मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
ग़ज़ल
"सात रंगों से सजा है गगन"
पड़ गये झूले पुराने नीम के उस पेड़ पर
पास के तालाब से मेढक सुनाते सुर-सुरीला
इन्द्र ने अपने धनुष का “रूप” सुन्दर सा दिखाया
सात रंगों से सजा है गगन में कितना सजीला...
पास के तालाब से मेढक सुनाते सुर-सुरीला
इन्द्र ने अपने धनुष का “रूप” सुन्दर सा दिखाया
सात रंगों से सजा है गगन में कितना सजीला...
--
--
--
एहसास ...
जिन्दा होने का ...
एहसास ... जी हाँ ... क्यों करें किसी दूसरे के एहसास की बातें, जब की खुद का होना भी बे-मानी हो जाता है कभी कभी ... अकसर ज़िन्दगी गुज़र जाती है खुद को चूंटी काटते काटते ... जिन्दा हूँ तो उसका एहसास क्यों नहीं ...
Digamber Naswa
--
अगले चुनाव में वापसी के लिए
वापसी ही मुख्य मुद्दा
लड़की रईस परिवार की और लड़का नौकरीपेशा मध्यमवर्गीय परिवार का. मोहब्बत में पड़ लड़की लड़का शादी की जिद्द ले बैठे. रईस पिता के रईसी चोचले. लड़के को घर जमाई बनाना है मगर सीधे कहेंगे तो कौन मानेगा भला? वो भी तो अपने पिता की इकलौती संतान है. अतः लड़के के पिता को फरमान भेजा गया कि क्या आपका घर इस काबिल है कि हमारी बेटी वहाँ आरामपूर्वक रह पायेगी?...
--
--
--
--
शीर्षकहीन
*भीड़ में थे जब अकेले,तन्हा
दोस्तों को साथ अपने खड़ा पाया *
*कुछ सुनी उनकी
कुछ कहा हमने उनसे *
--
--
--
--
चिड़िया
तिनका-तिनका बटोरकर
एक अच्छा सा घंरोदा बनाने का खयाल
हर चिड़िया करती है
आँधियों में पंख फैलाकर
सूरज को चोंच में दबा लेना चाहती है
उषा की पहली किरण
उसे उत्साहित करती है तो
दोपहर की चमक संवेदनशील...
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
--
--
--
--
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल कार्ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा सूत्र ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए ...
झूले और झूले की पेंगों का स्मरण कराने के लिए
जवाब देंहटाएंऔर मित्रता के आले में दिया बालने के लिए
हार्दिक आभार शास्त्रीजी.
ये अमवा का झूलना, वो पीपल की छांव.....सब सिर्फ बताने को ही रह जाएगा ! आधुनिकता की तथाकथित आंधी सब उड़ाए लिए जा रही है !
जवाब देंहटाएं