मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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गीत
"पंचांग"
(राधा तिवारी" राधेगोपाल ")
बड़े बुजुर्गों के जैसे, पंचांग घरों में रहते हैं।
कौन अभी त्यौहार आ रहा, हमसे कहते रहते हैं।।
बतलाता तारीख हमें, खुद खूंटी पर ही रहता है ।
ग्रह काल नक्षत्र हमें, हर रोज बताता रहता है...
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बहुत खुश है
गली के नुक्कड़ पर
आजादी के दिन
आजाद बाँटने के लिये
खुशी के पकौड़े तल रहा है
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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582.
सिंहनाद करो
व्यर्थ लगता है
शब्दों में समेटकर
हिम्मत में लपेटकर
अपनी संवेदनाओं को
अभिव्यक्त करना,
हम जिसे अपनी आजादी कहते हैं
हम जिसे अपना अधिकार मानते हैं
सुकून से दरवाजे के भीतर
देश की दुर्व्यवस्था पर
देश और सरकार को कोसते हैं
अपनी खुशनसीबी पर
अभिमान करते हैं कि
हम सकुशल हैं,
यह भ्रम जाने किस वक्त टूटे ...
डॉ. जेन्नी शबनम
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जीवन का विज्ञान
'आयुर्विज्ञान 'एक विहंगम दृष्टि'
(विहंगावलोकन ,सरसरी नज़र )
Ayurveda a Birds Eye View
Virendra Kumar Sharma
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मकई के दानों से बनाइए
स्वादिष्ट चीला
(corn pancake)
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हजारों रंग ख़ुशबू से बना गुलदान है भारत
हज़ारों रंग ख़ुशबू से बना गुलदान है भारत
कई तहज़ीब,भाषा,धर्म की पहचान है भारत
कहीं गिरजा, कहीं मस्जिद, शिवाला और गुरुद्वारा
कभी होली कभी क्रिसमस कभी रमज़ान है भारत...
Himkar Shyam
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यह देश हमारा भारत वर्ष
ये देश हमारा भारत वर्ष
अद्भुत है इसका उत्कर्ष
उत्तर में है हिम का ताज
दक्षिण में सागर का राज
पूरब से आती है हर दिन
मनभावन सुखमय प्रभात
है इसी भूमि पर अपना स्वर्ग
यह देश हमारा भारत वर्ष.....
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कुछ हट के ....।
मैं सोचता हूँ
कुछ ऐसा ही जेहन में उभरता है,
जब उमंग और उत्साह से लबरेज
इस एक दिन ...
शायद हाँ इस एक दिन
देश प्रेम सार्वजनिक होकर उभरता है।
और जब लहराता है तो कई जोड़ी आंखे
उसे निहारते वही कही
आसमान की अनंत गहराई में
खो जाती है शायद...
अंतर्नाद की थाप पर कौशल लाल
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभर
सादर
सुप्रभात ! सुन्दर सूत्र सार्थक चर्चा ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से धन्यवाद एवं आभार आपका शास्त्री जी ! अटल जी का जाना व्यथित कर गया ! उन्हें अश्रुपूरित भावभीनी श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंसीखो सबक विनाश से, समझो कुछ संकेत।
जवाब देंहटाएंमुखरित होकर कह रहे, बंजर होते खेत।१।
सोच-समझकर खोलना, अपनी वाणी मित्र।
जिह्वा देती है बता, अच्छा-बुरा चरित्र।२।
दोहों में बसने लगा एक खटीमा गाँव ,
खड़ा हुआ वटवृक्ष एक शास्त्री जी की छाँव।
gyanvigyan2018.blogspot.com
veerusahab2017.blogspot.com
अभिभूत हूँ आपकी दोहावली और गीतों से ृमिठास लय माधुरी से।
जवाब देंहटाएंveeruji005.blogspot.com
veeruji05.blogspot.com
पावस विशेष:
राजेन्द्र वर्मा के गीत और दोहे
सुन्दर चर्चा। अटल जी को नमन और श्रद्धांंजलि। आभार आदरणीय 'उलूक' के आजाद को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअटल जी को हार्दिक श्रद्धांजलि!
उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा , अटलजी को विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंबड़े बुजुर्गों के जैसे, पंचांग घरों में रहते हैं।
जवाब देंहटाएंसभी link बहुत शानदार हैं खासकर ये लाइन्स तो छू गयी।