मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हर किसी की आँखों में।
कुछ-कुछ ख्वाब होते है।
हर किसी के दिल में।
कुछ राज होते है।...
कुछ-कुछ ख्वाब होते है।
हर किसी के दिल में।
कुछ राज होते है।...
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एक हैं पी0 सी0 तिवारी
वैसे तो कई हैं
जिन्होने
विद्रोही होने के
दावे खुद ही लिख
खुद ही के सीने
पर टाँके हुऐ हैं
दिखते भी हैं
पैसे भी मिलते हैं
या नहीं मिलते हैं
कभी वो नहीं बाँचे है
उन्हीं के बीच के हैं
पी0 सी0 तिवारी ...
जिन्होने
विद्रोही होने के
दावे खुद ही लिख
खुद ही के सीने
पर टाँके हुऐ हैं
दिखते भी हैं
पैसे भी मिलते हैं
या नहीं मिलते हैं
कभी वो नहीं बाँचे है
उन्हीं के बीच के हैं
पी0 सी0 तिवारी ...
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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रंगे-ख़ुद्दारी न हो ...
हिज्र हम पर इस तरह भारी न हो
जिस्म में हर वक़्त बेजारी न
हो दीद का दिन है मुक़र्रर आज फिर
ये: ख़बर तो काश ! सरकारी न हो...
साझा आसमान पर
Suresh Swapnil
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'' सुन्दरता है '' नामक मुक्तक ,
कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक संग्रह -
'' चाँद झील में '' से लिया गया है -
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सुख का पेड़
कभी-कभी सोचता हूँ
एक पेड़ लगाऊं सुख का
और ईश्वर से वरदान मागूँ कि
जैसे -जैसे समय बढ़ता जाये
वैसे -वैसे सुख का पेड़ और सघन हो जाये
और एक दिन वह पेड़ इतना सघन हो जाये कि
समूचा आकाश भी उसे ढकने के लिए
छोटा पड़ जाये....
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तलाश
दो काकुल मुख मंडल पर
झूमते लहराते
कजरे की धार पैनी कटार से
वार कई बार किया करते
स्मित मुस्कान टिक न पाती ...
झूमते लहराते
कजरे की धार पैनी कटार से
वार कई बार किया करते
स्मित मुस्कान टिक न पाती ...
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Roopali.
पानी का सबसे शुद्ध रूप, शायद ओस की बूँद में दिखता होगा। वह मैंने एक सुन्दर लड़की की आँखों में देखा। यह कल की बात है। इंडियन कॉफी हाउस में बगल वाली टेबल पर वह अपने माता-पिता के साथ आइसक्रीम खा रही थी। उसने भरपूर दृष्टि से मुझे देखा। उस दृष्टि में आत्मा उतरती हुयी सी दिख रही थी। इसने मुझे परेशान करके रख दिया। रहा नहीं गया तो उनकी टेबल पर गया। यह हद दर्ज़े की बदतमीज़ी होनी चाहिए थी। लेकिन उस परिवार के पास शिष्टाचार था। मैंने उनसे उनकी सुन्दर बेटी की तस्वीर लेने की इजाज़त माँगी। और उसका नाम पूछा। वह रूपाली है। सचमुच रूपाली...
satish jayaswal
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ग़ज़ल
मैं इबादत हसरतों के नाम ही करता रहा ।
वक्त से पहले कोई सूरज यहां ढलता रहा...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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कुछ स्कूलों में खेलकूद पे ज़ोर देने के अलावा
केन्टीन पर भी निगरानी रखी जाती है .
ग्रीज़ी जंक फ़ूड मोटापे का घर है रोगों की मांद है।
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मैं बनी बेबी मगरमच्छ
आज याने ३० जनवरी को मेरी नतिनी तन्वी तीन साल की हो जाएगी।
और २९ की मेरी शाम कुछ ऐसे बीती उसकी नतिनी बनकर।
जब से प्ले स्कूल जाना शुरु किया है उसे जुकाम पकड़े रहता है। बीच बीच में बुखार भी हो जाता है। शायद यह उसकी वायरसों से पहली मुठभेड़ है इसलिए। आज भी जुकाम अधिक था इसलिए निश्चय किया गया कि शाम को उसे पार्क खेलने नहीं ले जाया जाएगा, (पार्क भी मैं ही ले जाती हूँ) और घर में ही उसका मनोरंजन किया जाएगा। ...
और २९ की मेरी शाम कुछ ऐसे बीती उसकी नतिनी बनकर।
जब से प्ले स्कूल जाना शुरु किया है उसे जुकाम पकड़े रहता है। बीच बीच में बुखार भी हो जाता है। शायद यह उसकी वायरसों से पहली मुठभेड़ है इसलिए। आज भी जुकाम अधिक था इसलिए निश्चय किया गया कि शाम को उसे पार्क खेलने नहीं ले जाया जाएगा, (पार्क भी मैं ही ले जाती हूँ) और घर में ही उसका मनोरंजन किया जाएगा। ...
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जलाया खून है अपना, पसीना भी बहाया है।
कृषक ने अन्न खेतों में, परिश्रम से कमाया है।।
कृषक ने अन्न खेतों में, परिश्रम से कमाया है।।
सुलगते जिसके दम से हैं, घरों में शान से चूल्हे,
उसी पालक को, साहूकार ने भिक्षुक बनाया है...
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