं जो है जैसा है वो चुनाव तो मेरा है... |
तुम झूठलोक के झूठ सेकभी ऊबते क्यों नहीं ?
जय श्री गुरुदेव, गुरूजी मेरा एक प्रश्न है कि चलते फिरते भजन कैसे करें ? क्योंकि चलते फिरते भजन करने पर ध्यान तो भटकेगा । और जब तक मन एक स्थान पर नहीं है । तो वो ध्यान कैसे हुआ ...
सत्यकीखोज पर
RAJEEV KULSHRESTHA
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कहानी होकर रह गई
बैठी उदास
गुमसुम गुमसुम
बहाती नीर
नयनों से छमछम संयम न रख पाती खुद पर वेदना अंतस की किसे बताए कोई प्यार नहीं करता उसे स्वीकार नहीं करता ... |
मैं श्रृंगार करुँगी.....
फिर आज...
मैं श्रृंगार करुँगी...
जब तक...
तुम से जी भर कर, तारीफे नही सुन लुंगी...
तब तक ना...
तुमसे प्यार करुँगी...
फिर आज...
मैं श्रृंगार करुँगी...
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आप जैसा मुझे सोचता कौन है
अब सिवा आपके आश्ना कौन है
आप जैसा मुझे सोचता कौन है
साथ देने को राज़ी हज़ारों हैं पर
मैं न जानू के वा’दावफ़ा कौन है...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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पर किसी की काल काइंतजार नहीं है...
अब जब भी चाहो
कहीं भी कर लेते हैं बातें जी भरके
मोबाइल पर एक दूसरे के साथ...
पर बार बार बातें करने में भी
नहीं मिलता वो आनंद
जो मिलता था बार बार
एक ही चिठ्ठी पढ़ने में...
मन का मंथन पर kuldeep thakur
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