मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बाल कविता
"गरम पकौड़ी"
( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
जब बाहर वर्षा होती है सब घर में आ जाते हैं l
मां के हाथों की हम सब गरम पकौड़ी खाते हैं ...
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झील सी गहरी आँखें
झील सी गहरी नीली आँखेंखोज रहीं खुद को हीनीलाम्बर में धरा पररात में आकाश गंगा में |उन पर नजर नहीं टिकतीकोई उपमा नहीं मिलतीपर झुकी हुई निगाहें कई सवाल करतीं...
Akanksha पर
Asha Saxena
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वो आँखें
मुझे छेड़तीं, मुझे लुभातीं,
सखियों संग उपहास उड़ातीं,
नटखट, भोली, कमसिन आँखें !
हर पल मेरा पीछा करतीं,
नैनों में ही बाँधे रहतीं,
चंचल, चपल, विहँसती आँखें...
Sudhinama पर
sadhana vaid
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भटकना
कारवाँ वो ठहर सा गया था
निकला था जो मुक़ाम की राह
अनजाने मोड़ पर ठिठक गया था
कुछ रहस्यमयी किरणों का
उजाला सा था ...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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दिल धड़कता ही नहीं
संवेदन शून्य, संज्ञा विहीन हुआ दिल,गर उर कंठ इसे कोई लगाता,झकझोर कर धड़कनों को जगाता,घाव कुछ भाव से भर जाता,ये दिल! शायद फिर धड़क जाता...
purushottam kumar sinha
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंविविध रंगी सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंएक अनूठी इन्द्रदानुषी चर्चा से रूबरू करने के लिए धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंआभार
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
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