मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सच
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhwGF_M0O2dN-i9Iwqa1Oip0L8BdWixaI7L0jGn8rhzRBQyfSRySE_LthfGM7mnq1nbJhnmj4AUuQ5UlC-sOtP03ijZpRZNwLTV2f_X93y03wcjkY222f04JZRVNdQ8umOw8qHI1XVX-Jg/s320/reality-and-truth-hi.png)
क्या किया जाये
जब देर से समझ में आये
खिड़कियाँ सामने वाले की
जिनमें घुस घुस कर
देखने समझने का
भ्रम पालता रहा हो कोई
खिड़कियाँ थी ही नहीं आईने थे
यही होता है यही गीता है यही कृष्ण है
और यही अर्जुन है
बहुत सारी गलतफहमियाँ
खुद की खुद को पता होती हैं
देखना कौन चाहता है पर...
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वह ईमानदार है इस लिए
बहुत हैरान और परेशान है
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhvQL4zw3cLkXDwX8kFK2WO6e1jcZOeoG3k92SQ0ggLPPDwlHSt_326h9pSvXSgK8k2xKD64pW879G0gmkKPfqwqhjnOdW0Zi-41a9gLV2sTHTFVe6poScQXkVmkFtUu1CIaoiPZ0MEyEJi/s320/12496280_1129006950445224_1603350258825547383_o.jpg)
मजे उसी के हैं जो जालसाज कमीना और बेईमान है
वह ईमानदार है इस लिए बहुत हैरान और परेशान है
कोई पागल समझता है कोई केमिकल लोचा बताता है
वह डिगता नहीं ईमान से इस से परेशान हर बेईमान है ...
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सुब्हान तेरी कुदरत
यानी ‘सुभानअल्ला’
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4Lv_tBhLa9fXDKiIP7V4S-2FH-lckOQ5orvyVVJXRgf_YZIJ_VGHEk2vzrzrzs5tNf1FJGS2Nr9AM08jze7DMkflRO_4jHwqjnKXp4O__Jx2i2kLWQWHNBfF_wMQNNlMUoSWUde61wGtt/s320/Tasbih.jpg)
मौ.हतसिब तस्बीह के दाने पे ये गिनता रहा
किन ने पी, किन ने न पी, किन किन के आगे जाम था
मुमकिन है इस मशहूर शेर को पढ़ कर आप सुभानअल्ला कह उठें। ये है ही इस लायक। पर आप ‘सुभानअल्ला’ ये सुनकर भी कहेंगे कि ‘तस्बीह’ और ‘सुभान’ दोनो बहन-भाई हैं। ‘सुभानअल्ला’ को बतौर प्रशस्तिसूचक अव्यय हिन्दी में भी बरता जाता है। यूँ इसका प्रयोग विस्मयकारी आह्लाद प्रकट करने के लिए भी होता है। यह लगभग ‘क्याब्बात’, ‘अद्भुत’ या ‘ग़ज़ब’ जैसा मामला है। यूँ सुभानअल्ला में बहुत अच्छा, धन्य-धन्य अथवा वाह-वाह जैसी बात है। ऐसा भी कह सकते हैं कि सुभानअल्ला में vow factor भी है।
किन ने पी, किन ने न पी, किन किन के आगे जाम था
मुमकिन है इस मशहूर शेर को पढ़ कर आप सुभानअल्ला कह उठें। ये है ही इस लायक। पर आप ‘सुभानअल्ला’ ये सुनकर भी कहेंगे कि ‘तस्बीह’ और ‘सुभान’ दोनो बहन-भाई हैं। ‘सुभानअल्ला’ को बतौर प्रशस्तिसूचक अव्यय हिन्दी में भी बरता जाता है। यूँ इसका प्रयोग विस्मयकारी आह्लाद प्रकट करने के लिए भी होता है। यह लगभग ‘क्याब्बात’, ‘अद्भुत’ या ‘ग़ज़ब’ जैसा मामला है। यूँ सुभानअल्ला में बहुत अच्छा, धन्य-धन्य अथवा वाह-वाह जैसी बात है। ऐसा भी कह सकते हैं कि सुभानअल्ला में vow factor भी है।
जानते हैं सुभानअल्ला की जन्मकुण्डली...
