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बुधवार, अगस्त 29, 2018

"कुछ दिन मुझको जी लेने दे" (चर्चा अंक-3078)

सुधि पाठकों!
बुधवार की चर्चा में 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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मेरी कलम  

( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ) 

कलम से कहती हूँ  रहने दे
 कुछ दिन मुझको जी लेने दे

पर वह तो वाचाल बहुत है
करती सदा सवाल बहुत हैं... 

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सत चित्त आनंद = सच्चिदानंद 

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पोस्टमैन को  

फिर से कभी घर पर बुलवायें  

चिट्ठे छोड़ें  

चिट्ठियाँ पढ़े और पढ़वायें 

सुशील कुमार जोशी  
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एक और शम्बूक कथा----  

डा श्याम गुप्त 

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नक़्क़ाशीदार कैबिनेट 

Sonroopa Vishal 
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पक्की सखी  

(अमृता) 

प्यार पर Rewa tibrewal 
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एक थीसिस चाँद पर 

आज मैंने बरसो बाद रात के आसमान में, काले सलेटी बादलों के  मेले में छिपते छिपाते चाँद को देखा।  एक सफ़ेद मोती, चांदनी का थाल, आसमान की चादर पर टंका रेशम का टुकड़ा। ये चाँद फूली हुई रोटी कैसे लग सकता है ??? रोटी तो हलके भूरे गेहुएँ रंगत वाली और छोटी छोटी काली चित्तियों वाली होती है।  चाँद तो झक सफ़ेद मोती है। जब देखता है कि  आदमी तो घूरे ही जा रहा है तब  बादलों के परदे से बाहर निकल बिलकुल सामने आकर खड़ा हो जाता है, अपने पूरे ऐश्वर्य और भव्यता को लपेटे, समेटे।  जिसकी ठंडी रौशनी वाली नज़र भी आदमी को नज़र चुराने के लिए धकेलती हुई  सी लगती है। तब तक सामने खड़ा रहेगा जब तक कि आदमी नज़र हटा ना ले।  चाँद  को  एकटक घूरना किस कदर मुश्किल है , उसकी छटा ही ऐसी है कि नज़र खुद ही दूर हट जाती है ; तभी ना कहावत बनी कि नज़र लगे से भी मैला होता है रंग; कहीं चाँद के लिए ही किसी ने गढ़ा होगा ये मुहावरा। 
फिर भला चाँद फूली हुई रोटी कैसे हो गया.... 

Bhavana Lalwani  

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हाय रे बैरी सावन...... 

मेहदी अब्बास रिज़वी 

yashoda Agrawal  
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हमारा लोक तंत्र 

संविधान है सबके ऊपर, आकाएं देश चलाते हैं  
शासन, संसद,न्यायालय ही, सब मसलों को सुलझाते हैं | 
लोक तंत्र में लोक है मुख्य, लोग ही तंत्र को लाते हैं... 

कालीपद "प्रसाद" 
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कब हो सवेरा 

purushottam kumar sinha 
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भूमंडलोत्तर कहानी –  

२०  

(बारिश के देवता - प्रत्यक्षा ) :  

राकेश बिहारी) 

समालोचन पर arun dev 
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दैनिक जागरण में प्रकाशित 

Dev Kumar पर 
Dev Kumar  
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आखिर शत्रुघ्न सिन्हा के  

सिद्धु प्रेम की वजह क्या है ? 

महज उस भारत भाव का विरोध  

जिसका प्रतिनिधित्व मोदी या बीजेपी करती है 

Virendra Kumar Sharma  
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एक पहेली 

sapne(सपने) पर 

shashi purwar  

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हे कृष्ण! 

कभी बीनता था झाँवाँ  
रेल पटरियों के किनारे 
सजाता था पहाड़ मनाता था 
कृष्ण जन्माष्टमी 
आज बैठा हूँ ट्रेन में  
देख रहा हूँ गिट्टी गिट्टी ... 

बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय 

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर चर्चा। आभार राधा जी 'उलूक' की बकबक को जगह देने के लिये।

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  2. मज़हबी एकता और उसमें पिरोये हुए एक ही सन्देश का वजन बढ़ाती है यह दोहा वाली। सुंदर सटीक सर्वकालिक :
    satshriakaljio.blogspot.com

    veerubhai1947.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  3. NTA JEE Main 2019 results are likely to be published on the official website in the month of February 2019. Candidates can download their results from the website. to read more click here

    जवाब देंहटाएं

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