मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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दिल में रहने वाले
कब भुलाए जाते हैं
आँखें रोती हैं और ज़ख़्म मुसकराते हैं
जाने वाले अक्सर बहुत याद आते हैं।
दिन में हमसफ़र बन जाती हैं तन्हाइयाँ
और रातों को हमें उनके ख़्वाब सताते हैं...
Dilbag Virk
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ऊं हूँ !
यह करना नामुमकिन है !
हमारा शरीर एक अजूबा है। चाहे सहनशक्ति हो, तेजी हो या फिर बल-प्रयोग इससे इंसान ने अनेक हैरतंगेज कारनामो को अंजाम दिया है। कइयों ने तो ऐसे-ऐसे करतब किए, दिखाएं हैं जिन्हें देख आम आदमी दांतो तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाता है। पर विश्वास कीजिए, आकाश से ले कर सागर की गहराई तक नाप लेने वाला हमारा वही शरीर कुछ ऐसे साधारण से काम, जो देखने-सुनने में भी बहुत आसान लगते हैं उन्हें नहीं कर पाता ! कोशिश कर देखिए यदि संभव हो सके तो ....
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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अक्षर की जान है
शब्दों ने अपनी मर्यादा तोडी
सिर्फ़ पहचान भर था
अटल था इरादा कि
चांद अपने जगह से ना हिले
ना ही तारों में कोई फ़ूट पडे
सिर्फ़ इसलिये कि
प्रलय के बाद मिलना हो
ना कोई बंधन टूटे
ना सूरज में ग्रहण लगे...
हमसफ़र शब्द पर
संध्या आर्य
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देश हमारा आज खड़ा है..
देश हमारा आज खड़ा है ,आतंकवाद की ढेरी पर।
लगा हुआ है प्रश्न चिन्ह ? देश की रणभेरी पर ।।
एक प्रदेश की है नहीं कहानी ,है ये पूरे देश की...
हर दिन रक्त रंजित होती ,है धरा इस देश की
kamlesh chander verma
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चन्द माहिया सावन पे :
क़िस्त 51
:1:सावन की घटा कालीयाद दिलाती हैवो शाम जो मतवाली:2:सावन के वो झूलेझूले थे हम तुमकैसे कोई भूले...
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
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कार्टून को भी चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका विनम्र आभार.
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
लोगों मेरी बात पर, कर लेना कुछ गौर।
जवाब देंहटाएंठण्डा करके खाइए, भोजन का हर कौर।।
अफरा-तफरी में नहीं, होते पूरे काम।
मनोयोग से कीजिए, अपने काम तमाम।।
कर्मों से ही भाग्य का, बनता है आधार।
कर्तव्यों के बिन नहीं, मिलते हैं अधिकार।।
देकर पानी-खाद को, फसल करो तैयार।
तब विचार से लाभ क्या, जब हो उपसंहार।।
बैरी की उसको नहीं, अब कोई दरकार।
जिसके घर को लूटते, उसके ही सरदार।।
शास्त्री जी के दोहों में है कुछ और ही बात ,
बात में मिलती है नै ही कोई बात।
नित्य पढ़ी दोहावली मिली नित्य सौगात ,
क्या है अपनी दोस्तों बीतता भर औकात।
veeruji005.blogspot.com
बहुत बढ़िया लिंक्स हैं. पढ़
जवाब देंहटाएंकर आनंद आया
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंतहे दिल से शुक्रिया और आभार !
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
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