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रविवार, अगस्त 19, 2018

"सिमट गया संसार" (चर्चा अंक-3068)

मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 
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यह सावन के मस्त नज़ारे  

राधा तिवारी " राधेगोपाल ' 

Image result for सावन के झूले
यह सावन के मस्त नज़ारे
 मन्द कभी तो तेज फुहारें
 नभ ऐसे वर्षा करता है
 जैसे चलते हैं फव्वारे... 
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अधूरे अल्फ़ाज़ 

कुछ अल्फ़ाज़ अधूरे से हैं  
कुछ गीत अधूरे से हैं  
वो अगर मिल जाये तो भी  
कुछ खाब्ब अधूरे से हैं... 
RAAGDEVRAN पर 
MANOJ KAYAL 
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शेरो-सुख़न तक ले चलो... 

अदम गोंडवी 

भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो  
या अदब को मुफ़लिसों की अंजुमन तक ले चलो... 
yashoda Agrawal 
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मन्नत 

दादी रोज मंदिर जाती और अपने परिवार की खुशियाँ , सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना कर आती। और सोचती कि प्रभु से माँगना क्या ! उसको तो सब पता ही है। लेकिन कल से सोच में डूबी है। कल जब वे रोज़ की तरह दोपहर में धार्मिक चैनल पर प्रसारित होती भागवत कथा सुन रही थी तो उसमें , कथा वाचक बोल रहे थे , " एक गृहस्थ को ईश्वर की पूजा सकाम भाव से करनी चाहिए। जैसे , आपको मालूम भी होता है क्या कि आपके बच्चे को कब क्या चाहिए... 
नयी दुनिया+ पर Upasna Siag  

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत शानदार पिटारा।भिन्न भिन्न रंग रूप और भावनाओं का मज़ेदार संकलन।मेरी रचना को भी जगह देने के लिए शुक्रिया।

    "धन दौलत तो पास हैं,मगर नही उल्लास"����

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल की. धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं

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