आज देखिए कुछ लिंक
दिलबाग विर्क
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*मुक्त-मुक्तक :
फ़िक्र अगर होती ॥
तुझको मेरे दर्द की सच फ़िक्र अगर होती ॥
ना सही पूरी ज़रा सी ही मगर होती ॥
है अभी तक बेअसर मुझ पर दवा जो वो ,
तू पिलाती तो यक़ीनन कारगर होती ॥
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मिलते रहे तो प्यार भी हो जाएगा कभी ...
कहती है मोम यूँ ही पिघलना फ़िज़ूल है
महलों में इस चिराग का जलना फ़िज़ूल है
खुशबू नहीं तो रंग अदाएं ही ख़ास हों
कुछ भी नहीं तो फूल का खिलना फ़िज़ूल है...
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सीमेंट
भवन निर्माण के विकास पर नजर डाली जाय तो मालूम होता है कि कभी गुफाओं में और कभी ऊंचे पेड़ों पर घर बनाने वाले मनुष्य ने पहले झोपड़ा-कच्चा मकान फिर पत्थर- ईटों वाले पक्के मकान बनाए जिनमें लकड़ी का भी भरपूर इस्तेमाल होता था लेकिन लकड़ी का दुश्मन कीड़ा दीमक उसको हमेशा परेशान करता रहा होगा. बाद में मिट्टी के गारे के बजाय चूने का गारा लगाया जाने लगा. उस जमाने में पोजलाना को सुर्खी नाम से भी जाना जाता था. चूने को मजबूती देने के लिए उसमें उरद की दाल, गुड आदि मसाले भी मिलाये जाते थे. किलेबंदी को मजबूत दीवार देने के लिए राजे-रजवाड़े इस तरह का ज्यादे प्रयोग किया करते थे...
जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय
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भविष्य जवाब का गुलाम नहीं
आजकल दर्द की गिरह में लिपटी हैं वर्जनाएं
कोशिशों के तमाम झुलसे हुए आकाश
अपने अपने दडबों में
कुकडू कूँ करने को हैं बाध्य...
vandana gupta
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गीता में कहा गया है
-सब आत्माओं का आत्मा
मैं (परमात्मा योगेश्वर श्रीकृष्ण )हूँ
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आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
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A Tribute to Mother-
Manoshi Chatterjee
मां तुम प्रथम बनी गुरु मेरी
तुम बिन जीवन ही क्या
होता सूखा मरुथल...
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तोहफे
तुम्हारी दी हुई चीज़ जब दरकती टूटती ..
अटकती बिगड़ती ..
फिसलती छिटकती है तो ,
पता नहीं क्यों
उसे हमारे रिश्ते से जोड़ के
देखने लग जाती हूँ
इतना कुछ खो चुकी हूँ पहले
कि अब कुछ भी खोने से डरती ...
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इश्क़ वह शै है करेगा तो सँवर जाएगा
दौरे रफ़्तार में तू जब भी जिधर जाएगा
ख़ौफ़ का एक तमाशा सा उधर जाएगा
अज़्नबी खाये है वैसे भी सफ़र में ठोकर
क्या क़सर हो कि तू पीकर भी अगर जाएगा...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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अगीत महाकाव्य ---
सृष्टि --
बिगबेंग या ईषत - इच्छा -
एक अनुत्तरित उत्तर.
-सर्ग-१ ....
डा श्याम गुप्त....
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मुस्काती अक्सर दिखती है –
ज्यों पट सजतें हों स्वागत के
जब माँ सोती तब अय पलको
कुछ भी हो तुम झुंझलाना मत .
लब जैसे हो तुम वैसे ही रहना –
अनजाने में इतराना मत...
मिसफिट Misfit पर Girish Billore
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