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शनिवार, जनवरी 23, 2016

"विषाद की छाया में" (चर्चा अंक-2230)

मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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व्यंग्य 

"आज का नेता-किसी को कुछ नही देता" 

व्यंग्य का प्रयास

...आज का नेता ।
भाषण के अतिरिक्त,
कुछ नही देता ।।
दिया सलाई का-
मजबूत बक्सा,
सेंमल द्वारा निर्मित,
एक भवन ।
माचिस दिखाओ
और कर लो हवन... 
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मेरी परलोक-चर्चाएँ... (३८) 

['विषाद की छाया में सच हुआ स्वप्नादेश'…]  
पिताजी की शारीरिक अक्षमता बढ़ती जा रही थी, हमारा सारा ध्यान उन्हीं की परिचर्या में लगा था, दो श्वेतवत्रधारियों का चिंतन करने का अवकाश भी कहाँ था? पिताजी की शोचनीय दशा की ख़बर पाकर स्थानीय और दूर-दराज़ के परिजन घर आने लगे थे। मेरी सासुमाँ और श्वसुर मध्यप्रदेश से आ गये थे। घर भरा हुआ था। पिताजी आगंतुकों को पूरे आत्मविश्श्वास से बताते कि साधना की नियुक्ति केंद्रीय विद्यालय में हो गई है और आगंतुक साधनाजी को बधाइयाँ देने उनके पास पहुँच जाते... 
मुक्ताकाश....पर आनन्द वर्धन ओझा 
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बाल कहानी 

शबरी

बालकुंज पर सुधाकल्प 

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अधूरी कहानी 

हर जिंदगानी की एक अधूरी कहानी है 
कुछ कही कुछ अनकही सी कहानी है 
कोई दिल के करीब तो कोई दिल से 
दूर क्षिलमिलाते तारों सी कहानी है ... 
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL 
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मियां म्यान दरम्यान, वहीँ इस्लाम बंद है- 

लाम बंद हैं सिरफिरे, फैलाएं आतंक।
माँ-बहनों के बदन पर, स्वयं मारते डंक।

स्वयं मारते डंक, मचाएं कत्लो-गारद।
मुल्ला पंडित मौन, मौन नेता गण नारद। 

आएंगे बरबंड, तनिक रफ़्तार मंद है |  
मियां म्यान दरम्यान, वहीँ इस्लाम बंद है। 
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर 
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बधाई हो 

नेहा ,मेरी बहू मेरे घर की पहली सदस्य जो पी एच डी करके डॉक्टर बनी है। शादी अंतर्जातीय और अंतराज्यीय है , प्रेम होने पर ऑरेन्ज मैरिज ! जब 2012 में शादी करना तय हुआ तो उसे चिंता थी कि पढ़ाई करने देंगे या नहीं ससुराल से ,लेकिन मेरे परिवार में जब तक ,जिसे पढ़ना हो पढ़ते रह सकता है,ये पारिवारिक नियम है । शादी के दो माह पहले ही जॉब का ऑफर मिला बेटे को मैसूर से ,दोनों की दिशा एकदम विपरीत हो गई , एक जगह से दूसरी जगह रांची पहुँचना आसान नहीं,सफर समय लेने वाला और थका देने वाला खैर !समय पूरा हुआ और पढ़ाई भी ... 
मेरे मन की पर अर्चना चावजी  
Archana Chaoji 
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चार पत्नियां -  

बोध कथा 

एक आदमी की चार पत्नियाँ थी।
वह अपनी चौथी पत्नी से बहुत प्यार करता था और उसकी खूब देखभाल करता व उसको सबसे श्रेष्ठ देता।
वह अपनी तीसरी पत्नी से भी प्यार करता था और हमेशा उसे अपने मित्रों को दिखाना चाहता था। हालांकि उसे हमेशा डर था की वह कभी भी किसी दुसरे इंसान के साथ भाग सकती है।
वह अपनी दूसरी पत्नी से भी प्यार करता था।जब भी उसे कोई परेशानी आती तो वे अपनी दुसरे नंबर की पत्नी के पास जाता और वो उसकी समस्या सुलझा देती।
वह अपनी पहली पत्नी से प्यार नहीं करता था जबकि पत्नी उससे बहुत गहरा प्यार करती थी और उसकी खूब देखभाल करती।... 
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त्रिवेणी 

पाँच त्रिवेणियाँ...  
१.  
सत्य का तेज सहना आसान नहीं 
जो नैनो से बोले वो बेजुबान नहीं 
ऐ झूठ,  
तू काले चश्मे से ही इसे देख पाएगा 
२.  
मन मेरा पतंग हुआ जाता है 
बे रोक टोक स्वच्छंद हुआ जाता है 
मँझे 
डोर में बंधे रहना ही हमें भाता है ३.... 
मधुर गुंजनपरऋता शेखर मधु 
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क्या झूठ और सच के भी होते हैं कई रंग ? 

हे राजन ! क्या झूठ और सच के भी कई रंग होते हैं ? किसी बात को झूठलाने के लिए ऐसा क्यों बोला जाता है कि यह सरासर 'सफेद झूठ' है ? झूठ के लिए सिर्फ सफेद रंग का इस्तेमाल क्यों होता है... 
मेरे दिल की बात पर Swarajya karun 
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पंद्रह किलो सोने के साथ बाबागिरी ! 

आजकल सारी मान्यताएं, धारणाएं बदली-बदली सी नजर आने लगी हैं। सन्यास लेने के बाद, बाबा कहलाने के बावजूद भी लोग मोह-माया नहीं त्याग पाते।  गुरु बन जाते हैं। शिष्यों की फौज खड़ी हो जाती है।  सैंकड़ों एकड़ में आश्रम खुल जाते हैं। ऐसे गुरु स्वयं ही भौतिक जगत से मुक्त नहीं हो पाते तो शिष्य को क्या मुक्ति दिला पाएंगे... 

कुछ अलग सा पर गगन शर्मा 

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सप्रेम श्रद्धांजलि ! 

मित्रों ! कई महीनो से मैं न अपने ब्लॉग पर आ सका न कुछ लिख सका और न ब्लॉग पढ़ सका क्योंकि मेरी पत्नी श्रीमती प्रभावती देवी कैंसर की अकल्पनीय पीड़ा से पीड़ित थी| हर घडी जीने के लिए मौत से लड़ रही थी | किन्तु मौत से आज तक कोई जीत पाया है ? अंतत; १८ जनवरी ,सोमवार ,१० .१५ बजे वह हम सबको छोड़कर ईश्वर को प्यारी हो गई ... 

मेरे विचार मेरी अनुभूति पर 

कालीपद "प्रसाद"  

1 टिप्पणी:

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