मित्रों!
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मित्रों!
गीत
"प्रीत का व्याकरण"
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दोहे
"रक्षाबंधन"
( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
भाई बहन का प्यार तो, होता है अनमोल ।
निश्छल प्यार दुलार को, दौलत से मत तोल...
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भाई बहन का प्यार तो, होता है अनमोल ।
निश्छल प्यार दुलार को, दौलत से मत तोल...
क्या था रक्षाबंधन और क्या हो गया ?
विजय राजबली माथुर
क्रांति स्वर पर
विजय राज बली माथुर
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भैया तुम हो अनमोल !
--कविता --
क्षितिज पर Renu
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तुम आओगे ना
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वो आँखें
Sudhinama पर sadhana vaid
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राखी बांधने का मकसद
मेरे भईया
प्यारे से भईया
ये बांधी है
कोमल सी, नरम सी
डोरी तुम्हारी मजबूत कलाई पर,
अपनी रक्षा के लिए कतई नहीं,
बल्कि तुम्हें ये स्मरण कराते रहने के लिए
कि जब भी किसी गैर लड़की को देखकर
तुम्हारे ह्रदय में उठे वासना का तूफान,
तभी इस पर नज़र पड़ते ही ये सोचकर
रूक जाना, हो जाना सावधान कि कहीं
तुम्हारी बहन भी किसी दिन, किसी जगह, फंसी हुई
किसी और पुरूष के चंगुल में
दे रही हो इज्जत बचाने का इम्तिहान!
भारतीय नारी पर
shikha kaushik
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प्यारे से भईया
ये बांधी है
कोमल सी, नरम सी
डोरी तुम्हारी मजबूत कलाई पर,
अपनी रक्षा के लिए कतई नहीं,
बल्कि तुम्हें ये स्मरण कराते रहने के लिए
कि जब भी किसी गैर लड़की को देखकर
तुम्हारे ह्रदय में उठे वासना का तूफान,
तभी इस पर नज़र पड़ते ही ये सोचकर
रूक जाना, हो जाना सावधान कि कहीं
तुम्हारी बहन भी किसी दिन, किसी जगह, फंसी हुई
किसी और पुरूष के चंगुल में
दे रही हो इज्जत बचाने का इम्तिहान!
यादें: गुजरती नहीं कभी
अभी- अभी
जैसे गुजरे हो वो लम्हें
जिन्हें हम भूलने की
कोशिश में हैं,
पर शायद,
कभी कुछ गुजरता है
या भुलाया जा सकता है?...
अन्तर्गगन पर धीरेन्द्र अस्थाना
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ग़ज़ल
दिल आज फ़िर कुछ कह रहा हैं
चल मैं और तुम कुछ लिखतें हैं
गुजरे पलों का हिसाब ग़ज़लों में करते हैं
अधूरी रह ना जाये कोई नज़्म
इसलिए क्यों ना फ़िर
शायरी के अल्फजाओं में जिन्दा रहते हैं...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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चल मैं और तुम कुछ लिखतें हैं
गुजरे पलों का हिसाब ग़ज़लों में करते हैं
अधूरी रह ना जाये कोई नज़्म
इसलिए क्यों ना फ़िर
शायरी के अल्फजाओं में जिन्दा रहते हैं...
अमित उपमन्यु की ताज़ा कविता
असुविधा.... पर
Ashok Kumar Pandey
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असुविधा.... पर
Ashok Kumar Pandey
सुप्रभात।
जवाब देंहटाएंसुंदर सारगर्भित प्रस्तुती के लिए धन्यवाद।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
आदरणीय सर -- अत्यंत भाव - प्रणव प्रस्तुति | सभी लिंक आराम से देखे | खासकर आलेख तो बहुत ही ज्ञानवर्धक और सारगर्भित हैं जिनमे विषय स्तरीय साहित्यकार और '' आप '' का सपना क्यों टूटा तो मुझे बहुत ही चिंतनपरक लगे | इन लिंकों तक पहुँचाने के लिए सादर आभार | अपने आप तो शायद ये आँखों से ओझल ही रहते | saराखी पर सभी रचनाएँ बहुत ही मर्मस्पर्शी हैं | सब त्योहारों में खास राखी अपने साथ अद्भुत ख़ुशी लेकर आता है | मेरे रचना को भी स्थान मिला ये मेरा सौभाग्य है |सभी रचनाकार सहयोगियों को मेरी हार्दिक शुभकामनायें | सादर नमन |
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत ही सुन्दर सूत्रों का संकलन आज का यह चर्चामंच ! मेरी रचनाओं को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
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