मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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"सीना छप्पन इंच का"
कहाँ गया ओ हिन्द-केसरी, सीना छप्पन इंच का।
गीदड़ से भयभीत हुआ क्यों, सीना छप्पन इंच का।।
भूल गया इतनी जल्दी क्यों, घटनाएँ आघातों की,
शेरों को शृंगालों से, क्यों गरज़ पड़ी है बातों की,
सिकुड़ा क्यों बैरी के आगे, सीना छप्पन इंच का...
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हुर्रियत से सरकारे बात करे तो गलतऔर टीवी वाले करें तो......?
हुर्रियत को पाक ने बातचीत का न्योता क्या दिया सारे टीवी चैनलों में हंगामा मच गया.देश में और कंही इतनी चर्चा नही हुई जितनी टीवी पर हो रही है.हुर्रियत को सरकार क्यों नही रोक रही है?रोक रही है तो ऎसे में बातचीत कैसे होगी?...
अमीर धरती गरीब लोग पर Anil Pusadkar
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क्या समझ रहे हैं आप
मैंने कहा
एक कुत्ते का बच्चा
गाडी के पहियों के नीचे दब कर
मर गया
आप ने समझा
आदमी का बच्चा...
सरोकार पर Arun Roy
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प्रीय तिमिर
मैं और तुम साथ हैं तब से
जब से मैं आया हूं यहां...
क्या कहा था ईश्वर ने तुमसे
जब तुम्हे मेरे पास भेजा था
मेरे जन्म के साथ ही...
मुझे तो याद नहीं
अपने पूर्व जन्म की कोई कहानी
न इस जन्म की कोई घटना...
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चोर
सुबह का समय , अखबार के पन्ने पलटते मैं चाय की चुस्की ले रही थी बरामदे में कि... मेडम गाड़ी धुलवाईयेगा? की आवाज आई, नज़र ऊठाकर देखा तो १०-१२ साल की लड़की गेट के बाहर से पूछ रही थी ... आश्चर्य हुआ ...रोज तो एक दुबला-पतला मरा-मरा सा आदमी आता है गली में ... और उसके तो नियमित ग्राहक हैं ...
मेरे मन की पर अर्चना चावजी
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- (आज दफ़्तर में बैठे बैठे आपकी बड़ी याद आयी अम्मा)
चाहता हूं एक बार
बस एक बार मेरे हाथ हो जाएं लम्बे
इतने लम्बे जो पहुंच सकें
दूर नीले आसमान और तारों के बीच...
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इसरार
चलो जाने दो, न सुनो मुँह मत फेरो मगर नज़्म मेरी ताज़ी है बासी अख़बार नहीं है! Safarnaamaa... सफ़रनामा... |
राजा फोकलवा
'राजा फोकलवा', नाटक के केन्द्रीय पात्र फोकलवा के राजा बन जाने की कहानी है। पूरे नाटकीय पेंचो-खम के साथ इस लोक कथा का प्रवाह महाकाव्यीय परिणिति तक पहुंचता है। फोकलवा अलमस्त, बेलाग और फक्कड़ है,दीन बेबस-सी लेकिन ममतामयी, स्वाभिमानी मां का इकलौता सहारा। इस चरित्र में राजसी लक्षण आरंभ से हैं, नेतृत्व, चुनौतियों का सामना करने का साहस, अपने निर्णय के क्रियान्वयन की इच्छा- शक्ति और उसके बालहठ में राजहठ की आहट भी। उसमें कुटिल चतुराई है तो बालमन की नादानी और निर्भीकता के साथ खुद को धार में झोंक देने का दुस्साहसी आत्मविश्वास भी। आम इंसानी कमी-खूबियों वाले इस चरित्र में विसंगत ट्रिगर होने वाला व्यवहार, कहानी में नाटक के रंग भरता है और यह चरित्र आत्मीय न बन पाने के बावजूद दर्शक की सहानुभूति नहीं खोता... सिंहावलोकन |
पाताल भैरवी सी सच्चाइयाँ हैं
भयाक्रांत हैं वो
हाँ वो ही
जो तस्वीर के दोनों रुखों पर
नकाब डालने का हुनर जानते हैं
फिर भी
सत्य के बेनकाब होने से डरते हैं ...
