मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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गुश्ताख़ियाँ
गुश्ताख़ियाँ कुछ ऐसी हमसे हो गयी
कुछ यादगार फ़सानों में
तो कुछ अफसानों में तब्दील हो गयी...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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सपनों का संसार अनूठा
थकी हारी रात को
जब नयन बंद करती
पड़ जाती निढाल शैया पर
जब नींद का होता आगमन
स्वप्न चले आते बेझिझक !
यूँ तो याद नहीं रहते
पर यदि रह जाते भूले से
मन को दुविधा से भर देते
मन में बार बार आघात होता
होता ऐसा क्यूँ ...
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सपने
रफ्ता-रफ्ता सारे सपने पलकों पर ही सो गये ,
कुछ टूटे कुछ आँसू बन कर ग़म का दरिया हो गये !
कुछ शब की चूनर के तारे बन नज़रों से दूर हुए ,
कुछ घुल कर आहों में पुर नम बादल काले हो गये...
Sudhinama पर sadhana vaid
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'महादेवी सृजन पीठ' (रामगढ़, उत्तराखंड) में
उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की १३८वीं जयंती के
कुछ स्मरणीय पल।
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द्विजा..
मेघा की आँखे बरसना तो चाह रही थी
पर संयमित रहने का दिखावा कर रही थी |
कुछ देर पहले की बातें कानों में गूंज रही है |
" यह क्या आज टिफिन में परांठे -आचार !
और माँ को सिर्फ खिचड़ी ? " "
हाँ , आज उठने में जरा देर हो गई
तो यह सब ही बना पाई...
नयी दुनिया+ पर
Upasna Siag
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खरीदी की उम्मीद में मुफ्त बँटी
यह जो कुछ मैं यहाँ लिख रहा हूँ, इसमें मेरा अपना कुछ भी नहीं है। सौ टका ‘पराई पूँजी’ है। हिन्दी व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर, कविताओं के मंच की शोभा, अनेक पुस्तकों के रचयिता, अनेक ख्यातनाम सम्मानों से सम्मानित, बहुप्रशंसित कवि *श्री अशोक चक्रधर* की पूँजी है यह। वे हिन्दी अकादमी, दिल्ली तथा केन्द्री हिन्दी संस्थान् के उपाध्यक्ष रहे हैं। अपने दाँतों के इलाज के लिए आज इन्दौर में रमेश भाई चोपड़ा के पास बैठा था। बातों ही बातों में रमेश भाई ने कहा - ‘दादा (श्री बालकवि बैरागी) सच्ची में बैरागी ही थे। उनका बस चलता तो अपने आसपासवालों को भी बैरागी बना देते।’...
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समय यात्रा असंभव है
[ टाइम मशीन के ज़रिये समय यात्रा { time-tour } के सन्दर्भ में मेरा पिछ्ला आलेख :- ये भी नहीं अरे भाई ये नये भी नहीं ! आपने अगर न देखा हो तो कृपया इस लिंक पर पहले उसे देखिये फिर यहाँ उसी तारतम्य में इस आलेख को पढ़िए ]
ये भी नहीं अरे भाई ये न ये भी नहीं !शीर्षक से लिखे आलेख में टाइम-ट्रेवल को या टाइम टूर को लेकर तार्किक आधार पर पूरी ज़िम्मेदारी के साथ इस अवधारणा को खारिज करता हूँ.
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इस तरफ से - -
अग्निशिखा : पर Shantanu Sanyal
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर शनिवारीय चर्चा। आभार आदरणीय 'उलूक' की रोटियों को आज की चर्चा के शीर्षक पर स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा अंक सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं