सुधि पाठकों!
बुधवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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दोहे
"सावन का उपहार"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
सावन आने पर धरा, करती है शृंगार।
हरा-भरा परिवेश है, सावन का उपहार।१।
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चोटी-बिन्दी-मेंहदी, आपस में बतियाय।
हर्ष और अनुराग में, सुहागिनें बौराय।२।
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तीजों के त्यौहार पर, कर सोलह सिंगार।
आज नारियाँ हर्ष से, गातीं मेघ-मल्हार।३।...
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ग़ज़ल
" रज़ा अपने दिल की"
(राधा तिवारी" राधेगोपाल ")
रज़ा अपने दिल की हमें तो बताओ।
ना हमको सताओ ना हमको सताओ ।।
धड़कन दिलों की ये कहती है अक्सर।
मेरे पास आओ मेरे पास आओ...
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सावन का सुहाना मौसम
सावन के मौसम में
तेरी यादो का आना
उस पर बारिश में भीग जाना ...
aashaye पर garima
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सुनो..
सुनो...
तुम सांझ ढले जब भी आना
थोड़ी खुशियां साथ ले आना
छोड़ आना अहम किसी सड़क के किनारे
मैं भी आज जला दूंगी अपना अहम
चूल्हे की आग में...
anuradha chauhan at
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Sacred Scriptures
(Part ll ,Hindi )
स्मृति ग्रंथ ?स्मृति ग्रंथों में श्रीमद्भागवद्गीता को अग्रणी ग्रंथ माना गया है। स्मृति ग्रंथ शाश्वत सिद्धांतों को व्यवहार में उतारने का साधन हैं।इन अर्थों में भागवद्गीता जीवन का विज्ञान है जिसमें कृष्ण देह और देह के संबंधों में मोहग्रस्त हुए अर्जुन को जो अपने क्षात्र(क्षत्रिय ) धर्म से विमुख हो जाता है उसके निजस्वरूप (आत्म स्वरूप )का बोध कराते हैं यह कहते हुए के यह 'आत्मन' न तो किसी को मारता ही है और न किसी के द्वारा मारा जाता है। बौद्ध धर्म के तहत धम्मपद तथा तृप्तिका (तृप्तिकाओं ) को स्मृति ग्रंथ के अंतर्गत ही रखा जाएगा...
Virendra Kumar Sharma
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मित्र मिला हो तो बताना
दुनिया में सबसे ज्यादा अजमाया जाने वाला नुस्खा है – मित्रता। एलोपेथी, आयुर्वेद,होम्योपेथी,झाड़-फूंक आदि-आदि के इतर एक नुस्खा जरूर आजमाया जाता है वह है विश्वास का नुस्खा। हर आदमी कहता है कि सारे ही इलाज कराए लेकिन मुझे तो इस नुस्खे पर विश्वास है। तुम भी आजमाकर देख लो...
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मुलाकात
यूँ तो बरसों न मिले
अब मिले तो कहने को रहा
मुलाकात का समय कम रहा
यह कैसा मन में ख्याल आया |
अब मिले तो कहने को रहा
मुलाकात का समय कम रहा
यह कैसा मन में ख्याल आया |
Akanksha पर
Asha Saxena
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बेटे के नाम पत्र
मेरे बच्चे ..... तुम नौजवान हो गए हो अब तो ... पर हरकत अब भी बचपन वाली करते हो। हर बार तुम गर्मी की छुट्टियों में कॉलेज से घर आते हो , तो घर भरा भरा सा लगता है, लगता है मेरा घर पूरा हो गया ....हम सब मिल कर घूमते हैं, खाते हैं शौपिंग करते हैं, खूब सारी बातें करते हैं...बहुत सारे ज़रुरी पड़े हुए घर के काम भी करते हैं। तुम्हारी खूब खिचाई भी करते हैं और इन सब के साथ साथ ही हर बार तुम्हें ढेर सारी डांट का भी सामना करना पड़ता है। वैसे मैं मानती हूँ की तुम बहुत समझदार हो गए हो...
प्यार पर Rewa tibrewal
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सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार।
शुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
छोटे बहर की बड़ी ग़ज़ल कहतीं हैं राधे तिवारी :
जवाब देंहटाएंरज़ा अपने दिल की हमें तो बताओ।
ना हमको सताओ ना हमको सताओ ।।
धड़कन दिलों की ये कहती है अक्सर।
मेरे पास आओ मेरे पास आओ।।
निगाहों में मेरी है तसव्वुर तुम्हारी।
आकर के इनमें तुम कुर्बान जाओ।।
तुम्हारे बिना तो ये जीवन है खाली।
इसे तुम सजाओ इसे तुम सजाओ।।
यादें तुम्हारी है दिल में हमारे।
तेरे दिल में क्या है मुझे तो बताओ।।
ना हमको सताओ ना हमको सताओ।।
सावन का सुहाना मौसम ,फिर ऐसे में भीग जाना।....
मेघो का गरजना और तेरा मेरी बाहो में लिपट जाना
किसको अच्छा नहीं लगता।
नयनों के उस भाव को कब कब समझा कौन ?
चर्चा मंच की जितनी भी चर्चा करें रह जाती है कम,
इसी बात का अक्सर रहता गम।
सावन का आँखों देखा हाल बयान करते हैं शास्त्रीजी के दोहे :
जवाब देंहटाएं--
तीजों के त्यौहार पर, कर सोलह सिंगार।
आज नारियाँ हर्ष से, गातीं मेघ-मल्हार।३।
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आँगन में झूले पड़े, झूल रहीं हैं नार।
घेवर-फेनी से सजा, हलवाई बाजार।४।
veeruji005.blogspot.com
veerujibraj.blogspot.com
सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई सार्थक चर्चा बहुत बहुत आभार आपका मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
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