शब्दों का सफर पर अजित वडनेरकर
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सच से भागते हम
हमने अच्छाई के प्रतिमान गढ़ रखे हैं। मनुष्य के आदर्श को स्वयं में तलाशते हैं। आदर्श का प्रकटीकरण अपने परिवार में मानते हैं। अपने समाज को भी श्रेष्ठ मानते हैं। स्वयं के अवगुण कभी दृष्टिगत नहीं होते। पोस्ट को पढने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें ...
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वो नहीं आता, मैं नहीं जाता ,
बंद है कब से आना जाना,
गज भर के घर ,बड़े शहर हैं ,
मीलों फासलों का है फ़साना ,
दूर हो दूरी आज दरमियाँ ,
दिलों में अब न एहतियात हो।
नए साल की नवसंभावना ,
नए दौर की नै बात हो।
नया साल
एक साल खत्म हुआ
नया साल आ रहा है
समय कितनी जल्दी बीत जाता है
देखते देखते बीत गए कितने बरस...
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प्रेम कविता
मैं नहीं चाहता कि
कोई जाने तुम्हारे बारे में,
हमारे बारे में
और इस बारे में कि
तुम मेरे लिए क्या हो.
उस चाहत का,
जिससे लोग अंजान हों...
शऊरे-बेक़रारी
शैख़ जी ! कुछ शर्मसारी सीखिए
दोस्तों की पर्द: दारी सीखिए
मैकदे में मोमिनों पर फ़र्ज़ है
आप आदाबे-ख़ुमारी सीखिए...
साझा आसमान पर
Suresh Swapnil
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शीर्षकहीन
एक ग़ज़ल हाजि़र दोस्तों
वस्ल-ए-महबूब इस क़दर फ़ड़के
उसको सोचूँ नज़र -नज़र फ़ड़के
चलते - चलते वो याद आता है
शाख़ झूमे शजर - शजर फ़ड़के ...
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देश भर के ब्लड बैंक (रक्त बैंक) के
फोन नंबर और पते
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2uR8Ih7cPNzqLAjSmOX6949GBgDGMXSYbUFqjWYaVHDIq3Q2KVrI7Vv1yoEKr30VCGdqMJI06BR5mcKn6CKMrNmST8JV5PfIwlzzxmxTm5yPQnyEPtNleq4V4Al2pb7RwluOw-kkT9mU/s320/bloodban.png)
भारत सरकार द्वारा जारी देश भर में उपलब्ध ब्लड बैंक की सूची में 2900 से भी ज्यादा रक्त बैंकों के नाम, राज्य, जिला, पता, पिन कोड, फ़ोन नंबर इत्यादि का विवरण उपलब्ध है| यह सूची भारत सरकार की data.gov.in वेबसाइट से उपलब्ध करवाई गयी है| भारत में देश भर के ब्लड बैंक की सूची और संपर्क सूत्र इस डाउनलोड करने के लिए:
1. इस वेबसाइट पर जाएँ ...
हिंदी इंटरनेट पर Kheteshwar Boravat
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सच ही कहती थीं अश्रु लड़ियाँ...
कष्ट होता है तो
अनायास ही आंसू बहते हैं...
रोते हैं हम...
रो लेते हैं हम...
पर रो लेने के बाद के कष्ट का क्या...
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दादा जी की नसीहतें
पड़ौस के घर में एक परिवार रहने आया था ,उसमें दादाजी के उम्र के एक व्यक्ति और उनकी पत्नी थीं ।वह लंगड़ा कर चलते थे और कड़क स्वभाव के थे ।वह अपने साथ बहुत से गमले लाए थे जिस में बहुत तरह के रंग बिरंगे फूल खिलते थे । वह अपने पौधों की बच्चों की तरह देख भाल करते थे ,वह बांसुरी भी बहुत अच्छी बजाते थे। बच्चे उन पौधों को देख कर बहुत ललचाते थे . उनका बस चलता तो वह एक भी फूल पौधों पर नहीं छोड़ते पर उनका कड़क स्वभाव देख कर बच्चे उनसे...
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'' आदमी '' नामक मुक्तक ,
कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक संग्रह -
'' चाँद झील में '' से लिया गया है -
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhUiQ33FsoT2d8KAKHt15zf1FAD0_RhHayYqMSiXD7JLYQCJJ0_q0m4uhKlFypKZ60sf0DSi0u545lUtH1bcURi4bzAy-8NIXiHH1LecWiPlQI7eXfdyeASPM5wGabRbYZzHPhNfv1Yido/s320/46.png)
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उम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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