मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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यह सावन के मस्त नज़ारे
राधा तिवारी " राधेगोपाल '
यह सावन के मस्त नज़ारे
मन्द कभी तो तेज फुहारें
नभ ऐसे वर्षा करता है
जैसे चलते हैं फव्वारे...
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अधूरे अल्फ़ाज़
कुछ अल्फ़ाज़ अधूरे से हैं
कुछ गीत अधूरे से हैं
वो अगर मिल जाये तो भी
कुछ खाब्ब अधूरे से हैं...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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शेरो-सुख़न तक ले चलो...
अदम गोंडवी
भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो
या अदब को मुफ़लिसों की अंजुमन तक ले चलो...
मेरी धरोहर पर
yashoda Agrawal
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मन्नत
दादी रोज मंदिर जाती और अपने परिवार की खुशियाँ , सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना कर आती। और सोचती कि प्रभु से माँगना क्या ! उसको तो सब पता ही है। लेकिन कल से सोच में डूबी है। कल जब वे रोज़ की तरह दोपहर में धार्मिक चैनल पर प्रसारित होती भागवत कथा सुन रही थी तो उसमें , कथा वाचक बोल रहे थे , " एक गृहस्थ को ईश्वर की पूजा सकाम भाव से करनी चाहिए। जैसे , आपको मालूम भी होता है क्या कि आपके बच्चे को कब क्या चाहिए...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत शानदार पिटारा।भिन्न भिन्न रंग रूप और भावनाओं का मज़ेदार संकलन।मेरी रचना को भी जगह देने के लिए शुक्रिया।
जवाब देंहटाएं"धन दौलत तो पास हैं,मगर नही उल्लास"����
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल की. धन्यवाद.
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