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सोच-विचार कर करें शिक्षा में बदलाव
भा रत सरकार एक बार फिर स्कूली शिक्षा प्रणाली में बदलाव करने का विचार कर रही है। आठवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को फेल नहीं करने के नियम को सरकार बदलने जा रही है। शिक्षा से संबंधित केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड में बनी सहमति के बाद राज्य सरकारों से रजामंदी मांगी गई है। मध्यप्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री पारस जैन ने यह मामला उठाया था कि जब से पांचवी और आठवीं की बोर्ड परीक्षा समाप्त की गई है तब से शिक्षा का स्तर गिर गया है। विद्यार्थियों को पता है कि वे फेल नहीं होंगे, इसलिए पढ़ाई पर उनका ध्यान नहीं रहता। प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर बच्चों की नींव कमजोर होने से उच्च शिक्षा में भी दिक्कतें आती हैं। हमें याद है कि आठवीं तक बोर्ड की परीक्षा खत्म करने के पीछे तर्क दिया गया था कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता सुधरेगी, बच्चों के दिमाग पर परीक्षा का भूत सवार नहीं रहेगा तो रचनात्मकता बढ़ेगी। बच्चों के दिमाग से तनाव हटेगा। इन महत्वपूर्ण तथ्यों के प्रकाश में आठवीं तक किसी बच्चे को फेल नहीं करने का निर्णय बिना तैयारी किए ही ले लिया था... अपना पंचू |
क्या ऐसे प्यार किया
अनेक चर्चित कविता संकलनों के रचयिता टोनी हॉगलैंड ने 2003 में "द चेंज" शीर्षक से एक कविता लिख कर सेरेना विलियम्स के "बड़े ,काले और किसी धौंस में न आने वाले शरीर" पर कटाक्ष कर के अश्वेत समुदाय की प्रचुर आलोचना झेली। एक दशक से ज्यादा समय से अविजित टेनिस किंवदंती सेरेना विलियम्स को खेल और ग्लैमर के लिए जाना जाता रहा है पर बहुत कम लोगों को खबर है कि 2008 में उन्होंने एक प्रेम कविता भी लिखी और अपने आधिकारिक वेबसाइट पर लोगों को पढ़ने के लिए प्रस्तुत भी की। ज़ाहिर है, कविता और प्रेम दोनों किसी ख़ास वर्ग की बपौती नहीं हैं …
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लुटियन मुहल्ला ...
ग़रीबों का दुश्मन है लुटियन मुहल्ला
लुटेरों का गुलशन है लुटियन मुहल्ला
यहां ज़ीस्त महफ़ूज़ कैसे रहेगी
लफ़ंगों की पल्टन है लुटियन मुहल्ला ...
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सच्चाई
हार जाती हूँ हर बार
दिल दिमाग की लड़ाई में यार
दिमाग कहता है
सब छोड़ के आगे बढ़ो
दिल समझाता है
रुको एक मौक़ा और दो...
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जैश्रीकृष्णा
...क्लिष्ट बातें नहीं हैं भगवद गीता में। भगवद या भागवद का मतलब ही है जो भगवान का है वही भागवद है। भागवद्गीता भगवान का गीत है।
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
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हो सके तो यकीं करना...!
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समस्याओं के चक्रव्यूह में देश
भारत कलह,अराजकता और समस्याओं का देश है। भारत की दासता के पीछे भी यही कारण थे अन्यथा गोरों में इतनी ताकत नहीं थी जो भारतियों को गुलाम बना लेते। तब भी भारतीय जनता शोषित हो रही थी आज भी भारतीय जनता शोषित हो रही है अन्तर बस इतना सा है कि तब हमें विदेशी रुला रहे थे और आज रोने वाले भी भारतीय हैं और रुलाने वाले भी...
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मिष्ठान्न
आजकल जब दूध ही नकली बिकता है तो दूध से बनी मिठाईयों की शुद्धता की भी कोई गारंटी नहीं है. इसलिए लोग मावा (खोया) से बनी मिठाईयों से परहेज करने लगे हैं. वार-त्यौहारों पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भूले-भटके छापा मारकर नकली मावे को पकड़ कर अखबारों की सुर्ख़ियों में लाते रहते हैं, बाकी साल भर सोते रहते हैं. जो लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हेल्थ हैं, वे वसायुक्त मिठाईयों से दूर रहते हैं क्योंकि ये कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाने के मुख्य स्रोत हैं....
जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय
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