मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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गीत
"घोटालों पर घोटाले"
चाँदी की थाली में, सोने की चम्मच से खाने वाले।
महलों में रहने वाले करते, घोटालों पर घोटाले।।
नाम बड़े हैं दर्शन थोड़े,
गधे बन गये अरबी घोड़े,
एसी में अय्यासी करते,
नेताजी हैं बहुत निगोड़े,
खादी की केंचुलिया पहने, बैठे विषधर काले-काले।
महलों में रहने वाले करते, घोटालों पर घोटाले...
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'' मावट की बारिश होने पर
'' नामक नवगीत , कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह -
'' एक अक्षर और '' से लिया गया है -
आज हवा कुछ सीली - सी है ,
धरती गीली है ,
लगा
विदा के वक्त
वर्ष की आँख पनीली है ...
धरती गीली है ,
लगा
विदा के वक्त
वर्ष की आँख पनीली है ...
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सब जानते हो तुम...
तुम्हें याद है
हर शाम क्षितिज पर
जब एक गोल नारंगी फूल टँगे देखती
रोज़ कहती -
ला दो न
और एक दिन तुम वाटर कलर से बड़े से कागज पे
मुस्कुराता सूरज बना हाथों में थमा दिए...
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अब तुम मत आना..
तपते सहरा में चली हूँ अकेली मैं,
जब छाँव भरी बदली
ढक ले मेरे राह को
शीतल कर दे मेरी डगर,
तब तुम मत आना...
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ठण्ड भी नन्हा बच्चा
ठण्ड भी नन्हे बच्चे जैसी !!
जब तक स्कूल बन्द रहे
ठण्ड भी छुट्टी पर रही
और खिली धूप का मज़ा लेती रही...
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बात कुछ तो है...
क्या कमी है शाह की तदबीर में
है मुक़य्यद हर ख़ुशी ज़ंजीर में
ढूंढिए, हम हैं कहां वो हैं कहां
मुल्क की इस बदनुमा ताबीर में...
साझा आसमान पर
Suresh Swapnil
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वियोग
मत दे वियोग सा असह्य शब्द,
यह धैर्य-बन्ध बह जायेगा ।
यह महाप्रतीक्षा का पर्वत,
बस पल भर में ढह जायेगा...
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थर-थर काँपे भारत माई ..!
समरथ को नहीं दोष गोसाईं ,
देश की दौलत मिलकर खाई !
सबका हिस्सा आधा -आधा
सबके सब मौसेरे भाई...
मेरे दिल की बात पर Swarajya karun
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मोदी जी देश को सोमालिया मत बनाइये
मजदूर किसानो के लिए या बहुसंख्यक जनता के लिए हमारे प्रधानमन्त्री के पास कुछ नहीं है. जिसमें किसानो के सम्बन्ध में उनके पास कोई योजना नहीं है लाखों किसान आत्महत्याएं कर चुके हैं उसकी तरफ ध्यान न देकर अब कंपनियों को खोलने व बंद करने के लिए 10000 करोड़ रुपये का फण्ड कैपिटल गेन में छूट तथा क्रेडिट गारंटी स्कीम की योजनायें शुरू की हैं. कंपनियों में काम करने वाले लोगों को श्रम कानूनों व अन्य कानूनों से पूरी तरह मुक्त रखा जायेगा. बेरोजगारों की मंदी में एक इंजिनियर को आप चाहे 10 हजार रुपये दे या 5 हजार कोई पूछने वाला नहीं होगा. उनके यहाँ किसी भी श्रम कानून को लागू नहीं किया जायेगा...
Randhir Singh Suman
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~**समय**~
समय! कब रुका है किसी के लिए?
वो तो यूँ गुज़र जाता है...
पलक झपकते ही!-
मानो सीढ़ियाँ उतर जाता हो कोई,
तेज़-तेज़,
छलाँग लगाते हुए -
धप! धप! धप! - और बस!-
यूँ गुज़रता है समय...
वो तो यूँ गुज़र जाता है...
पलक झपकते ही!-
मानो सीढ़ियाँ उतर जाता हो कोई,
तेज़-तेज़,
छलाँग लगाते हुए -
धप! धप! धप! - और बस!-
यूँ गुज़रता है समय...
Anita Lalit (अनिता ललित )
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