मित्रों।
सबसे पहले सभी देशवासियों को
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
अब देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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हिन्द देश का प्यारा झंडा
हिन्द देश का प्यारा झंडा ऊँचा सदा रहेगा
तूफान और बादलों से भी नहीं झुकेगा
नहीं झुकेगा, नहीं झुकेगा, झंडा नहीं झुकेगा...
तूफान और बादलों से भी नहीं झुकेगा
नहीं झुकेगा, नहीं झुकेगा, झंडा नहीं झुकेगा...
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देशभक्तिगीत
"लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए"
मित्रों आज प्रस्तुत है
एक पुराना देशभक्ति गीत
जिसे स्वर दिया है मेरी मुँहबोली भतीजी
अर्चना चावजी ने
"मुस्कराता हुआ वो वतन चाहिए"
मन-सुमन हों खिले, उर से उर हों मिले,
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए।
ज्ञान-गंगा बहे, शन्ति और सुख रहे,
मुस्कराता हुआ वो वतन चाहिए...
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बालकविता
"प्रांजल-प्राची की नयी स्कूटी"
आज हमारे लिए हमारे,
बाबा जी लाये स्कूटी।
वैसे तो काले रंग की है,
लेकिन लगती बीरबहूटी..
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आवाज़ दो हम एक है
स्वतंत्रता दिवस पर मेरी पुरानी रचना
”दिशा जागो तुमने आज कालेज जाना है न ”जागृति ने अपनी प्यारी बेटी को सुबह सुबह जगाते हुए कहा |दिशा ने नींद में ही आँखे मलते हुए कहा ,”हाँ माँ आज स्वतंत्रता दिवस है , हमे अपने कालेज के ध्वजारोहण समारोह में जाना है और इस राष्टीय पर्व को मनाने के लिए हमने बहुत बढ़िया कार्यक्रम भी तैयार किया हुआ है ,”जल्दी से दिशा ने अपना बिस्तर छोड़ा और कालेज जाने की तैयारी में जुट गई...
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नेहरू खानदान के 3 "चिरागों"को
सत्ता सौंपने और जापान के हितों हेतु
हुआ था भारत का बंटवारा
एवं मिली थी "आजादी"!!-
पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)
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हमारे स्वतंत्रता संग्राम की
लम्बी लड़ाई का फलागम था ,
महज़ दुष्परिणाम था पाकिस्तान
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma -
--अंग्रेज़ी में लिखी हिंदी,
धन्य हो देशभक़्त पप्पू भैया
समरथ को नही कोई दोष गुसाई..
Anil Pusadkar
--इस मिट्टी में राम कृष्ण भी खेले है
Jitendra tayal
--वो दो लम्हे...
वो दो लम्हे...
जो तुम्हारे साथ गुजरे...
दो सदियों के जैसे थे...
या कहूँ कि..
दो जन्मों की हो बात..
उन दो लम्हों में..
सब कुछ तो पा लिया मैंने...
'आहुति' पर Sushma Verma
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कैसे कह दें हम है स्वतंत्र ?
बचपन में मात पिता बंधन,
मस्ती करने पर मार पड़े
फिर स्कूल के अनुशासन में,
हम बेंचों पर भी हुए खड़े
जब बढे हुए तो पत्नी संग ,
बंध गया हमारा गठबंधन
बंध कर बाहों के बंधन में ,
करदिया समर्पित तन और मन...
मस्ती करने पर मार पड़े
फिर स्कूल के अनुशासन में,
हम बेंचों पर भी हुए खड़े
जब बढे हुए तो पत्नी संग ,
बंध गया हमारा गठबंधन
बंध कर बाहों के बंधन में ,
करदिया समर्पित तन और मन...
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देश हमारा हिंदुस्तान
संघर्षों के कठिन सफर में
यातनाओं के पीड़ित प्रहार में
अश्क भरी आखों में सपने
था संजोया सेनानी अपने
रुंधे गले से गाया था गान
देश पे होना है कुर्बान...
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मन के मौन आकाश पर
मेरे मन के मौन आकाश पर
जरूरी तो नहीं टंगे मिलें तुम्हें
हमेशा ही जगमगाते सितारे...
vandana gupta
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