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मंगलवार, जनवरी 26, 2016

गणतन्त्र दिवस, देश और हम !!! चर्चा मंच 2233


सदा  

 SADA 

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 


हम भाँति-भाँति के पंछी हैं 

हम भाँति-भाँति के पंछी हैं पर बाग़ तो एक हमारा है
वो बाग़ है हिन्दोस्तान हमें जो प्राणों से भी प्यारा है
हम  हम भाँति-भाँति के पंछी … 
--
‘यदि’ .. (रूडयार्ड किपलिंग) 
डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'  



डॉ. कौशलेन्द्रम 
डॉ. कौशलेन्द्रम  

(सतीश पंचम)  


udaya veer singh 



शत्रु हमारे लिख रहे, अपना नाम शरीफ।
देते हिन्दुस्थान को, रहे सदा तकलीफ।

रहे सदा तकलीफ, तोड़ के कंठी माला।
लुच्चे लोभी-भीरु, बदल लेते थे पाला।

बदले पुरखे-ईष्ट, किताबी-कीड़े सारे।
अब मैदाने-जंग, बनाते शत्रु हमारे।। 



रजनीश तिवारी  


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