सदा
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रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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हम भाँति-भाँति के पंछी हैं
हम भाँति-भाँति के पंछी हैं पर बाग़ तो एक हमारा है
वो बाग़ है हिन्दोस्तान हमें जो प्राणों से भी प्यारा है हम हम भाँति-भाँति के पंछी …
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‘यदि’ .. (रूडयार्ड किपलिंग)
डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'
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दिल की फ़ितरत ...
Nature of Heart ..... Ghazal ...Sharad Singh .... Dr (Miss) Sharad Singh Sharad Singh |
डॉ. कौशलेन्द्रम
डॉ. कौशलेन्द्रम
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(सतीश पंचम)
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udaya veer singh
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शत्रु हमारे लिख रहे, अपना नाम शरीफ।
देते हिन्दुस्थान को, रहे सदा तकलीफ।
रहे सदा तकलीफ, तोड़ के कंठी माला।
लुच्चे लोभी-भीरु, बदल लेते थे पाला।
बदले पुरखे-ईष्ट, किताबी-कीड़े सारे।
अब मैदाने-जंग, बनाते शत्रु हमारे।।
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रजनीश तिवारी
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