मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बेईमानों के नाम
नया साल लिखना चाहता हूं
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पेंटिंग : पिकासो |
ग़ज़ल
नौकरी नहीं है नया साल लिखना चाहता हूं
बेईमानों के नाम नया साल लिखना चाहता हूं
चार सौ बीसों के हाथ में हैं सब नौकरियां
देशद्रोहियों के हाथ देश लिखना चाहता हूं...
सरोकारनामा पर Dayanand Pandey
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वाडी सीमेंट प्लांट
वाडी सीमेंट प्लांट कर्नाटक राज्य के धुर उत्तर में स्थित है. ये इलाका कभी तेलंगाना यानि हैदराबाद निजाम के साम्राज्य का हिस्सा था. परिसीमन के बाद इसे कर्नाटक में ले लिया गया था. यहाँ के निवासियों की बोलचाल की भाषा कन्नड़ तथा उर्दू है. हैदराबादी यानि ‘दखिनी’उर्दू-मिश्रित खड़ीबोली सुनने में बहुत प्यारी लगती है. इस इलाके में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत अधिक बताया जाता है. १९६६/६७ में लाखेरी से हमारे जनरल मैनेजर स्व. एस.के. मूर्ति को इस कारखाने का प्रोजेक्ट मैनेजर बनाकर भेजा गया था स्व. मूर्ति ने लाखेरी कॉलोनी के क्वार्टर्स में बाउण्ड्रीज बनवाई थी, कोआपरेटिव सोसाईटी के पीछे झाड़ियों को साफ़ करवा...
जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय
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मौन का विलोम
अब कोई प्रतीक्षा नहीं
कोई उमंग कोई उल्लास नहीं
जाने किस परछत्ती में दुबक गयी है
ललक मेरी...
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आत्महत्या
आत्महत्या कायरता है
सिर्फ उन चंद लोगों की नज़रों में
जिन्हें अंदाज़ा नहीं होता
अवसाद के चरम का ...
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एक ग़ज़ल :
अगर आप जीवन में...
गर आप जीवन में होते न दाखिल
कहाँ ज़िन्दगी थी ,किधर था मैं गाफ़िल
न वो आश्ना है ,न हम आश्ना है
मगर एक रिश्ता अज़ल से है हासिल ...
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रूकना... चल देना...
एक जगह...
एक वजह...
इतना तो चाहिए ही,
कहीं रुकने के लिए...
वरना भला है
चलते जाना ही...
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स्वयं को नया करें
...नया मन हमारे पास नहीं है तो हम चीजों को नया करते है। जबतक जो नहीं मिला, नया होता है। मिलते ही पुराना हो जाता है। जो स्वयं को नया कर लेता है उसके लिए कोई चीज पुरानी होती ही नहीं। भौतिकवादी चीजों को नया करता है और अध्यात्मवादी स्वयं को नया करता है।
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शीर्षकहीन
*पहलगाम यात्रा* गुलमर्ग की सफल और सुखद यात्रा के बाद मैं अपने अगले पड़ाव "पहलगाम" की तरफ निकल पड़ा। पहलगाम यानि चरवाहों का घाटी। समुद्र तल से तक़रीबन ७५००ft की ऊंचाई पर स्थित पहलगाम कश्मीर के खूबसूरत वादियों में एक और खूबसूरत स्थल जो स्वदेशी एवं विदेशी शैलानियों में समान रूप से प्रसिद्ध है। शेषनाग एवं लिद्दर नदी के संगम पर स्थित यह पर्यटन शहर अपने प्राकृतिक खूबसूरती के लिए विख्यात है...
आपका ब्लॉग पर Sunil Kr. Singh
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'' दिवा स्वप्न '' नामक मुक्तक ,
कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक संग्रह -
'' चाँद झील में से लिया गया है -
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi8Mdh1C17dG19jRJD3tHwO8yTAt50_ZJ14a9cVB9AMIXBU7wS5cyHLkfuTFHMy5f9fQNrXF6La0tzKeFM8VuVZBOkX3qlDhFj_0Wk7gKaCtE4cNzP_FggKpXdOpVDGvYnVb0i9Q7RQ-wA/s320/40.png)
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हिंदी कैलेण्डर की तो
बरसी मनाते हैं हम भारतीय
हिन्दुस्तान के हर घर और दफ्तर में तारीखें बदल गयीं ! हर फाइल पर एक नया वर्ष अंकित हो चुका ! हर कंप्यूटर, हर मोबाइल और हर घडी में सबकुछ बदलकर २०१६ हो गया , फिर आज के दिन को पिछले वर्ष के साथ कैसे जोड़ा सकता है ! आज जब हम भारतीय, हर क्षेत्र में FDI आदि के माध्यम से विदेशों की गुलामी कर रहे हैं तो फिर अंग्रेजी कैलेण्डर का विरोध क्यों? और केवल आज के दिन ही क्यों? साल के तीन सौ पैसठ दिन तो हम इस्तेमाल इसी कैलंडर को करते हैं, फिर आज के दिन इस कैलेण्डर को इतनी दुत्कार क्यों? . जब किसी में इतना दम ही नहीं की अपना हिंदी कैलेण्डर, अपने ही हिन्दुस्तान में, प्रचलन में ला सके, तो व्यर्थ...
![ZEAL](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjAvBvP8TkspU8FC82pkJmdjD72pI66sBPEcv1h1Tl-NdrQkTY4Sz7xToGh-Usbs_t0-KOGk8E5TyBRyGmGYYfe0ES2Ld-2H7NcMvj1t-eVNBMe_qfXUsupv7JRm93iUnKFimtIWfc1I8U/s320/flashing+%25282%2529.gif)
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ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं
ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं
धरा ठिठुरती है शीत से
आकाश में कोहरा गहरा है
बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है...
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बहुत ही उम्दा लिखावट , बहुत ही सुंदर और सटीक तरह से जानकारी दी है आपने ,उम्मीद है आगे भी इसी तरह से बेहतरीन article मिलते रहेंगे Best Whatsapp status 2020 (आप सभी के लिए बेहतरीन शायरी और Whatsapp स्टेटस संग्रह) Janvi Pathak
जवाब देंहटाएंAadharseloan (सीखे हिंदी में) appsguruji
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